Supreme Court: प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार (3 फरवरी, 2025) को सुनवाई करेगा। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच द्वारा की जाएगी। इस मामले में दायर जनहित याचिका में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है, जिसमें महाकुंभ के दौरान सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण मांगें रखी गई हैं।
भगदड़ की घटना और याचिका
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान बुधवार (29 जनवरी, 2025) को भगदड़ मच गई, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की। याचिका में महाकुंभ के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने, सभी राज्यों के फैसिलिटेशन सेंटर खोलने, मेडिकल स्टाफ की तैनाती और इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
याचिका दायर कर की गई ये मांगे
- सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना: याचिका में कहा गया है कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल और प्रबंधन तंत्र होना चाहिए।
- फैसिलिटेशन सेंटर खोलना: याचिका में सभी राज्यों को प्रयागराज में अपने फैसिलिटेशन सेंटर खोलने की मांग की गई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों।
- गैर-हिंदी भाषी लोगों की सुविधा: याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि प्रयागराज में लगे डिस्प्ले और अनाउंस बोर्ड हिंदी में हैं, जिससे गैर-हिंदी भाषी लोगों को समझने में दिक्कत होती है। इसलिए, अन्य भाषाओं में भी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
- मेडिकल सुविधाएं: याचिका में सभी राज्यों के मेडिकल स्टाफ, जैसे डॉक्टर और नर्सों की तैनाती की मांग की गई है। इसका कारण यह है कि एक राज्य इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त मेडिकल स्टाफ उपलब्ध नहीं करा सकता।
- वीआईपी मूवमेंट पर रोक: याचिका में वीआईपी मूवमेंट के कारण आम लोगों को होने वाली परेशानी को भी उठाया गया है। बुधवार को हुई भगदड़ के बाद यह आरोप लगाया गया कि वीआईपी मूवमेंट के कारण ही भगदड़ शुरू हुई।
गैर-हिंदी भाषी लोगों की समस्याएं
याचिका में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि महाकुंभ में देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को हिंदी भाषा के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शहर में लगे डिस्प्ले और अनाउंस बोर्ड हिंदी में हैं, जिससे गैर-हिंदी भाषी लोगों को आपातकालीन सूचनाएं समझने में दिक्कत होती है। इसलिए, याचिका में अन्य भाषाओं में भी सूचनाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
मेडिकल सुविधाओं को लेकर क्या कहा गया ?
याचिका में यह भी कहा गया है कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में मेडिकल सुविधाओं की कमी नहीं होनी चाहिए। सभी राज्यों के मेडिकल स्टाफ की तैनाती की जानी चाहिए, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।
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प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना ने सुरक्षा और प्रबंधन की कमियों को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में इन कमियों को दूर करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल प्रयागराज महाकुंभ, बल्कि भविष्य में होने वाले सभी बड़े आयोजनों के लिए एक मिसाल कायम करेगा।