ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो का डंका इस समय पूरी दुनिया में बज रहा है. इसरो की मेहनत का परिणाम है कि आज भारत अंतरिक्ष की दुनिया में अपना लोहा मनवा रहा है. इसी बीच इसरो फिर एक बार अंतरिक्ष में कमाल करने को तैयार है. दरअसल, इसरो 29 फरवरी को अपनी 100वीं लॉन्चिंग करेगा. इसरो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ15 मिशन को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है और इसको लेकर चर्चाएं भी जारी हैं. मिली जानकारी के अनुसार स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाला जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट, एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करेगा.
इस मिशल को काफी खास माना जा रहा है. इस मिशन को लेकर इसरो ने जानकारी देते हए एक पोस्ट किया है जिसमें लिखा है “अपने कैलेंडर पर निशान लगा लें! GSLV-F15/NVS-02 मिशन का प्रक्षेपण 29 जनवरी, 2025 को 06:23 बजे IST पर SDSC SHAR, श्रीहरिकोटा से निर्धारित है.इस मिशन को लेकर इसरो का कहना है कि एनवीएस-02 में सटीक समय अनुमान के लिए स्वदेशी और खरीदी गई परमाणु घड़ियों के संयोजन का उपयोग किया गया है. इसरो ने बताया है कि GSLV-F 15 भारत के जीएसएलवी की 17वीं उड़ान और स्वदेशी क्रायो चरण के साथ 11वीं उड़ान है.
अब बात अगर एनवीएस की करें तो एनवीएस-02, एनएवीआईसी उपग्रहों की नई पीढ़ी का हिस्सा है जो मई 2023 में लॉन्च किए गए एनवीएस-01 की श्रेणी में शामिल हो रहा है. इस मिशन को लेकर बताया गया है कि इस मिशन के माध्यम से इसरो ने न केवल अपने अंतरिक्ष तकनीकी क्षेत्र में सिद्धता प्राप्त की है, बल्कि स्वदेशी तकनीकों के विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया है. गौरतलब है कि इसरो रोज कुछ नया कर रहा है. इसरो आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल पेश रहा है.
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हाल ही के दिनों में जिस तर से इसरो ने अंतरिक्ष की दुनिया में सफलता पाई है उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. आगे आने वाले दिनों में इसरो गगनयान मिशन लॉन्च करने जा रहा है. इस मिशन पर दुनिया की नजर है. इस मिशन के माध्य से भारत का प्रयास है अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की क्षमता हासिल करने की. इस दिशा में ये पहला प्रयास होगा. भारत इसरो गगनयान परियोजना के तहत मानवयुक्त चालक दल को रवाना करने से पहले अंतरिक्ष में एक मानवरहित मिशन भेजने की योजना बना रहा है.