Kota student suicide: राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा, जो अपने कोचिंग सेंटर और शैक्षणिक माहौल के लिए जानी जाती है, बीते कुछ समय से छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं के कारण चर्चा में है। हाल ही में, एक ही दिन में दो छात्रों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। गुजरात की रहने वाली अफ्शा शेख (23) ने अपने पीजी के कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। इसके साथ ही, असम के नागोन शहर के निवासी पराग ने भी आत्महत्या कर ली। यह घटनाएं कोटा में छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव और उनकी चिंताओं को उजागर करती हैं।
जनवरी 2025 में अब तक कोटा में छह छात्रों ने आत्महत्या की है। यह आंकड़ा गंभीर चिंता का विषय है। इन घटनाओं के बावजूद, कई पीजी और हॉस्टल में गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जा रहा, जैसे पंखों में एंटी-हैंगिंग डिवाइस का न लगना।
शिक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बच्चों पर पढ़ाई का दबाव और उनकी क्षमता से अधिक उम्मीदें इस समस्या का मुख्य कारण हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों की मानसिक स्थिति को समझें और अनावश्यक दबाव न डालें।
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मानसिक स्वास्थ्य और नैतिक शिक्षा का महत्व
जयपुर एजुकेशन समिट में इस विषय पर गहन चर्चा हुई। एक निजी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रेणु जोशी ने पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। महिला अधिकार कार्यकर्ता डॉ. ममता शर्मा ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के महत्व को रेखांकित किया।
समाधान की दिशा में कदम
कोटा में छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रशासन को कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श अनिवार्य करना चाहिए। इसके साथ ही, छात्रों और अभिभावकों के बीच संवाद को बढ़ावा देना आवश्यक है। पंखों में एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगाना सुनिश्चित करना और छात्रों को उनके व्यक्तिगत समय और आराम के लिए प्रेरित करना भी जरूरी है।
छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज के लिए एक चेतावनी हैं। यह समय है कि हम न केवल शैक्षिक सफलता, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और नैतिक मूल्यों पर भी ध्यान केंद्रित करें।