Saturday, November 16, 2024
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RSS Chief Mohan Bhagwat: ‘कभी-कभी अपने लोगों पर डंडा चलाना पड़ता है’, RSS चीफ मोहन भागवत ने ऐसा क्यों कहा?

RSS Chief Mohan Bhagwat: गुरुग्राम स्थित एसजीटी विश्वविद्यालय में भारतीय शिक्षण मंडल के ‘विविभा 2024: विजन फॉर विकसित भारत’ कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के अलावा नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. कैलाश सत्यार्थी और इसरो चीफ एस सोमनाथ भी पहुंचे। इसके साथ ही शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुग्राम में आयोजित “विजन फॉर विकसित भारत-(विविभा) 2024” सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया। ‘विविभा-2024’ को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने देश-दुनिया के कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि आज समय विकसित भारत की मांग कर रहा है

“कभी कभी अपने लोगों पर डंडा चलाना पड़ता है..”

भारत की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक पद्धतियों के साथ एकीकृत करके युवाओं में शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शोधार्थियों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘दृष्टि की समग्रता ही भारत की विशेषता है। जब तकनीकी प्रगति के मापदंडो की बात आती है तो मात्र चार प्रतिशत आबादी को 80 प्रतिशत संसाधन मिलते हैं। ऐसे विकास के लिए लोगों को पूरी मेहनत से काम करना पड़ता है। नतीजे न मिलने पर निराशा होती है और ऐसी स्थिति में कभी कभी कठोर कदम उठाने पड़ते हैं और अपने लोगों पर ही डंडा चलाना पड़ता है, जो आज की स्थिति में साफतौर से देखा जा सकता है।’

उन्होनें आगे कहा, ‘आज तक हमारे देश में सभी प्रकार के विचारों को लेकर प्रयोग हुए और पूरे विश्व पर हावी हो गए, लेकिन जहां से ये प्रयोग हुए वहीं अब इनकी विफलता चिंतकों के ध्यान में आती हैं। देश में विकास हुआ था पर्यावरण की समस्याएं भी खड़ी हुई। अभी शास्त्रार्थ चलता है कि विकास करें या पर्यावरण की रक्षा करें। मनुष्य को दोनों को साथ लेकर चलना पड़ेगा, जीवन तभी चलेगा।’

इसरो चीफ सहित नोबले शांति विजेता भी रहे मौजूद

बता दें कि उद्घाटन समारोह के दौरान इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ और नोबेल शांति विजेता कैलाश सत्यार्थी की मौजूदजी में आरएसएस के सरसंघचालक पूज्य मोहन भगवत जी ने एक विशाल प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया। इस प्रदर्शनी के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया कि सनातनी शिक्षा से लेकर आधुनिक शिक्षा तक के सफर में भारत कहां है।

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