Bhartiye Shikshan Mandal: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम में भारत की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक पद्धतियों के साथ एकीकृत करके युवाओं में शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शोधार्थियों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है. गुरुग्राम में आयोजित “विजन फॉर विकसित भारत-(विविभा) 2024” सम्मेलन का उद्घाटन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दीप प्रज्वलित कर किया.
कार्यकम में संघ प्रमुख मोहन भागवत, समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी और इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ मुख्य अतिथी के रूप में उपस्थित रहे. आपको बता दे कि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बीआर शंकरानंद, भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी, भारतीय शिक्षण मंडल के विशेष संपर्क प्रमुख डॉ. राजन चोपड़ा समेत अन्य गणमान्यों की गरिमामई उपस्थिती देखने को मिली.
इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी ने मंच पर उपस्थित संघ प्रमुख मोहन भागवत ,संघ प्रमुख मोहन भागवत, समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी, इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ को शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंच पर उपस्थित अतिथी और कार्यक्रम में उपस्थिती शोधार्थियों का स्वगात किया. उन्होंने विकसित भारत क्यों चाहिए इस पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि समय विकसित भारत की मांग कर रहा है.
संघ प्रमुख मोहन भागवन ने विकास और पर्यावरण पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें विकास और पर्यावरण दोनों को साथ लेकर चलना होगा. उन्होंने विकसित देशों और उनके संसाधनों की खपत की चर्चा की. इस दौरान मोहन भागवत ने धर्म के चार स्तंभों की चर्चा की.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने मिशन चंद्रयान का जिक्र किया और कहा कि आप सभी ने चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग को देखा और ये एक दिन का काम नहीं था. उन्होंन कहा कि ये हमारे स्पेस रिसर्च की वर्षों की मेहनत का परिणाम है.
उन्होंने इस दौरान चंद्रयान मिशन को लेकर बातें की और लोगों को बताया कि किस तरह से इसरो ने इस मिशन को पूरा किया. उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग ने हम भारतीयों को गौरवानवित करने का काम किया है. साथ इस दौरान स्पेस और स्पेस इकोनॉमी की भी बातचीत की.
इसी क्रम में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ये पहली बार हो रहा कि पोने 2 लाख शोधार्थी में से 1 हजार शोधार्थी एक ही जगह मौजूद है. उन्होंने कहा कि जब हम विकसित भारत की संकल्प के साथ बैठें है तो ये एक नए यज्ञ की शुरूआत है. उन्होंने इस दौरान कहा विकसित भारत के लिए क्या कुछ जरूरी है इस बारे में चर्चा की.