यूजीसी नेट डेटा की देरी बनी बाधा
जेएनयू प्रशासन के अनुसार, पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में देरी का मुख्य कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा नेट परीक्षा का डेटा उपलब्ध नहीं कराना है। प्रवेश शाखा के अधिकारियों का कहना है कि यूजीसी को डेटा भेजने के लिए रिमाइंडर दिया गया है, और संभावना है कि अगले सप्ताह तक डेटा प्राप्त हो जाएगा। यदि डेटा सही पाया गया, तो प्रवेश प्रक्रिया की अधिसूचना एक दिन के भीतर जारी कर दी जाएगी।
प्रोस्पेक्टस जारी करने की मांग
छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए प्रोस्पेक्टस को तुरंत जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रशासन पर स्पष्टता की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रों को यह जानकारी नहीं दी जा रही है कि प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हो रही है। धनंजय ने यूजीसी नेट आधारित प्रवेश प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह प्रणाली जेएनयू के उन विशेष केंद्रों के लिए उपयुक्त नहीं है, जिनके लिए नेट में विषय उपलब्ध नहीं हैं।
विशेष केंद्रों में प्रवेश प्रक्रिया पर असमंजस
कोरियन स्टडीज, इनफॉर्मल लेबर स्टडीज, और स्कूल ऑफ आर्ट एंड एस्थेटिक्स जैसे केंद्रों में पीएचडी प्रवेश को लेकर स्थिति असमंजस में है। इन केंद्रों के लिए यूजीसी नेट परीक्षा के तहत कोई स्पष्ट पेपर उपलब्ध नहीं है। जेएनयू प्रशासन ने इन केंद्रों में अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है।
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छात्रों का विरोध और प्रशासन का पक्ष
जेएनयू प्रशासन का कहना है कि इन केंद्रों के लिए विकल्प सुझाए गए हैं। उदाहरण के लिए, आर्ट एंड एस्थेटिक्स के लिए थिएटर और विजुअल आर्ट से संबंधित पेपर और इनफॉर्मल लेबर स्टडीज के लिए अर्थशास्त्र विषय के माध्यम से प्रवेश की व्यवस्था हो सकती है। प्रशासन के अनुसार, छात्र इस समाधान को स्वीकार करने के बजाय विरोध पर अड़े हुए हैं।
छात्रों की मांग और भविष्य की राह
छात्र संघ ने जेएनयू की अपनी ऐतिहासिक प्रवेश परीक्षा प्रणाली को बहाल करने की मांग की है, जो अधिक समावेशी और केंद्र-विशिष्ट थी। छात्रों का कहना है कि वर्तमान यूजीसी नेट आधारित प्रणाली, प्रवेश में देरी का कारण बन रही है और विशिष्ट विषयों के छात्रों के लिए अनुचित है।
अधिकारी हालांकि, इन केंद्रों को नेट में शामिल करने के लिए यूजीसी को पत्र भेजने की बात कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जैसे ही डेटा उपलब्ध होगा, प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी। छात्रों को उम्मीद है कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी चिंताओं का समाधान करेगा और जल्द से जल्द प्रक्रिया को सुचारू रूप से आरंभ करेगा।
पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में देरी से छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। यह आवश्यक है कि विश्वविद्यालय पारदर्शिता और संवाद बनाए रखते हुए छात्रों की चिंताओं का समाधान करे। केवल सही दिशा में त्वरित कदम उठाने से ही इस समस्या का हल निकलेगा और छात्रों का विश्वास बहाल होगा।