Friday, November 22, 2024
MGU Meghalaya
HomeभारतयूपीPrayagraj UPPSC Aspirants Protest: प्रयागराज में ड्रम और नगाड़ों के शोर में...

Prayagraj UPPSC Aspirants Protest: प्रयागराज में ड्रम और नगाड़ों के शोर में यह नारा गूंजता रहा- जुड़ेंगे और जीतेंगे भी

Prayagraj UPPSC Aspirants Protest: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यूपीपीएससी (उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग) के कार्यालय के बाहर प्रतियोगी छात्रों का विरोध प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी है। छात्रों ने पीसीएस (पुब्लिक सर्विस कमीशन) और आरओ/एआरओ (रिवेन्यू ऑफिसर/ असिस्टेंट रिवेन्यू ऑफिसर) परीक्षाओं को एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित करने की मांग की है। इसके अलावा, नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) के खिलाफ भी उन्होंने आवाज उठाई है। इस विरोध में यूपीपीएससी की परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और छात्र यह दावा कर रहे हैं कि नॉर्मलाइजेशन के लागू होने से परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित होगी, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।

प्रदर्शन का कारण

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर 2024 को और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को निर्धारित की हैं। यह परीक्षा एक ही समय में दो बड़ी परीक्षाएं आयोजित करने की योजना है, जिससे छात्र परेशान हैं, क्योंकि कई अभ्यर्थी दोनों परीक्षाओं के लिए आवेदन कर चुके हैं। इसके अलावा, नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लेकर भी छात्रों के बीच असंतोष है। नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य विभिन्न परीक्षाओं के बीच समानता लाना होता है, ताकि प्रश्नपत्र की कठिनाई के अनुसार छात्रों को अंक मिल सकें। हालांकि, छात्रों का कहना है कि इससे उनकी परीक्षा में निष्पक्षता नहीं बनेगी और यह भविष्य में भ्रष्टाचार का कारण बन सकता है।

धरने का माहौल

धरने के दौरान अभ्यर्थी नारे लगा रहे थे और प्रदर्शनकारियों के साथ ड्रम और नगाड़ों का शोर गूंज रहा था। “जुड़ेंगे और जीतेंगे” और “न तो सोएंगे, न सोने देंगे” जैसे नारे प्रतिदिन सुनाई दे रहे हैं। धरना स्थल पर अभ्यर्थियों ने आयोग के खिलाफ पोस्टर भी लगाए हैं। इन पोस्टरों में “पहले आओ, पहले पाओ” और नॉर्मलाइजेशन लागू होने पर विभिन्न पदों के लिए रेट लिस्ट जारी की गई है, जिसमें भ्रष्टाचार के संकेत दिए गए हैं।

ये भी पढ़े:-Prayagraj : प्रयागराज में स्पा सेंटरों पर छापा,13 महिलाओं और युवतियों सहित कुल 20 गिरफ्तार

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रदर्शन की स्थिति को संभालने के लिए पुलिस की तैनाती की गई है, साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) भी मौजूद है। पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें शांतिपूर्वक धरना स्थल को छोड़ने की अपील की, साथ ही सिविल लाइंस स्थित दूसरे धरना स्थल पर जाने का सुझाव दिया। हालांकि, छात्रों ने किसी भी तरह की बातचीत को नकारा किया और कहा कि वे वहीं रहेंगे।

इस दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों के परिवारों को धमकाए जाने का आरोप भी सामने आया। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके परिवार के सदस्यों को धमकी दी, ताकि वे आंदोलन से हट जाएं। वहीं, समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने कहा कि अगर पुलिस ने अपना रवैया नहीं सुधारा तो वे न्यायालय का रुख करेंगे।

काला दिवस

13 नवंबर को प्रतियोगी छात्रों ने काला दिवस मनाया, जिसमें छात्रों ने काले कपड़े पहनकर अपना विरोध जताया और सोशल मीडिया पर भी इसे प्रदर्शित किया। विरोध में शामिल होने के लिए छात्रों ने अपनी तस्वीरों को भी काले रंग में प्रदर्शित किया। यह विरोध छात्रों के लिए एक आंदोलन का रूप ले चुका है, और यह पहली बार है जब यूपीपीएससी के इतिहास में एक साथ दो परीक्षाओं को लेकर विरोध हो रहा है।

विशेषज्ञों की राय

इस बीच, शिक्षाविदों और विषय विशेषज्ञों ने छात्रों से अपील की है कि वे नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को समझे बिना विरोध न करें। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने कहा कि छात्रों को पहले मानकीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से समझना चाहिए, क्योंकि यह प्रशासनिक सेवाओं में गुणवत्ता सुधार का एक प्रयास है। काउंसलर डॉ. अपूर्वा भार्गव ने भी कहा कि नॉर्मलाइजेशन का विरोध बिना सही जानकारी के करना उचित नहीं है, क्योंकि यह परीक्षाओं में सुधार की दिशा में एक कदम हो सकता है।

एफआईआर और गिरफ्तारी

धरने के दौरान सरकारी बैरियर और कोचिंग के बोर्ड तोड़ने पर 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें दो नामजद आरोपी हैं। इसके अलावा, माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर पुलिस ने 10 लोगों को हिरासत में लिया है। इनसे पूछताछ जारी है।

इस समय प्रयागराज में चल रहा विरोध प्रदर्शन यूपीपीएससी के इतिहास में एक नया मोड़ है। एक तरफ छात्र नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ हैं, तो दूसरी तरफ आयोग द्वारा निर्धारित परीक्षा तिथियों का पालन किया जा रहा है। यह आंदोलन अब न सिर्फ यूपी के छात्रों तक सीमित रहा है, बल्कि अन्य राज्यों के छात्रों ने भी इसमें भाग लिया है। छात्रों का कहना है कि उनका ध्यान नॉर्मलाइजेशन की बजाय परीक्षा की तैयारी पर होना चाहिए, लेकिन लगातार चल रहे विरोध प्रदर्शन ने उनकी परीक्षा की तैयारी में भी व्यवधान डाला है।

आखिरकार, इस आंदोलन का परिणाम क्या होगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन यह निश्चित है कि यूपीपीएससी की परीक्षा प्रणाली और नॉर्मलाइजेशन पर व्यापक बहस हो रही है, जिसका प्रभाव आने वाले समय में अन्य राज्यों की परीक्षा प्रणालियों पर भी पड़ सकता है।

- Advertisment -
Most Popular