Thursday, November 14, 2024
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Bhairava Ashtami Date 2024 : जानिए कैसे हुई कालभैरव की उत्पत्ति और इनकी पूजा से क्या होता है ?

Bhairava Ashtami Date 2024 :हर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान कालभैरव को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष के महीने में कालभैरव जयंती मनाई जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इसी महीने में भगवान कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी।

Bhairava Ashtami Date 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार साल में आने वाले सभी तिथियां आध्यात्मिक रुप से शुभ मानी जाती हैं। हर एक तिथि किसी न किसी भगवान या भगवान के किसी रुप को समर्पित होती है। सभी तिथियों (Bhairava Ashtami) और दिन का अलग महत्व होता है। उस महत्व के अनुसार पूजा, व्रत और नियम करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इसी तरह हर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान कालभैरव को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष के महीने में कालभैरव जयंती मनाई जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इसी महीने में भगवान कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी।

Bhairava Ashtami Date 2024

कब मनाई जाती है कालभैरव जयंती?

कालभैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसे भैरव अष्टमी और भैरव जयंती के नाम से भी मनाया जाता है।

इस वर्ष कब है कालभैरव जयंती? | Bhairava Ashtami Date 2024

इस वर्ष कालभैरव जयंती 22 नंवबर 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

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कैसे हुई कालभैरव की उत्पत्ति? | Bhairava Ashtami Date 2024

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कालभैरव को भगवान शिव का ही रुप माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच इस बात पर विवाद हो रहा था कि कौन सृष्टि में पहले आया। तब ब्रह्मा जी ने खुद को विजय बनाने के लिए भगवान विष्णु के साथ छल किया। जिससे भगवान शिव को क्रोध आया। उसी क्रोध के कारण उनके शरीर से एक तेज निकला जिससे भगवान कालभैरव की उत्पत्ति हुई।

कालभैरव ने जब ब्रह्मा जी को मारने का प्रयास किया। तब भगवान शिव ने अपने शांत स्वरुप में उन्हें शांत कराया। कालभैरव को भगवान शिव का रौद्र रुप माना जाता है। भगवान शिव के द्वारा कालभैरव को काशी का महापौर नियुक्त किया गया।

कालभैरव की पत्नी को भी माता पार्वती का ही अवतार माना जाता है। जब भगवान शिव ने अपने शरीर से कालभैरव को प्रकट किया तभी उन्होनें माता पार्वती से भी अपना एक रुप प्रकट करने को कहा। माता पार्वती के शरीर से एक अंश प्रकट हुआ जो कालभैरव की पत्नी बनीं। जिस कारण उन्हें भैरवी नाम से जाना जाता है।

Bhairava Ashtami Date 2024

कैसे करें कालभैरव जयंती की पूजा?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कालभैरव की पूजा मुख्य रुप से रात में की जाती है।

काल भैरव जयंती के दिन सूर्य अस्त होने के बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।

अगर हो सके तो घर के मंदिर में भैरव यंत्र की स्थापना करें नहीं तो भगवान शिव की प्रतिमा को भी स्थापित कर सकते हैं।

प्रतिमा या यंत्र को रोली या हल्दी का तिलक लगाएं और चावल चढाएं।

भगवान कालभैरव के जन्म की कथा पढें और आरती करें।

यंत्र या प्रतिमा के आगे सरसों के तेल की दीया जलाएं और नीले रंग के फूल चढाएं।

भगवान कालभैरव को दही और गुङ का भोग लगाएं।

अंत में कालभैरव से अपने जीवन के सभी कष्टों को खत्म करने की विनती करें और सुख-शांति की प्रार्थना करें।

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