Rama Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व होता है। एक साल में कुल 24 एकादशियाँ आती हैं। हर महीने 2 एकादशी आती हैं। एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष। साल में आने वाली सभी एकादशियाँ भगवान विष्णु को समर्पित होती है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। कार्तिक का महीना हिंदू पंचांग में आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत विशेष फल देने वाला होता है।
इस महीने में कई बङे-बङे व्रत और त्योहार आते हैं। इसी तरह कार्तिक महीने में आने वाली एकादशी भी विशेष फल देने वाली होती है। इस एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। रमा एकादशी हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष रमा एकादशी 28 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार को मनायी जाएगी।
क्यों मनाई जाती है रमा एकादशी ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रमा एकादशी मनाने के पीछे एक कथा का वर्णन मिलता है। पूर्वकाल में मुचुकुन्द नाम के एक राजा थे, जो भगवान् विष्णु के बहुत बङे भक्त थे। मुचुकुन्द राजा की एक पुत्री थी जिसका नाम था चन्द्रभागा। राजा ने चन्द्रभागा का विवाह शोभन नाम के राजा से किया। एक बार शोभन अपने ससुर के घर मन्दराचल पर्वत पर आये। उनके यहाँ दशमी का दिन आनेपर समूचे ढिढोरा पिटवाया जाता था कि एकादशी के दिन कोई भी भोजन न करे। डंके की घोषणा सुनकर शोभन ने पत्नी चन्द्रभागा से कहा अब मैं क्या करुँ मैं भुखा नहीं रह सकता।
चन्द्रभागा बोली यहाँ पर एकादशी को कोई भी भोजन नहीं कर सकता। हाथी, घोड़े, हाथियों के बच्चे तथा अन्य पशु भी अन्न, घास तथा जल तृण का आहार नहीं करने पाते। यदि आप भोजन करेंगे तो आपकी बड़ी निन्दा होगी। इस प्रकार मन में विचार करके अपने चित्त को दृढ़ कीजिये। शोभन ने कहा तुम्हारा कहना सत्य है, मैं भी आज उपवास करूंगा। दैव का जैसा विधान है, वैसा ही होगा। इस प्रकार दृढ़ निश्चय करके शोभन ने व्रत के नियम का पालन किया। बिना भोजन के उनके शरीर में पीड़ा होने लगी और वे बहुत दुःखी हुए। भूखे रहते-रहते ही सूर्यास्त हो गया। रात्रि में जब भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत खोला जाता है।
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उस समय ही शोभन के प्राण निकल गए। राजा मुचुकुन्द ने शोभन का वहीं दाह संस्कार किया और चन्द्रभागा अपने पिता के घर में ही रहने लगी। रमा एकादशी के व्रत में शोभना के प्राण जाने के कारण उसे मन्दराचल पर्वत के शिखर पर एक सुन्दर देवपुर प्राप्त हुआ। राजा मुचुकुन्द के नगर मे सोमशर्मा नाम के एक ब्राह्मण रहते थे। वे तीर्थयात्रा करते हुए मन्दराचल पर्वत पर पहुँचे। वहाँ उन्हें शोभन मिलें, उन्होने शोभन को पहचान लिया। शोभन ने भी सोमशर्मा को आसन देकर प्रणाम किया। शोभन ने अपने ससुर और उनके राज्य के सारे कुशल पुछी।
सोमशर्मा ने जब शोभन से पुछा कि तुम्हें इतने उत्तम और समृद्धिशाली नगर की प्राप्ति कैसे हुई। तब शोभन ने बताया कि रमा एकादशी के नाम के व्रत के फल से ही मुझे इस नगर की प्राप्ति हुई है। तब सोमशर्मा ने यही बात जाकर अपने नगर में सबको और चन्द्रभागा को बताया। तभी से रमा एकादशी के व्रत का लोगों में और भी महत्न बढ गया।
रमा एकादशी का महत्व | Rama Ekadashi 2024
रमा एकादशी सभी पापों को हरने वाली होती है। वैसे तो सभी एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है। माना जाता है इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने से और एकादशी के सभी नियम करने से जीवन में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करता है उसे अगले जन्म में एक सम्पन्न और परम जीवन और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही वह व्यक्ति सभी प्रकार के विकारों से मुक्त हो जाता है।