Wednesday, January 22, 2025
MGU Meghalaya
Homeसंपादकीय2050 तक वैश्विक जल संकट के गंभीर परिणामों पर ध्यान केंद्रित रिपोर्ट...

2050 तक वैश्विक जल संकट के गंभीर परिणामों पर ध्यान केंद्रित रिपोर्ट क्या कहती है ?

दुनिया में पानी की कमी एक गंभीर समस्याओं में से एक है. लगातार गिरता भू – जलस्तर चिंता का विषय है. हाली ही में ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2050 तक वैश्विक जल संकट के गंभीर परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट से न केवल दुनिया की अर्थव्यवस्था और खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है, बल्कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (ग्लोबल जीडीपी) में औसतन 8 प्रतिशत की हानि का भी अनुमान है।

कम आय वाले देशों में यह हानि 15 प्रतिशत तक हो सकती है। जलवायु परिवर्तन, अव्यवस्थित भूमि उपयोग, और जल संसाधनों के दुरुपयोग ने ग्लोबल वॉटर साइकल को अस्थिर बना दिया है, जिससे लाखों लोग और खाद्य सामग्री संकटग्रस्त क्षेत्रों में हैं। यह जल संकट अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक गहरा खतरा है।

रिपोर्ट के अनुसार, तीन अरब से अधिक लोग और वैश्विक खाद्य सामग्री का आधे से अधिक भाग उन क्षेत्रों में हैं, जहां पानी की उपलब्धता संकटपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश का पैटर्न अस्थिर हो गया है, जिससे जल संकट और बढ़ गया है। जैसे-जैसे पानी की उपलब्धता अस्थिर होती जा रही है, शहरों में भूजल की कमी के कारण जमीन धंसने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। पोत्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के डायरेक्टर और ग्लोबल कमीशन के सह-अध्यक्ष जोहान रॉकस्ट्रॉम ने चेतावनी दी है कि विश्व का जल चक्र संतुलन से बाहर हो गया है, जो मानव इतिहास में पहली बार हो रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में परिवर्तन ने बारिश के पैटर्न को अविश्वसनीय बना दिया है, जिससे जल संकट की स्थिति और गंभीर हो रही है।

ये भी पढ़ें :  Agriculture : भारत के अर्थव्यस्था की एक मजबूत कड़ी है ” कृषि क्षेत्र “

रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान जल प्रबंधन नीतियां जल के विविध मूल्यों को सुरक्षित करने और पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा करने में असमर्थ साबित हुई हैं। इसके कारण जल का अत्यधिक उपयोग हो रहा है, जिससे जल संकट और गहराता जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में जल-गहन उद्योग जैसे डेटा सेंटर और कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का विकास गलत स्थानों पर हुआ है, जिससे पानी की भारी मात्रा की आवश्यकता होती है। इस स्थिति को सुधारने के लिए जल प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है ताकि जल का कुशलता से उपयोग किया जा सके।

बेंगलुरु में ऐसे खत्म होगा जल संकट, इस तकनीक से भरी जाएंगी सूखी झीलें |  Bengaluru water crisis water to be filled in drying lakes to replenish  groundwater know details

रिपोर्ट में जल प्रबंधन की एक और महत्वपूर्ण कमी का उल्लेख किया गया है। अब तक जल प्रबंधन नीतियां नदियों, झीलों और भूजल जैसे स्रोतों पर केंद्रित रही हैं, जबकि “ग्रीन वॉटर” अर्थात मिट्टी और पौधों में नमी को नजरअंदाज किया गया है। ग्रीन वॉटर जल चक्र को संतुलित करने, वर्षा पैटर्न को स्थिर रखने और मिट्टी में कार्बन के भंडारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रीन वॉटर के संरक्षण से जल संकट को कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही यह कृषि और पारिस्थितिक तंत्र को भी सुरक्षित रख सकता है। इसके बिना, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई अधूरी रह सकती है।

इस रिपोर्ट के अनुसार जल संकट केवल जलविज्ञान का संकट नहीं है, बल्कि यह वैश्विक खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास और मानव कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। जल प्रबंधन को सुधारने और ग्रीन वॉटर के महत्व को समझकर जल संरक्षण की दिशा में प्रयास करना महत्वपूर्ण है। यह स्थिति नीति निर्माताओं और समाज के सभी वर्गों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। जल का कुशल प्रबंधन न केवल जल संकट को कम कर सकता है बल्कि एक स्थायी भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।

- Advertisment -
Most Popular