Monday, December 23, 2024
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परंपरा के चलते यहां पर होती है सगे भाई-बहन की आपस में शादी, अब कोर्ट ने लगाई रोक

Court bans Siblings Marriages in this Christian Community : भारत विविधता वाला देश हैं। इसमें अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं। हालांकि देश में सगे भाई-बहन की आपस में शादी की परंपरा के बारे में आपने शायद ही सुना होगा। लेकिन ये सच है। केरल के एक क्षेत्र में ईसाई समुदाय के लोगों की सीमित आबादी वाला एक समुदाय रहता है। उनकी परंपरा है कि उनमें सगे भाई-बहनों की आपस में शादी कराई जाती है। इस परंपरा के पीछे का उनका तर्क भी बहुत अलग है।

इस समुदाय से तालुक रखते है ये लोग

केरल में रहने वाले यह लोग ईसाई धर्म से कनन्या कैथोलिक समुदाय के है, जो जातिगत रूप से खुद को बहुत शुद्ध मानते है। इसी शुद्धता को बनाए रखने के लिए इनके यहां सगे भाई-बहनों की आपस में शादी कराई जाती है। इस समुदाय के लोग अपने आपको उन 72 यहूदी-ईसाई परिवारों का वंशज मानते है। जो 345 ईस्वीं में थाॅमस ऑफ किनाई व्यापारी के साथ मेसोपोटामिया से केरल आए थे। कनन्या कैथोलिक समुदाय को पहले के समय में किनाई के नाम से जाना जाता था। केरल के कोट्टायम के इलाके में इस समुदाय के लगभग 1.67 लाख लोग रहते हैं। इनमें से 218 पादरी और नन से तालुक रखते हैं।

इस शर्त पर अपनाता है समुदाय

इस समुदाय का कोई व्यक्ति अगर समुदाय से बाहर शादी करता है तो उसे समाज से पूर्ण रूप से बहिष्कृत कर दिया जाता है। साथ ही उस व्यक्ति पर चर्च और कब्रिस्तान जाने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है। इसके अलावा वह व्यक्ति अपने परिवार के किसी भी सदस्य से नहीं मिल सकता और न ही अपने परिवार व रिश्तेदार के शादी और आयोजनों में जा सकता है।
हालांकि समाज से बहिष्कृत होने के बाद एक बार फिर समाज में व्यक्ति को कुछ शर्तों पर वापस लिया जाता है। जिस लड़के ने समुदाय से बाहर जाकर किसी बाहरी लड़की से शादी कर ली है लेकिन अगर उस बाहरी लड़की की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति को कुछ शर्तो के साथ समाज में वापस ले लिया जाता है। शर्त ये होती है कि उस लड़के को फिर से अपने समुदाय की किसी लड़की से शादी करनी होगी। इसके अलावा अगर पहली पत्नी यानी बाहरी लड़की से कोई संतान है तो उस बच्चे को समुदाय में नहीं लिया जाता। गौरतलब है कि महिलाओं के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

कोर्ट में पहुंचा मामला

कनन्या समुदाय से तालुक रखने वाले एक व्यक्ति ने सांथा जोसेफ से शादी की थी। जो ईसाई धर्म से तो थी लेकिन कनन्या समुदाय से नहीं थी। इसलिए उसके पति को समुदाय से बहिष्कृत कर दिया गया था। सांथा के पति के माता-पिता के मौत के बाद जोसेफ ने कोर्ट में संस्था के माध्यम से अपील दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था उनके पति के उस कब्रिस्तान में जाने पर भी रोक लगा दी गई, जहां उनके माता-पिता के शव को दफनाया गया है।
बता दें कि इस परंपरा से पीड़ित लोगों ने कनन्या कैथोलिक नवीकरण समिति नाम से एक संस्था बनाई है। जो इस परंपरा के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर करते है। कोर्ट ने अब सुनवाई करते हुए भाई-बहनों की आपस में शादी कराने वाली परंपरा पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा, यह कोई धार्मिक मामला नहीं है, इसलिए यह परंपरा बंद होनी चाहिए।

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