Bangladesh Infiltration:बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के हालिया पतन के बाद देश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता ने कई गंभीर मसलों को जन्म दिया है। इनमें सबसे प्रमुख मसला भारत में हो रही बढ़ती अवैध घुसपैठ का है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो संगठित रूप से बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध तरीके से भारत में प्रवेश कराने में शामिल है। इस रैकेट के मुख्य भारतीय मास्टरमाइंड को बीएसएफ ने पकड़ा है, जिससे पूछताछ में बांग्लादेशी दलालों और इस रैकेट के पूरे तंत्र का भी खुलासा हुआ है।
बीएसएफ की कार्रवाई और मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी
बीएसएफ ने अपने दक्षिण बंगाल फ्रंटियर की 118 बटालियन के जवानों की सहायता से इस रैकेट के एक मुख्य सदस्य को गिरफ्तार किया है, जो पश्चिम बंगाल के हेमनगर कोस्टल एरिया के कालीतला गांव का निवासी है। इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास शमशेर नगर चौकी पर 13 अक्टूबर को तड़के करीब 3:30 बजे पकड़ा गया। इसके कब्जे से घुसपैठ के विभिन्न दस्तावेज और अन्य सबूत भी बरामद किए गए हैं।
इस आरोपी ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह करीब दो वर्षों से बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में घुसपैठ कराने का कार्य कर रहा था। उसने बताया कि श्यामनगर में स्थित रैकेट का मुख्य सरगना बांग्लादेश के अन्य साथियों के साथ मिलकर लोगों को नाव के जरिए भारतीय सीमा तक पहुंचाता था। इसके बाद भारतीय दलाल उन्हें अपने संपर्क में लेकर पश्चिम बंगाल में छोड़ देते थे। इस पूरे अवैध कार्य के लिए प्रति बांग्लादेशी नागरिक से 3500 बांग्लादेशी टका वसूला जाता था।
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घुसपैठ के खुलासे के बाद सतर्कता बढ़ी
बीएसएफ की इस कार्रवाई के बाद संबंधित अन्य एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है, ताकि मामले की गहनता से जांच की जा सके। अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ सामान्य नागरिकों को भारत में अवैध प्रवेश दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आतंकी तत्वों की घुसपैठ की भी संभावना हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए आरोपी को अन्य सुरक्षा एजेंसियों के सुपुर्द किया गया है, जिससे कि इस रैकेट के अन्य संभावित सदस्यों और उनकी भूमिका की पूरी तहकीकात की जा सके।
जांच में जुटी एजेंसियां और बढ़ती चिंता
बीएसएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी इस मामले की जांच में सक्रिय हैं। बीएसएफ के डीआईजी एन के पांडेय ने जानकारी दी कि इस बारे में पहले ही खुफिया इनपुट प्राप्त हुआ था, जिस पर कार्यवाही करते हुए सीमा पर निगरानी बढ़ाई गई थी। रैकेट के भारतीय मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों को उम्मीद है कि इस पूरे तंत्र के अन्य सदस्य भी जल्द ही गिरफ्त में होंगे और इस रैकेट का पूर्णत: खात्मा हो सकेगा।
इस घटनाक्रम ने पश्चिम बंगाल और भारत-बांग्लादेश सीमा के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत में पहले से ही बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ एक बड़ी समस्या रही है, जो विभिन्न राज्यों में कानून व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न करती रही है। इस प्रकार की अवैध घुसपैठ न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि इसके जरिए संगठित अपराध और आतंकवाद के नए रास्ते भी खुल सकते हैं।
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बांग्लादेशी सरगना की भूमिका और रैकेट का ऑपरेशन
जांच के दौरान भारतीय मास्टरमाइंड ने बताया कि इस रैकेट का संचालन बांग्लादेश के श्यामनगर में स्थित एक सरगना कर रहा था। यह सरगना बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में प्रवेश दिलाने के लिए अपनी तीन टीमों के साथ मिलकर संगठित तरीके से काम करता था। बांग्लादेश के इन दलालों का काम होता था लोगों को नावों के जरिए नदी के रास्ते भारतीय सीमा तक पहुंचाना। उसके बाद यह भारतीय मास्टरमाइंड उन्हें सीमा के दूसरी तरफ लेकर पश्चिम बंगाल के गांवों में प्रवेश करा देता था।
गिरफ्तार मास्टरमाइंड ने माना कि उसने पिछले कुछ वर्षों में लगभग 100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध रूप से प्रवेश कराने में मदद की है। इससे यह साफ होता है कि इस रैकेट ने बड़ी संख्या में लोगों को अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ कराई है, जिसके आर्थिक लाभांश इस संगठित गिरोह के हाथ में गए हैं।
अवैध घुसपैठ का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
भारत के लिए बांग्लादेश से होने वाली इस अवैध घुसपैठ का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर है। अक्सर देखने में आया है कि अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करने वाले नागरिक विभिन्न प्रकार की आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, आतंकी संगठन और असामाजिक तत्व भी इस मार्ग का उपयोग कर भारत में प्रवेश कर सकते हैं। इस कारण सीमा सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों को लगातार सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
पश्चिम बंगाल का भौगोलिक स्थान इसे भारत-बांग्लादेश सीमा के मुख्य केंद्रों में से एक बनाता है। इस सीमा क्षेत्र में कई नदी और जल मार्ग होने के कारण यहां पर अवैध घुसपैठ की संभावना अधिक रहती है। भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध होने के कारण भी कई लोग इस सीमा के पार जाने का प्रयास करते हैं। इसी का फायदा अवैध तस्कर और दलाल उठा रहे हैं, जो अपने फायदे के लिए लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती
बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह रैकेट एक बड़ी चुनौती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी और पेट्रोलिंग के माध्यम से अवैध गतिविधियों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद ऐसे संगठित गिरोहों का सक्रिय होना यह दर्शाता है कि सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है। बीएसएफ द्वारा इस मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस रैकेट के अन्य सदस्यों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंरिक स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि बांग्लादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ को रोका जाए। इसके लिए न केवल भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक सहयोग की आवश्यकता है, बल्कि बॉर्डर क्षेत्र में सुरक्षात्मक उपायों को भी बढ़ावा देना अनिवार्य है।