Friday, October 18, 2024
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Bahraich Violence: बहराइच में फिर भड़की हिंसा, एक की मौत

Bahraich Violence: बहराइच, उत्तर प्रदेश के महराजगंज इलाके में रविवार को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई पत्थरबाजी, फायरिंग और आगजनी की घटना ने पूरे इलाके में तनाव और भय का माहौल उत्पन्न कर दिया। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए एक चुनौती बनी हुई है, बल्कि इससे सांप्रदायिक तनाव और जन-सुरक्षा पर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस हिंसा में एक युवक, रामगोपाल मिश्रा, की जान चली गई और 12 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पूरे कस्बे में तनाव बरकरार है, और प्रशासन ने वहां भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी है।

Bahraich Violence : घटना का पूरा विवरण

महराजगंज में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान यह बवाल तब शुरू हुआ जब गाने को लेकर दो समुदायों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। स्थानीय लोगों के अनुसार, जब दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए महराजगंज कस्बे से गुजर रही थी, तभी दूसरे समुदाय के कुछ युवकों ने गाली-गलौज शुरू कर दी। विरोध करने पर उन लोगों ने छतों से पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। इससे दुर्गा प्रतिमा को नुकसान पहुंचा, जिसके कारण पूजा समिति के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

इस दौरान हिंसा और अधिक बढ़ गई, और आरोपों के अनुसार, 24 वर्षीय रामगोपाल मिश्रा को दूसरे समुदाय के लोगों ने घर में घसीटकर ले जाकर बेरहमी से पिटाई की और उसे गोली मार दी। इस घटना में राजन नाम का एक व्यक्ति भी गंभीर रूप से घायल हो गया। यह मामला संपूर्ण जिले में आक्रोश का कारण बना और जनता ने विरोध में बहराइच-सीतापुर और बहराइच-लखनऊ हाईवे को जाम कर दिया। घटना के बाद जिले के अन्य इलाकों में भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

प्रशासन की भूमिका और पुलिस पर सवाल

घटना के बाद, प्रशासन पर आरोप लगाए गए कि पुलिस की भूमिका घटना में निष्क्रिय बनी रही। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब गाली-गलौज और पथराव शुरू हुआ तब स्थानीय पुलिस एसओ मौके पर मौजूद नहीं थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान, पुलिस ने विसर्जन में शामिल लोगों पर ही लाठीचार्ज कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई और मौके की नाजुक स्थिति का फायदा उठाकर दूसरे समुदाय के लोगों ने रामगोपाल को उठा लिया। पुलिस पर यह भी आरोप लगा कि उसने मामले में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद, लापरवाही बरतने के कारण हरदी थाने के प्रभारी और महसी चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। पूरे कस्बे में कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है और एसपी वृंदा शुक्ला समेत अन्य पुलिस अधिकारी वहां कैंप कर रहे हैं। डीजीपी प्रशांत कुमार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए एडीजी जोन गोरखपुर केएस प्रताप कुमार और डीआईजी देवीपाटन रेंज अमरेंद्र प्रताप सिंह को वहां भेजा है।

अन्य समुदाय की प्रतिक्रिया और सुरक्षा बलों की तैनाती

स्थानीय प्रशासन ने घटना के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए छह थानों की पुलिस और दो प्लाटून पीएसी तैनात की है। गोंडा और बलरामपुर में भी इस घटना के कारण सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गई है। प्रतिमा विसर्जन को देखते हुए वहां पहले ही तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी, बावजूद इसके पुलिस द्वारा कोई अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध नहीं किया गया।

Bahraich Violence : पुलिस पर लगाए गए गंभीर आरोप और प्रशासन की निष्क्रियता

इस घटना ने पुलिस और प्रशासन के कार्यों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि जब पूजा समिति के सदस्यों ने पुलिस को स्थिति बिगड़ने के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था, तो पुलिस ने समय पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया। इसके अलावा, सवाल यह भी है कि क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) को घटनास्थल पर भेजने में देरी क्यों हुई। पुलिस ने भीड़ नियंत्रित करने के लिए वज्र वाहन का उपयोग क्यों नहीं किया और आखिरकार उच्च अधिकारी इतनी देरी से क्यों पहुंचे।

इस पूरी घटना से सवाल खड़े होते हैं कि क्या पुलिस ने वास्तव में संतुलित और निष्पक्ष कार्रवाई की। कई लोगों का कहना है कि पुलिस ने दुर्गा पूजा समिति के सदस्यों को निशाना बनाते हुए उन पर लाठीचार्ज किया जबकि दूसरे पक्ष पर कोई सख्ती नहीं दिखाई।

मामले की कानूनी प्रक्रिया और आरोपी की गिरफ्तारी

घटना के बाद, प्रशासन ने देर रात मुख्य आरोपी सलमान समेत कई लोगों पर एफआईआर दर्ज की। खबरों के अनुसार, 20 से 25 लोगों को हिरासत में लिया गया है। पूजा समिति के सदस्यों और अन्य स्थानीय नागरिकों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है और नारेबाजी कर आरोपियों को फांसी देने की मांग की। देर रात तक पूजा समिति सड़कों पर रही और प्रशासन पर आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी का दबाव बनाती रही।

सवाल और चिंताएं: प्रशासनिक लापरवाही और सांप्रदायिक सौहार्द

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और सांप्रदायिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब पीस कमेटी की बैठक में पहले ही तनाव की आशंका जताई जा चुकी थी, तो विसर्जन जुलूस के दौरान पुलिस ने अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध क्यों नहीं किए? क्या विसर्जन जुलूस में भीड़ नियंत्रित करने के लिए उचित इंतजाम नहीं किए जा सकते थे?

घटना के बाद से बहराइच के कई हिस्सों में प्रतिमा विसर्जन रोक दिया गया और भारी पुलिस फोर्स के कारण स्थिति में नियंत्रण है। ऐसे में यह जरूरी है कि प्रशासन इस मामले में न्यायसंगत कार्रवाई कर नागरिकों का विश्वास बनाए रखे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

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