Monday, October 21, 2024
MGU Meghalaya
Homeधर्मNavratri 7th Day : आज मां कालरात्रि की पूजा, इनकी पूजा से...

Navratri 7th Day : आज मां कालरात्रि की पूजा, इनकी पूजा से होती है सिद्धियों की प्राप्ति

Navratri 7th Day: नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा माता के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि को समर्पित होता है। इस दिन दुर्गा माता के काली रुप की पूजा की जाती है। माता कालरात्रि को शुंभकरी या कालिका देवी के नाम से भी जाना जाता है। शुंभकरी का अर्थ होता है शुभ या अच्छा करने वाली। देवी कालरात्रि को दुर्गा के सभी रुपों में सबसे ज्यादा रौद्र और शक्तिशाली माना जाता है। कालरात्रि माता सभी दुष्टों और ग्रहों बाधाओं का विनाश करने वाली होती हैं।

कालरात्रि माता का स्वरुप

कालरात्रि माता का स्वरुप बहुत ही विकराल और भयभीत करने वाला होता है। इनकी चार भुजाएं होती हैं। दांया हाथ अभय वरदान की मुद्रा में होता है। बाएं हाथ में खड्ग और कटीला मूसल होता है। बाल खुले हुए होते हैं। गले में मुंडों की माला होती है। जीभ रक्त से लाला और मुँह से बाहर निकली हुई होती है। पूरा शरीर काले वर्ण का होता है। आँखों में क्रोध की अग्नि दहकती दिखाई देती है। कालरात्रि माता का वाहन गर्दभ यानि गधा होता है।

Navratri Day 7: Navratri Day 7: How to worship Maa Kaalratri, the fierce manifestation of Goddess Durga, who destroys all evil - The Economic Times

कैसे हुआ माता कालरात्रि का जन्म ?

प्राचीन काल में शुंभ-निशुंभ नाम के दो राक्षस भाई और रक्तबीज नाम का एक राक्षस था। जिन्होंने मिलकर सभी लोकों पर आतंक मचाया हुआ था। इन राक्षसों से परेशान होकर देवी-देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से इन राक्षसों का वध करने को कहा। माता पार्वती ने दुर्गा देवी का रुप धारण किया और शुंभ-निशुंभ नामक दोनों राक्षस भाईयों का वध कर दिया।

रक्तबीज को एक वरदान प्राप्त था कि अगर उसके खून की एक बूंद जमीन पर गिरती थी तो उस बूंद से उसके जैसा ही एक और राक्षस पैदा हो जाता था। इसी कारण जब दुर्गा माता ने रक्तबीज पर प्रहार किया तब उसके खून से उसी के समान कई शक्तिशाली राक्षस पैदा हो गए। इससे क्रोधित होकर दुर्गा माता का वर्ण श्यामल यानि काला हो गया।

ये भी पढ़ें : 5th Day Of Navratri : स्कंदमाता की पूजा, जानिए माता का स्वरूप और माता को क्या भोग लगाए ?

इसी काले वर्ण के कारण उन्हें कालरात्रि का नाम दिया गया। माता कालरात्रि ने रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने ही नहीं दिया। जमीन पर गिरने से पहले ही माता ने उसे पी लिया। इस तरह माता कालरात्रि ने सभी राक्षसों का वध किया।

कालरात्रि माता का प्रिय भोग

कालरात्रि माता को गुङ सबसे ज्यादा प्रिय है। नवरात्रि के छठे दिन माता कालरात्रि को गुङ और गुङ से बनी चीजों जैसे गुङ का हलवा या गुङ की खीर का भोग लगाया जाता है। कालरात्रि माता का प्रिय रंग लाल है। नवरात्रि के सातवें दिन लाल रंग के कपङे पहनना शुभ माना जाता है। देवी कालरात्रि को लाल कुंकुम या सिंदुर अर्पित करने से माँ प्रसन्न होती है। मात कालरात्रि को गुङहल का फूल सर्वप्रिय होता है। इस दिन माता कालरात्रि को गुङहल का फूल चढाने से माँ की विशेष कृपा होती है।

- Advertisment -
Most Popular