Recently updated on October 16th, 2024 at 12:13 pm
Share Market : हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं, भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। प्रारंभिक रुझानों में कांग्रेस की बढ़त ने न केवल राजनीतिक दलों को बल्कि निवेशकों को भी चौंका दिया। दिन चढ़ते ही बाजी पलटी और भारतीय जनता पार्टी ने बढ़त हासिल कर ली। इस चुनावी उठा-पटक ने देश के शेयर बाजार पर भी गहरा प्रभाव डाला, जहां पिछले छह कारोबारी सत्रों से गिरावट के बाद आज स्थिरता के संकेत दिखने लगे।
शेयर बाजार का चाल दिनभर के चुनावी घटनाक्रम पर निर्भर करता दिखा। शुरुआती सत्र में थोड़ी गिरावट के बाद दिन चढ़ने के साथ सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त देखी गई। सुबह 9:51 पर सेंसेक्स 304.83 अंकों की बढ़त के साथ 81,352.40 पर पहुंच गया, और निफ्टी 91.25 अंकों की बढ़त के साथ 24,887.00 पर कारोबार करता दिखा। हालाँकि, दिन के अंत तक सेंसेक्स ने और मजबूती दिखाते हुए 494.63 अंकों की बढ़त के साथ 81,532.00 के स्तर पर पहुँचा। इसी तरह, निफ्टी 168.25 अंकों की छलांग के साथ 24,964.00 पर कारोबार करता देखा गया।
बाजार की शुरुआत और उतार-चढ़ाव
सप्ताह के पिछले सत्रों में भारी गिरावट झेलने के बाद आज बाजार में मामूली बढ़त देखी गई। बाजार के शुरुआती कारोबार में मिक्स्ड शुरुआत हुई, जिसमें सेंसेक्स 223.44 अंक की गिरावट के साथ 80,826.56 पर खुला जबकि निफ्टी ने 36 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 24,832.20 पर कारोबार शुरू किया। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे चुनावी परिणामों के अलावा कुछ अन्य प्रमुख कारक भी थे।
वीके विजयकुमार, मुख्य निवेश रणनीतिकार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज, के अनुसार, मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, एफपीआई की बिक्री और चुनाव परिणाम को लेकर चिंता ने बाजार पर दबाव बढ़ाया है। पिछले छह सत्रों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा 50,011 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर बेचे गए, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इसी अवधि में 53,203 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
एफपीआई की निरंतर बिकवाली ने निफ्टी को अपने उच्चतम स्तर से 5.6% नीचे खींच लिया है। इसके अलावा, “भारत बेचो, चीन खरीदो” रणनीति की संभावनाओं ने भी एफपीआई की गतिविधियों को प्रभावित किया है। भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन और चीनी शेयरों के सस्ते मूल्यांकन ने विदेशी निवेशकों के लिए चीन को आकर्षक बना दिया है।
सेक्टोरल इंडेक्स का प्रदर्शन
आज के सत्र में निफ्टी प्राइवेट बैंक ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें 0.55% की बढ़त दर्ज की गई। इसके अलावा, निफ्टी बैंक भी 0.5% की बढ़त के साथ मजबूत हुआ। हालांकि, अन्य सेक्टोरल इंडेक्स जैसे निफ्टी एफएमसीजी, निफ्टी मीडिया और निफ्टी मेटल पर बिकवाली का दबाव बना रहा। निफ्टी के 50 शेयरों में से 20 में बढ़त और 26 में गिरावट दर्ज की गई, जबकि 4 अपरिवर्तित रहे।
प्रॉफिट आइडिया के एमडी वरुण अग्रवाल ने बताया कि निफ्टी इंडेक्स ने सोमवार को 24,800 के महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल पर बंद किया, जो ओवरसोल्ड स्थिति में होने के कारण संभावित उछाल की ओर इशारा कर सकता है। हालांकि, यदि यह लेवल टूटता है और निफ्टी 24,800 से नीचे बंद होता है, तो आने वाले समय में निफ्टी में और गिरावट की संभावना हो सकती है, जो इसे 24,000 के स्तर तक खींच सकती है।
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एशियाई बाजारों में भी गिरावट
चुनावी परिणामों के असर के साथ-साथ एशियाई बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी रहा। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 7.5% से अधिक गिर गया, जबकि जापान का निक्केई 1.21% और ताइवान के भारित सूचकांक में 0.76% की गिरावट आई। ये आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ भारतीय बाजार ही नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार भी अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।
विदेशी निवेशकों का रुख
भारतीय बाजार के लिए विदेशी निवेशकों का रुख हमेशा से एक अहम कारक रहा है। हाल के समय में एफपीआई द्वारा बड़े पैमाने पर बिकवाली से बाजार की स्थिति प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये बिकवाली जारी रहती है, तो आने वाले समय में भारतीय बाजार में और अस्थिरता देखने को मिल सकती है।
एफपीआई के बिकवाली के फैसले के पीछे चीन में कम कीमत पर उपलब्ध निवेश के अवसर भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। विश्लेषकों के अनुसार, यदि भारतीय बाजार को ऊंचे मूल्यांकन से उबरना है तो घरेलू निवेशकों की सक्रियता और बाजार में विदेशी निवेश की कमी को पूरा करने वाले घरेलू नीतिगत उपायों की जरूरत होगी।
निफ्टी और सेंसेक्स के संभावित समर्थन
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी का सपोर्ट स्तर 24,800 पर है, और इसके नीचे जाने पर अगले समर्थन स्तर 24,000 तक खिसक सकते हैं। दूसरी ओर, यदि निफ्टी ऊपर की ओर चलता है तो इसका पहला प्रतिरोध स्तर 25,200 हो सकता है। सेंसेक्स के लिए प्रमुख समर्थन स्तर 80,000 है, जबकि इसके ऊपर जाने पर 82,000 का स्तर एक महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्तर हो सकता है। निवेशकों को इन स्तरों का ध्यान रखना चाहिए और बाजार की चाल को समझकर ही निवेश करना चाहिए।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणामों का असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखाई दिया। चुनावी परिणाम और विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव बाजार को अस्थिर बनाए हुए है। भारतीय बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, निवेशकों को सतर्कता बरतनी होगी।