Election Results : हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर देशभर की नजर है, क्योंकि इन राज्यों के नतीजे आगामी चुनावों के लिए अहम संकेत साबित हो सकते हैं। इन दोनों राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनावों के शुरुआती रुझानों में लगातार बदलाव देखे जा रहे हैं। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर चल रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर नजर आ रहा है।
Table of Contents
Toggleहरियाणा विधानसभा चुनाव का परिदृश्य
हरियाणा में एक चरण में 5 अक्तूबर को मतदान हुआ था। 90 सीटों के लिए हो रहे इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला तीखा है। पहले रुझानों में कांग्रेस की बढ़त दिख रही थी, लेकिन कुछ ही समय बाद भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार भाजपा 46 सीटों पर आगे है, जबकि कांग्रेस 33 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इनलोद (INLD) और बसपा (BSP) जैसी छोटी पार्टियां एक-एक सीट पर आगे हैं।
गढ़ी सांपला सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भाजपा की मंजू को कड़ी टक्कर दी है। करीब 25,000 वोटों से आगे चल रहे हुड्डा इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज करने की संभावना में हैं। दूसरी ओर, गोहाना सीट से भाजपा के अरविंद कुमार शर्मा ने कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक को पीछे छोड़ दिया है। ऐलनाबाद सीट पर इनेलो के अभय सिंह चौटाला को कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल ने कड़ी टक्कर दी है और करीब 5,000 वोटों की बढ़त बनाई है।
हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति को लेकर कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने कहा कि वे आश्वस्त हैं कि कांग्रेस राज्य में सरकार बनाएगी। वहीं, भाजपा की तरफ से अनुभवी नेता और अंबाला कैंट विधानसभा सीट से उम्मीदवार अनिल विज ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी पार्टी के आगे चलने के बावजूद कांग्रेस जश्न मना रही है। विज ने यह भी कहा कि वे जनता का जनादेश स्वीकार करेंगे, और यदि हाईकमान चाहे तो वे मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का माहौल
जम्मू-कश्मीर में 90 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस गठबंधन का प्रदर्शन अब तक बेहतर रहा है। हालांकि, यहां की राजनीतिक स्थिति और सुरक्षा मुद्दों के चलते यह चुनाव और अधिक संवेदनशील माना गया है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस गठबंधन मजबूत बढ़त बनाए हुए है। जम्मू-कश्मीर की राजनीति में पहली बार चुनाव आयोग ने सभी वर्गों को प्राथमिकता दी और इसके परिणामस्वरूप यहां रिकॉर्ड मतदान दर्ज हुआ।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के नतीजों का भविष्य पर प्रभाव
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे राष्ट्रीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। आने वाले समय में कुछ अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, और इन नतीजों के आधार पर अन्य राज्यों में पार्टियां अपनी चुनावी रणनीति को संशोधित कर सकती हैं। हरियाणा में भाजपा के बहुमत की संभावना इस ओर इशारा कर रही है कि राज्य में भाजपा को एक स्थायी समर्थन मिला है। वहीं, कांग्रेस का हरियाणा में संघर्ष उनके लिए एक चुनौती बना हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस गठबंधन का आगे चलना दर्शाता है कि क्षेत्रीय दलों के समर्थन के साथ कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत की है। जम्मू-कश्मीर में यह जीत कांग्रेस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी, क्योंकि राज्य की जटिल राजनीतिक परिस्थितियों में उनका यह प्रदर्शन उनके लिए एक नयी उम्मीद जगाता है।
हरियाणा के प्रमुख मुद्दे और चुनाव प्रचार की रणनीतियां
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने चुनाव प्रचार में क्षेत्रीय मुद्दों पर जोर दिया। किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी और विकास कार्यों की धीमी गति चुनाव प्रचार के मुख्य मुद्दे रहे। भाजपा ने राज्य में विकास के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए “सबका साथ, सबका विकास” पर जोर दिया, जबकि कांग्रेस ने मौजूदा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए स्थानीय समस्याओं पर जनता का ध्यान केंद्रित किया।
हुड्डा की ओर से यह प्रचारित किया गया कि हरियाणा में कांग्रेस के शासन के दौरान राज्य में विकास के कार्य हुए थे। भाजपा ने हुड्डा के इस दावे का विरोध किया और अपने किए गए विकास कार्यों को जनता के समक्ष रखा।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की रणनीति
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने गठबंधन के साथ अपने प्रचार अभियान को आगे बढ़ाया। कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार में सुरक्षा, बेरोजगारी और विकास को प्रमुख मुद्दा बनाया। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में क्षेत्रीय मुद्दों और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को प्राथमिकता दी। कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन ने अपने प्रचार में केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए, राज्य के विशेष दर्जे की बहाली और स्थानीय संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा को लेकर जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश की।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित रहेंगे और इन नतीजों का असर अन्य राज्यों के चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है।