Friday, November 22, 2024
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Chattisgarh में सेना और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, 35 नक्सलियों की मौत 21 का शव बरामद

Chattisgarh: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ एक बड़ी घटना के रूप में सामने आई है। इस मुठभेड़ में अब तक 21 नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं, जबकि खबरों के अनुसार मारे गए नक्सलियों की संख्या 35 से अधिक हो सकती है। यह मुठभेड़ राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।

मुठभेड़ 

यह मुठभेड़ नारायणपुर और दंतेवाड़ा के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित बारसूर के ग्राम थुलथुली और नारायणपुर के ओरछा के ग्राम नेंदूर के जंगलों में हुई। सुरक्षाबलों को गुप्त सूचना मिली थी कि इस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियाँ हो रही हैं। जब सुरक्षाबलों ने इस क्षेत्र में पहुंचकर तलाशी अभियान शुरू किया, तो नक्सलियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाब में सुरक्षाबलों ने भी जोरदार कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप यह मुठभेड़ कई घंटों तक चली।

सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए नक्सलियों के पास से बड़ी मात्रा में ऑटोमेटिक हथियार बरामद किए गए हैं, जिनमें एलएमजी राइफल, एके-47 राइफल, एसएलआर राइफल, इंसास राइफल और .303 राइफलें शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में आधुनिक हथियारों की बरामदगी इस बात का संकेत है कि नक्सली संगठन पूरी तरह से सशस्त्र होकर सुरक्षा बलों पर हमला करने की योजना बना रहे थे।

सर्च ऑपरेशन अभी जारी

इस मुठभेड़ के बाद भी इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है, क्योंकि यह आशंका है कि कुछ नक्सली जंगलों में छिपे हो सकते हैं। सुरक्षाबल इस इलाके की हर संभव छानबीन कर रहे हैं ताकि कोई भी नक्सली बचकर भाग न सके। इस मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों के सभी जवान सुरक्षित बताए जा रहे हैं, जो कि एक बड़ी राहत की बात है।

नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की सफलता

छत्तीसगढ़, विशेषकर बस्तर क्षेत्र, लंबे समय से नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहा है। राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा मिलकर इस समस्या के खिलाफ कई अभियान चलाए गए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में नक्सलवाद का पूर्ण खात्मा करना है। इस मुठभेड़ को इस लड़ाई में एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मुठभेड़ के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सुरक्षाबलों ने अदम्य साहस का परिचय दिया है और उनकी यह सफलता प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री ने सुरक्षाबलों के हौसले और साहस को नमन करते हुए कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ यह लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है और राज्य की डबल इंजन सरकार इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की रणनीति

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस घटना के बाद तुरंत ही उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों की समीक्षा की गई। इस बैठक में पुलिस और सुरक्षा बलों के आला अधिकारियों ने हिस्सा लिया और स्थिति का जायजा लिया गया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे यह संदेश जाता है कि सरकार इस तरह की घटनाओं पर सक्रिय रूप से नजर रख रही है और सुरक्षा बलों के मनोबल को बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।

नक्सलवाद की समस्या और उसकी जड़ें

छत्तीसगढ़, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र, नक्सलवाद से प्रभावित रहा है। यह समस्या कई दशकों से चली आ रही है और इसका प्रभाव राज्य के विकास और शांति पर पड़ा है। नक्सलवादी संगठनों का दावा है कि वे आदिवासियों और गरीबों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन उनके हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों ने राज्य की शांति और सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

नक्सलियों का उद्देश्य हिंसा और आतंक फैलाकर राज्य के विकास कार्यों को बाधित करना है। उन्होंने सड़कों, पुलों, स्कूलों और अन्य विकास कार्यों को निशाना बनाकर इस क्षेत्र में अव्यवस्था फैलाने की कोशिश की है। इसके अलावा, नक्सलियों द्वारा निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाबलों पर किए गए हमलों ने भी राज्य को बहुत नुकसान पहुंचाया है।

सुरक्षाबलों की रणनीति

सरकार और सुरक्षाबलों ने नक्सलवाद के खिलाफ एक समग्र रणनीति अपनाई है, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा देना, सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाना और स्थानीय समुदायों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना शामिल है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास करके सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इन क्षेत्रों के लोग मुख्यधारा में शामिल हो सकें और नक्सलवाद की विचारधारा से दूर रहें।

सुरक्षाबलों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाए हैं। हाल की मुठभेड़ इसी रणनीति का हिस्सा थी, जिसमें नक्सलियों को एक बड़ा झटका दिया गया है।

नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर हुई मुठभेड़ छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सुरक्षाबलों ने न केवल नक्सलियों को एक बड़ा झटका दिया है, बल्कि इस मुठभेड़ में बरामद हुए हथियारों से यह स्पष्ट होता है कि नक्सली संगठन कितना खतरनाक हो सकता है।

सरकार और सुरक्षाबलों की यह सफलता नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में राज्य सरकार इस लड़ाई को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह से संकल्पित है। हालांकि, अभी भी नक्सलियों का सफाया पूरी तरह से नहीं हुआ है और इस दिशा में और अधिक सघन प्रयासों की आवश्यकता होगी।

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