Friday, October 18, 2024
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Gandhi Jayanti 2024 In Hindi : गांधी जयंती पर जानिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में

Gandhi Jayanti 2024 In Hindi: महात्मा गांधी, जिन्हें पूरे विश्व में भारत के “राष्ट्रपिता” और “महात्मा” के नाम से जाना जाता है, का नाम स्वतंत्रता संग्राम और अहिंसा के महानतम प्रतीकों में लिया जाता है। हर साल 2 अक्टूबर को हम उनकी जयंती मनाते हैं। यह अवसर न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में अहिंसा और शांति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर 2024 को महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मनाई गई। गांधी जी का जीवन उनके सिद्धांत और उनके द्वारा किए गए संघर्ष आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई एक धर्मपरायण महिला थीं। गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की। 1888 में गांधी जी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से वकालत की पढ़ाई पूरी की। 1891 में वे भारत लौटे और वकालत करने लगे।

दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष | Gandhi Jayanti 2024 In Hindi

1893 में महात्मा गांधी एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से उन्हें केवल उनके रंग के कारण बाहर फेंक दिया गया। इस घटना ने गांधी जी के जीवन को एक नया मोड़ दिया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू किया और 21 वर्षों तक वहीं रहे। गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत को पहली बार वहीं पर परखा और इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया।

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भारत लौटना और स्वतंत्रता संग्राम | Gandhi Jayanti 2024 In Hindi

1915 में महात्मा गांधी भारत लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में किसानों, श्रमिकों और अन्य वंचित वर्गों के लिए आंदोलन किए। गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनका उद्देश्य था देश को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराना, लेकिन उनके संघर्ष का मार्ग अहिंसा पर आधारित था।

Gandhi Jayanti 2024 in India

प्रमुख आंदोलन और घटनाएँ

1. असहयोग आंदोलन (1920-1922):

गांधी जी ने असहयोग आंदोलन का आह्वान किया, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की। यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का पहला बड़ा जन आंदोलन बना।

2. दांडी मार्च (1930):

दांडी मार्च गांधी जी के नेतृत्व में हुआ एक प्रमुख आंदोलन था, जिसे ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ के तहत शुरू किया गया। गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से 24 दिनों की यात्रा शुरू की, जो 240 मील चलने के बाद 6 अप्रैल 1930 को समुद्र किनारे पहुंचकर नमक कानून तोड़ने के साथ समाप्त हुई। इस आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।

3. भारत छोड़ो आंदोलन (1942):

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांधी जी ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने की मांग की। 8 अगस्त 1942 को ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसमें गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिया। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप गांधी जी सहित कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन यह आंदोलन स्वतंत्रता की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हुआ।

गांधी जी के सिद्धांत

1. अहिंसा (Non-Violence):

महात्मा गांधी का मानना था कि हिंसा कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। उन्होंने अपने जीवन भर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा का सहारा लिया। उनकी यह सोच न केवल भारत बल्कि विश्व के कई देशों के स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रेरणा का स्रोत बनी।

2. सत्याग्रह (Truth Force):

सत्याग्रह गांधी जी का प्रमुख हथियार था। उनका मानना था कि किसी भी संघर्ष में सत्य का पालन और अहिंसा का उपयोग सबसे प्रभावी मार्ग है। सत्याग्रह का अर्थ है सत्य की शक्ति में विश्वास और उसके लिए अहिंसात्मक तरीके से लड़ाई करना।

3. स्वराज (Self-Rule):

गांधी जी का स्वराज का विचार केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं था। उनका मानना था कि जब तक व्यक्तिगत और सामाजिक स्वराज स्थापित नहीं होता, तब तक सही मायने में स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं है। स्वराज का अर्थ था आत्म-निर्भरता, नैतिकता, और सच्चाई की ओर बढ़ना।

Gandhi Jayanti 2024 In Hindi

गांधी जी को महात्मा और राष्ट्रपिता का दर्जा

महात्मा गांधी को “महात्मा” की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी। टैगोर ने उन्हें यह नाम इसलिए दिया क्योंकि गांधी जी ने अपने जीवन में नैतिकता, सादगी और आत्म-संयम को सर्वोच्च माना। इसके बाद 1944 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

गांधी जी की मृत्यु और विरासत

30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी। उनकी मृत्यु के बाद, देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। हालांकि, उनकी मृत्यु के बावजूद उनके विचार और सिद्धांत अमर हो गए। उनके सिद्धांतों ने न केवल भारतीय समाज पर बल्कि पूरे विश्व पर गहरा प्रभाव डाला है। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जून 2007 को गांधी जी की जन्मतिथि 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

गांधी जी का वैश्विक प्रभाव

महात्मा गांधी का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, और कई अन्य विश्व नेताओं ने गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत को अपने संघर्षों में अपनाया। वे एक ऐसी शक्ति बने जो मानवता, शांति, और स्वतंत्रता के प्रतीक थे।

महात्मा गांधी का जीवन और उनके विचार आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं। उन्होंने न केवल भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई बल्कि एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जो शांति, प्रेम, और अहिंसा पर आधारित हो। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए भी हम बड़े से बड़े संघर्ष को जीत सकते हैं। गांधी जी की 154वीं जयंती के अवसर पर हमें उनके सिद्धांतों को फिर से अपनाने और उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।

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