Sunday, December 22, 2024
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Ucler : अल्सर की बिमारी क्या होती है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए ?

Ucler: आज कल के समय में लोगों में पेट की बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। लोगों का खान पान और जीवन शैली इतनी खराब हो चुकी है कि वह धीरे-धीरे कब बीमारीयों का शिकार हो जाते हैं उन्हें खुद भी नहीं पता चलता। आपने अधिकतर लोगों से सुना होगा कि उन्हें पेट या पाचन से जुड़ी कोई न कोई समस्या जरुर रहती है। कहने के लिए ये केवल छोटी ही समस्या है लेकिन कब ये छोटी समस्या बड़ा बीमारी का रुप ले लेती है। हमें पता भी नहीं चलता।

पेट शरीर का एक ऐसा अंग है जिसे ऊर्जा के मुख्य केंद्रों में से एक माना जाता है। उसका कारण ये है कि शरीर को उर्जा मिलती है भोजन से और भोजन का मुख्य स्थल पेट को ही माना जाता है। कभी आपने सोचा है कि अगर हमारे पेट में कोई ऐसी बीमारी पैदा हो जाए जिससे हमारा खान पान भी बंद हो जाए तो क्या होगा। आज हम पेट की एक ऐसी ही एक बीमारी के बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं जिसका नाम है अल्सर।

क्या होता है अल्सर ?

अल्सर पेट की एक ऐसी बीमारी है जो पेट के अंदरुनी हिस्सों पर होती है। इसमें पेट के अंदर छाले, घाव या जख्म हो जाते हैं। ये पेट के अंदर किसी एक हिस्से में नहीं होती। अल्सर ग्रास नली, आँतों में या पेट की अंदरुनी परतों पर कहीं भी हो सकता है। मुख्य रुप से अल्सर होने का कारण होता है पेट में उत्पादित होने वाला पाचक रस। मानव के पेट के अंदर एक प्रकार के पाचक रस का उत्पादन होता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है।

पाचक रस के बिना भोजन केवल आमाशय में पङा रह जाएगा उसका पाचन नहीं हो पाएगा। यह पाचक रस एक प्रकार का अम्ल होता है। इसे एसिडिक अम्ल कहते हैं। जब यह एसिड रुपी अम्ल पेट के अंदरुनी हिस्सों पर अटैक करने लगता है तब पेट में छाले या जख्म हो जाते हैं जिसे अल्सर का नाम दे दिया जाता है। अल्सर पेट की अंदरुनी परतों को नुकसान पहुँचाता है और उसे धीरे-धीरे नष्ट कर देता है।

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अल्सर के प्रकार

अल्सर पेट की बीमारी है लेकिन इसके भी प्रकार होते हैं। ये पेट के अंदर अलग-अलग हिस्सों में होती है जिसे अलग नाम दे दिया जाता है।

पेप्टिक अल्सर – पेप्टिक अल्सर पेट की परत में होता है। इसमें पेट की परत में छाले या घाव हो जाते हैं। जिससे पेट में असहनीय दर्द होता है।

गैस्ट्रिक अल्सर – गैस्ट्रिक अल्सर भोजन को पचाने वाली आँतो में होता है। इसमें छोटी या बङी आँत की अंदरुनी परत में गहरे घाव हो जाते हैं जिससे पाचन संबंधी समस्याएं होने लगती है। कुछ भी खाते ही पेट में दर्द होने लगता है।

डुओडेनम अल्सर – छोटी आँत का पहला हिस्सा होता है। हमारे पेट की आँतो में तीन परत होती है। डुओडेनम सबसे पहली परत होती है। अगर इसमें किसी भी तरह के घाव या जख्म हो जाते हैं उसे डुओडेनम अल्सर कहते हैं।

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अल्सर के कारण

अल्सर कितनी बड़ा और भयानक बीमारी है इसका अंदाजा तो आपको हो ही गया होगा। इस बीमारी से बचने के लिए सबसे पहले जरुरी है ये जानना कि ये होती किस कारण से है। पेट के ये बीमारी किसी एक ही हिस्से तक ही सीमित नहीं रहती ये ग्रास नली, आँत या सीधा पेट की अंदरुनी परत पर भी हो सकती है इसलिए इसके कारण भी अलग-अलग होते हैं।

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टिरिया – एच पाइलोरी एक बैक्टीरिया है जो पेट और छोटी आंत की पहली और शुरुआती परत को संक्रमित करता है। स्टडी के अनुसार यह बैक्टीरिया दुनिया के आधे से ज्यादा लोगों में पाया जाता है। जब यह बैक्टीरिया पेट और आंतो की परतों को नुकसान पहुँचाने लगता है तब ये अल्सर का रुप ले लेता है।

एनएसएआईडीएस (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) – एन.एस. ए.आई.डी.एस एक दवाई है। यह दवाई दर्द, सूजन और बुखार को कम करने के लिए दी जाती है। इसके अलावा सिरदर्द, दांत दर्द, गठिया और मांसपेशियों की अकङन के लिए भी किया जाता है। ये दवाई नॉन स्टेरॉइडल होती है इसलिए इस दवाई का बहुत ज्यादा सेवन करने से ये पेट और आंतो में नुकसान पहुँचाती है।

अल्सर के लक्षण

पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या जलन होना।

भोजन न पचना।

कुछ भी खाते ही पेट में असहनीय दर्द होना।

गैस बनना।

उल्टी आना।

भूख न लगना और कुछ भी खाने का मन न करना।

बहुत ज्यादा डकार आना।

पेट फूलना।

कब्ज की समस्या होना और कभी-कभी मल में खून आना।

अचानक वजन कम हो जाना।

शरीर में बहुत कमजोरी आ जाना।

शरीर दर्द चक्कर और बेहोशी महसूस होना।

अल्सर का उपचार

वैसे तो अल्सर का पता चलते ही डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। इसे और ज्यादा बढने से बचने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

ज्यादा तले-चिकने और भारी खाना बंद कर दें।

ठंडी और हल्की चीजों का सेवन करें ताकि पेट को ठंडक मिलें।

द्रव्य यानि लिक्विड डाइट ज्यादा लेनी चाहिए जिससे पेट और आंतो को आराम मिलें।

पेट को ज्यादा देर तक खाली रखने से ये समस्या और बढ सकती है। ऐसी स्थिति में पाचक रस सीधा पेट की परतों पर

नुकसान पहुँचाता है।

किसी भी तरह की एसिडिक दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए।

ज्यादा मिर्च, मसाले और अम्ल वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

Disclaimer – (इस आर्टिकल में बताई गई जानकारियां सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इस आर्टिकल में बताए गए सलाह और विचार को प्रयोग में लाने से पहले डॉक्टर या  हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें .  South Block Digital यहां दी गई जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है)

 

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