Jammu Kashmir 2nd Phase Voting: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण, जो छह जिलों की 26 सीटों पर होने वाला है, राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस चरण का चुनाव प्रचार सोमवार शाम को समाप्त हुआ, और अब सभी दल मतदान के दिन का इंतजार कर रहे हैं। कुल मिलाकर 239 उम्मीदवारों की किस्मत बुधवार को ईवीएम में कैद हो जाएगी, जब 25.78 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
इस चुनावी चरण में कश्मीर के सेंट्रल हिस्से की 15 सीटों और जम्मू क्षेत्र की 11 सीटों पर मुकाबला होगा। राजनीतिक दलों के लिए यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पीडीपी के लिए यह चुनाव अपनी सियासी साख को बचाने की आखिरी कोशिश हो सकती है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के लिए सत्ता में वापसी का एक सुनहरा मौका है। बीजेपी के लिए भी यह चुनाव अपनी वर्तमान स्थिति को मजबूत करने और सत्ता के समीकरणों में अपनी पकड़ बढ़ाने का अवसर है।
26 सीटों पर कांटे की टक्कर
इस चरण में सेंट्रल कश्मीर की सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि जम्मू क्षेत्र की सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच कड़ा संघर्ष है। पीडीपी ने सभी 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 20 सीटों पर और कांग्रेस ने 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, बीजेपी इस चरण में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो 98 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
कश्मीर के श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल जिलों में सबसे ज्यादा उम्मीदवार हैं, जिसमें श्रीनगर में 93, बडगाम में 46 और गांदरबल में 21 उम्मीदवार शामिल हैं। जबकि जम्मू क्षेत्र में रियासी जिले में 20, राजौरी में 34 और पुंछ में 25 उम्मीदवार मैदान में हैं।
सेंट्रल कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की पकड़
कश्मीर घाटी की सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का सियासी दबदबा रहा है, जबकि जम्मू क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस का बड़ा वोटबैंक है। सेंट्रल कश्मीर की जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें कंगन, गांदरबल, हजरतबल, खानयार, हब्बाकदल, लाल चौक, चन्नपोरा, जदीबल, ईदगाह, सेंट्रल शाल्टेंग, बडगाम, बीरवाह, खानसाहब, चरार-ए-शरीफ और चदूरा शामिल हैं।
उमर अब्दुल्ला के लिए यह चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वह गांदरबल और बडगाम सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के लिए यह मुकाबला उनकी साख का प्रश्न है। बडगाम में उनका मुकाबला शिया समुदाय से आने वाले पीडीपी उम्मीदवार सैयद मुंतजिर मेहंदी से है, जबकि गांदरबल में इंजीनियर राशिद की पार्टी के उम्मीदवार से उनका मुकाबला है।
जम्मू क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला
जम्मू क्षेत्र की 11 सीटों में से कई सीटों पर बीजेपी का मजबूत पकड़ है। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन सीटों में से 8 सीटें जीती थीं। हालांकि, इस बार चुनौती अधिक कठिन है क्योंकि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने भी अपनी स्थिति मजबूत की है। इन सीटों में गुलाबगढ़, रियासी, श्री माता वैष्णो देवी, कालाकोट-सुंदरबनी, नौशेरा, राजौरी, बुद्धल, थन्नामंडी, सूरनकोट, पुंछ-हवेली और मेंढर शामिल हैं।
विशेष रूप से नौशेरा सीट पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुरिंदर कुमार चौधरी के बीच कड़ा मुकाबला है। राजौरी और रियासी सीटों पर भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। बीजेपी को अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा, खासकर ऐसे क्षेत्रों में जहां मुस्लिम आबादी अधिक है।
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त्रिकोणीय और बहुकोणीय मुकाबले
कई सीटों पर त्रिकोणीय और बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। उदाहरण के तौर पर, जदीबल सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के तनवीर सादिक, पीडीपी के आबिद हुसैन अंसारी और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के उम्मीदवार के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। इसी तरह, ईदगाह सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुबारक गुल, पीडीपी के खुर्शीद आलम और निर्दलीय उम्मीदवार फहीम रेशी के बीच संघर्ष है।
कांग्रेस के तारिक हमीद कर्रा भी सेंट्रल शाल्टेंग सीट से निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद इरफान शाह के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। बीरवाह सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प है, जहां एनसी के फारूक अहमद गनई और निर्दलीय उम्मीदवार सरजन अहमद वागे के बीच करीबी मुकाबला देखने को मिल रहा है।
छोटे दलों का प्रभाव
इस चुनावी चरण में छोटे दल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी और अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी, जो खासकर कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का खेल बिगाड़ सकती हैं। इंजीनियर राशिद और अल्ताफ बुखारी की पार्टियां कई सीटों पर बड़े दलों को कड़ी टक्कर दे रही हैं।
क्या बीजेपी घाटी में कर पाएगी कमाल?
बीजेपी की कश्मीर घाटी में स्थिति मजबूत नहीं है, लेकिन पार्टी ने इस बार घाटी की कई सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि, इन सीटों पर पार्टी के लिए जीत दर्ज करना एक कठिन चुनौती होगी। बीजेपी का मुख्य फोकस जम्मू क्षेत्र की सीटों पर है, जहां पार्टी को अपने पुराने गढ़ को बरकरार रखना है।
निष्कर्षतः, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण सत्ता के समीकरणों को निर्धारित करने वाला है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के पास कश्मीर की सीटों पर बढ़त हासिल करने का अच्छा मौका है, जबकि बीजेपी को जम्मू क्षेत्र की सीटों पर अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। दूसरी ओर, छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।