Friday, September 20, 2024
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Atishi New CM Of Delhi: जानिए कैसे मिलती है नए सीएम को सभी जिम्मेदारी, जानिए कैसे होता है सारे पावर ट्रांसफर

Atishi New CM Of Delhi : दिल्ली की राजनीति में हाल ही में हुए घटनाक्रमों ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने की घोषणा और आतिशी मार्लेना के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने की खबर ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। यह बदलाव दिल्ली की सियासी और प्रशासनिक व्यवस्था में एक अहम मोड़ है। लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकार के कार्यकाल के बीच में मुख्यमंत्री का इस्तीफा देने और नए मुख्यमंत्री का चयन कैसे होता है, और पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया किस तरह से होती है। आप भी ये जानना जरूर चाहते होंगे

मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने की प्रक्रिया

मुख्यमंत्री के इस्तीफे की प्रक्रिया लोकतांत्रिक प्रणाली के नियमों और संविधान के प्रावधानों पर आधारित होती है। किसी भी सरकार में मुख्यमंत्री, जो राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का प्रमुख होता है, अपने पद से इस्तीफा देने के लिए स्वतंत्र होता है। अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा देना चाहता है, तो उसे राज्यपाल या उपराज्यपाल को लिखित रूप में अपना इस्तीफा सौंपना होता है। जैसे कि इस मामले में अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है, और वे उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंपने जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री का इस्तीफा देने के बाद भी उसकी भूमिका पूरी तरह समाप्त नहीं होती। जब तक नए मुख्यमंत्री का चयन नहीं हो जाता और वह शपथ नहीं लेता, तब तक वर्तमान मुख्यमंत्री कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करता है। इस दौरान उन्हें राज्य की सभी जरूरी प्रशासनिक और कानून व्यवस्था को देखना होता है, लेकिन वे कोई बड़े फैसले नहीं ले सकते।

विधायक दल की भूमिका | Atishi New CM Of Delhi 

जब मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो नए मुख्यमंत्री का चयन करने के लिए पार्टी के विधायक दल की बैठक आयोजित की जाती है। इस बैठक में सभी विधायकों की सहमति से नए मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाता है। यह प्रक्रिया दिल्ली में भी लागू हुई है, जहां आम आदमी पार्टी के विधायक दल ने आतिशी मार्लेना को नया मुख्यमंत्री चुनने का फैसला लिया है।

पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रस्तावित नाम पर विधायक दल सहमति या बहुमत से नए नेता का चयन करता है। अगर किसी पार्टी में एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं, तो मतदान भी किया जा सकता है। लेकिन अधिकतर मामलों में पार्टी शीर्ष द्वारा प्रस्तावित नाम को ही विधायक दल की मंजूरी मिलती है।

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पावर ट्रांसफर की प्रक्रिया

मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने और नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण करने के बीच एक अहम प्रशासनिक प्रक्रिया होती है, जिसे पावर ट्रांसफर कहते हैं। पावर ट्रांसफर का मतलब है कि पुराने मुख्यमंत्री से सरकार की सारी अधिकारिक शक्तियां नए मुख्यमंत्री को स्थानांतरित कर दी जाती हैं। इस प्रक्रिया में मुख्यमंत्री के कार्यालय से जुड़ी सारी फाइलें, दस्तावेज, और सरकारी मामलों की जिम्मेदारियां नए मुख्यमंत्री को सौंप दी जाती हैं।

जैसे कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने और आतिशी मार्लेना के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, सभी सरकारी और प्रशासनिक शक्तियां आतिशी को हस्तांतरित कर दी जाएंगी। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री पद से जुड़ी सभी विशेषाधिकार, जैसे सुरक्षा, सरकारी आवास, सरकारी वाहन, और अन्य सुविधाएं, नए मुख्यमंत्री को मिलेंगी और पुराने मुख्यमंत्री से वापस ले ली जाएंगी।

शपथ ग्रहण समारोह

नए मुख्यमंत्री के पदभार संभालने के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया शपथ ग्रहण होती है। शपथ ग्रहण का आयोजन आमतौर पर राज्यपाल या उपराज्यपाल द्वारा किया जाता है। नए मुख्यमंत्री को संविधान के अनुच्छेदों के तहत शपथ दिलाई जाती है, जिसमें वे देश के संविधान की रक्षा करने, कानून का पालन करने, और अपने पद की जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा के साथ निभाने की शपथ लेते हैं।

दिल्ली में आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके शपथ ग्रहण समारोह में सभी प्रमुख राजनीतिक हस्तियों, विधायकों और जनता के प्रतिनिधियों की उपस्थिति होगी। शपथ ग्रहण के बाद ही आतिशी आधिकारिक रूप से दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनेंगी और उन्हें सरकार चलाने की पूरी शक्ति प्राप्त होगी।

इस्तीफे के बाद पुरानी सरकार की भूमिका

मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद भी पुरानी सरकार का एक अस्थायी स्वरूप काम करता रहता है। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद जब तक नए मुख्यमंत्री का चयन और शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब तक पुरानी सरकार को कार्यवाहक सरकार के रूप में जाना जाता है। इस दौरान सरकार को सिर्फ आवश्यक और आपातकालीन फैसले लेने का अधिकार होता है, जबकि अन्य बड़े नीतिगत फैसलों पर रोक रहती है।

दिल्ली के मामले में भी यही स्थिति लागू होगी। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद, जब तक आतिशी मार्लेना शपथ नहीं लेतीं, तब तक केजरीवाल कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे और दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था की देखरेख करेंगे।

संविधानिक प्रावधान

भारत के संविधान के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री के चयन और इस्तीफे की प्रक्रिया पूरी तरह से लोकतांत्रिक है। संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल या उपराज्यपाल मुख्यमंत्री का चयन करता है। आमतौर पर यह चयन उसी व्यक्ति का होता है जो विधायक दल का नेता होता है।

मुख्यमंत्री का इस्तीफा देने के बाद, राज्यपाल या उपराज्यपाल को यह अधिकार होता है कि वह नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण तक पुराने मुख्यमंत्री को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने के लिए कह सकता है। इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत नए मुख्यमंत्री को शपथ ग्रहण करने के बाद विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होता है।

दिल्ली में सियासी बदलाव

दिल्ली की राजनीति में आतिशी मार्लेना के मुख्यमंत्री बनने का फैसला एक ऐतिहासिक मोड़ है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में एक विशेष स्थान बनाया है, और अब आतिशी को इस विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मिली है। आतिशी, जो शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं, अब मुख्यमंत्री के रूप में अपनी नई भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। उनके पास अब दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का मौका है और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह किस तरह से इस चुनौती का सामना करती हैं।

मुख्यमंत्री के इस्तीफे और नए मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रक्रिया न केवल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह से एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नेतृत्व परिवर्तन होता है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे और आतिशी मार्लेना के मुख्यमंत्री बनने का निर्णय इसी प्रक्रिया का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आतिशी दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में किस प्रकार से अपनी जिम्मेदारियों को निभाती हैं और दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं पर खरी उतरती हैं।

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