America: हाल ही में पेंसिल्वेनिया के नेशनल कॉन्स्टीट्यूशन सेंटर में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच प्रेसिडेंशियल डिबेट का आयोजन हुआ। इस डिबेट का मुख्य आकर्षण रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा था, जिसे लेकर दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हुई। डोनाल्ड ट्रंप ने जब राष्ट्रपति जो बाइडेन की आलोचना करते हुए उनके नेतृत्व को निशाने पर लिया, तो कमला हैरिस ने भी जमकर पलटवार किया।
ट्रंप और हैरिस के बीच जुबानी जंग
डिबेट के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडेन की नीतियों की आलोचना की और कहा कि बाइडेन के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका कमजोर हो गया है। ट्रंप ने दावा किया कि जो बाइडेन की कमजोर विदेश नीति के चलते रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता।
ट्रंप के आरोपों का जवाब देते हुए कमला हैरिस ने साफ शब्दों में कहा कि ट्रंप इस डिबेट में उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, न कि जो बाइडेन के खिलाफ। उन्होंने ट्रंप को यह याद दिलाया कि अमेरिका के वर्तमान हालातों के लिए वे स्वयं भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि वे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर हैरिस का जवाब |America
रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोलते हुए कमला हैरिस ने ट्रंप को स्पष्ट रूप से जवाब दिया कि नाटो सहयोगियों के लिए यह राहत की बात है कि इस समय अमेरिका का नेतृत्व ट्रंप के हाथों में नहीं है। हैरिस ने कहा कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति होते तो शायद आज रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कीव में बैठे होते और उनकी नजर बाकी यूरोप पर होती। उन्होंने पुतिन को तानाशाह बताया और कहा कि ट्रंप पुतिन के खिलाफ कभी भी ठोस रुख नहीं अपना पाए।
हैरिस ने ट्रंप की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा, “आपको तो पुतिन लंच में खा जाते।” इस बयान के साथ उन्होंने ट्रंप की कमजोरी को उजागर करने का प्रयास किया। कमला हैरिस ने यह भी कहा कि ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए रूस के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, बल्कि उन्होंने पुतिन की तानाशाही को और बढ़ावा दिया।
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ट्रंप का पलटवार | America
कमला हैरिस के आरोपों का जवाब देते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें अमेरिका के इतिहास का सबसे खराब उपराष्ट्रपति बताया। उन्होंने कहा कि कमला हैरिस रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता कराने में विफल रही हैं। ट्रंप ने यह दावा किया कि वे इस युद्ध को बातचीत के माध्यम से रोक सकते थे, लेकिन हैरिस और बाइडेन प्रशासन इसमें असफल रहे।
ट्रंप ने खुद को एक शांति समर्थक नेता के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे युद्धविराम के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि यह युद्ध जल्द से जल्द समाप्त हो जाए। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका पर इस युद्ध का बोझ यूरोप के मुकाबले कहीं अधिक है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन की मदद कर रहा है, लेकिन इसका आर्थिक भार भी अमेरिका पर ही पड़ रहा है।
इजरायल और फिलिस्तीन मुद्दे पर तीखी बहस
प्रेसिडेंशियल डिबेट में केवल रूस-यूक्रेन युद्ध ही नहीं, बल्कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष पर भी बहस छिड़ी। गाजा में जारी जंग को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि अगर वे राष्ट्रपति होते, तो यह जंग कभी शुरू ही नहीं होती।
ट्रंप ने कमला हैरिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि हैरिस इजरायल से नफरत करती हैं और अगर वे राष्ट्रपति बन जाती हैं तो इजरायल का अस्तित्व दो सालों में समाप्त हो जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि हैरिस अरब आबादी से भी नफरत करती हैं। ट्रंप ने कहा कि उनका उद्देश्य गाजा में चल रहे युद्ध को सुलझाना है और अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो वे इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करेंगे।
ट्रंप का नेतृत्व बनाम हैरिस की रणनीति
डिबेट के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पिछली नीतियों का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिका को एक मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल में अमेरिका ने चीन और रूस जैसे देशों को कड़ी चुनौती दी और उनके प्रभाव को सीमित किया।
वहीं, कमला हैरिस ने अपने और बाइडेन प्रशासन की नीतियों का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने नाटो सहयोगियों के साथ मिलकर रूस के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाया है। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी साख बनाई है और यूक्रेन को हर संभव मदद दी है ताकि वह रूस के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रख सके।
चुनावी परिदृश्य और भविष्य की संभावनाएँ
इस डिबेट से यह साफ हो गया कि अमेरिका के आगामी चुनावों में विदेश नीति और विशेषकर रूस-यूक्रेन युद्ध एक प्रमुख मुद्दा बनने वाला है। ट्रंप और हैरिस दोनों ही अपने-अपने पक्ष को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। जहां ट्रंप खुद को शांति और मजबूत नेतृत्व का प्रतीक मानते हैं, वहीं हैरिस ट्रंप की नीतियों को असफल और कमजोर साबित करने का प्रयास कर रही हैं।
डिबेट के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए, लेकिन यह भी साफ है कि अमेरिकी जनता के लिए यह मुद्दा केवल विदेश नीति तक सीमित नहीं है। अमेरिकी नागरिक यह भी देखना चाहते हैं कि उनके राष्ट्रपति का दृष्टिकोण आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा के मामलों में कैसा होगा।
डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच हुई इस प्रेसिडेंशियल डिबेट ने यह साफ कर दिया है कि आगामी अमेरिकी चुनावों में विदेश नीति और युद्ध जैसे मुद्दे बेहद महत्वपूर्ण होंगे। दोनों नेताओं ने अपने-अपने दृष्टिकोण से जनता के सामने अपनी बात रखी, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपने अगले राष्ट्रपति के रूप में चुनती है।
ट्रंप ने जहां अपनी पुरानी नीतियों का बचाव किया और खुद को एक मजबूत नेता के रूप में प्रस्तुत किया, वहीं कमला हैरिस ने ट्रंप की आलोचना करते हुए उन्हें एक असफल नेता करार दिया। अब यह देखना बाकी है कि जनता किसकी बातों पर भरोसा करती है और कौन अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनता है।