Thursday, September 19, 2024
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IIT Guwahati : आईआईटी गुवाहाटी में एक और दर्दनाक घटना, एक छात्र ने हॉस्टल में लगाई फांसी

IIT Guwahati : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी में एक और दर्दनाक घटना सामने आई है जिसमें एक छात्र ने संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली। यह छात्र उत्तर प्रदेश से था और कंप्यूटर साइंस के तृतीय वर्ष में अध्ययनरत था। सोमवार को छात्र का शव ब्रह्मपुत्र हॉस्टल के कमरे में पाया गया, जिसके बाद आईआईटी गुवाहाटी परिसर में शोक की लहर दौड़ गई। पुलिस को सूचना मिलते ही उन्होंने शव को अपने कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। छात्र के परिजनों को सूचना देकर उन्हें गुवाहाटी बुलाया गया है। इस घटना ने छात्रों और प्रबंधन को एक बार फिर से गहरे संकट में डाल दिया है।

आईआईटी गुवाहाटी में आत्महत्या की घटनाएं

आईआईटी गुवाहाटी में यह चौथी बार है जब किसी छात्र ने आत्महत्या की है। इससे पहले 9 अगस्त को भी एक छात्रा का शव उसके हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला था। उस घटना के बाद संस्थान में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। छात्रों ने संस्थान के प्रशासनिक भवन के सामने प्रदर्शन करते हुए अपने गुस्से और चिंता को व्यक्त किया था। जांच में यह पता चला कि वह छात्रा स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी।

अभी वह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि एक और आत्महत्या की घटना ने संस्थान को हिलाकर रख दिया है। यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ताजा मामले में छात्र ने आत्महत्या क्यों की, लेकिन इस घटना ने संस्थान और छात्रों के बीच असंतोष और तनाव को और बढ़ा दिया है।

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संस्थान पर आरोप

छात्रों ने इस घटना के बाद संस्थान प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्रों के मुताबिक, यह छात्र मानसिक तौर पर परेशान था और उसने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी संस्थान को जमा की थी। इसके बावजूद, संस्थान के प्रबंधन ने उसकी समस्याओं की अनदेखी की और उसे सही तरीके से मदद नहीं पहुंचाई गई। इसके परिणामस्वरूप, छात्र इस कठोर कदम उठाने को मजबूर हो गया।

छात्रों ने इस बात को लेकर गहरी नाराजगी जताई है कि संस्थान ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने प्रबंधन पर आरोप लगाया कि कई बार मानसिक स्वास्थ्य के बारे में समस्याओं को उजागर करने के बावजूद, कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

प्रबंधन की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद संस्थान के डीन ने छात्रों से बातचीत की और उन्हें आश्वस्त किया कि संस्थान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई को प्राथमिकता देगा। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट वेलफेयर के लिए और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए संस्थान प्रतिबद्ध है। डीन ने यह भी भरोसा दिलाया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हर स्तर पर ठोस प्रयास किए जाएंगे।

परिजनों की प्रतीक्षा और आगे की कार्रवाई

छात्र की आत्महत्या की खबर के बाद, उसके परिजनों को तुरंत सूचना देकर गुवाहाटी बुलाया गया है। परिजनों के गुवाहाटी पहुंचने के बाद छात्र के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा। पुलिस ने छात्र के कमरे की जांच की है और आत्महत्या के कारणों की गंभीरता से जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं और मानसिक स्वास्थ्य

आईआईटी गुवाहाटी में पिछले कुछ समय से आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। एक ऐसा संस्थान, जिसे देशभर के सबसे प्रतिष्ठित और उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में देखा जाता है, वहां मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं और आत्महत्या जैसी घटनाएं सामने आना गंभीर मामला है। छात्रों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव, व्यक्तिगत समस्याएं, और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी ने इस स्थिति को और भी जटिल बना दिया है।

आत्महत्या के मामलों में आमतौर पर छात्र अकेलापन, अवसाद और निराशा के शिकार होते हैं, जिसके चलते वे इस तरह के कठोर कदम उठाते हैं। यह संस्थान और समाज दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण चुनौती है कि छात्रों को मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कदम

ऐसी घटनाओं के बार-बार होने से यह सवाल उठता है कि आखिर संस्थान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी भलाई के लिए क्या कदम उठा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए संस्थान को नियमित रूप से काउंसलिंग सेशन और मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। इसके अलावा, छात्रों के लिए एक हेल्पलाइन या सपोर्ट सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए, जहां वे अपनी समस्याओं को साझा कर सकें और सही समय पर उन्हें आवश्यक सहायता मिल सके।

संस्थान का कर्तव्य और जिम्मेदारी

आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में छात्रों का चयन उनकी योग्यता और प्रतिभा के आधार पर किया जाता है। ऐसे में यह संस्थान का कर्तव्य है कि वह अपने छात्रों को केवल शैक्षिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सहारा प्रदान करे। छात्रों पर पढ़ाई का दबाव, करियर की चिंताएं और व्यक्तिगत समस्याएं उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना सकती हैं, और ऐसे में संस्थान की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

इस घटना ने न केवल आईआईटी गुवाहाटी के छात्रों और प्रबंधन को, बल्कि पूरे शैक्षिक जगत को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर और क्या कदम उठाए जा सकते हैं। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी भलाई को सुनिश्चित करने के लिए संस्थान को तुरंत और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

संस्थान की जिम्मेदारी सिर्फ शैक्षिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि छात्रों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति का भी ध्यान रखना आवश्यक है ताकि वे अपने लक्ष्य को पाने की ओर बढ़ सकें, बिना किसी मानसिक तनाव और दबाव के।

आईआईटी गुवाहाटी में हुई इस ताजा आत्महत्या की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उच्च शिक्षा के संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। छात्रों पर सिर्फ पढ़ाई का दबाव ही नहीं, बल्कि अन्य मानसिक चुनौतियों का भी असर होता है, जिसके कारण वे अवसाद और आत्महत्या की ओर अग्रसर हो जाते हैं।

संस्थान को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए और एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जहां छात्र अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकें और समय पर मदद प्राप्त कर सकें। केवल तभी हम ऐसे दुखद घटनाओं को रोकने में सफल हो सकते हैं।

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