Thursday, November 21, 2024
MGU Meghalaya
HomeराजनीतिHaryana Vidhansabha Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम मंजू...

Haryana Vidhansabha Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम मंजू हुड्डा, कौन मारेगा बाजी

Haryana Vidhansabha Election:हरियाणा विधानसभा चुनाव का माहौल गरम हो चुका है, और बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत प्रमुख सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। इस बार एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा क्षेत्र में, जहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार विधायक चुने जा रहे हैं।

बीजेपी ने इस सीट से मंजू हुड्डा को उम्मीदवार बनाया है, जो कि पिछले कुछ समय से राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। मंजू हुड्डा का चयन इस सीट पर बीजेपी के लिए एक बड़ा दांव माना जा रहा है, क्योंकि यहां से भूपेंद्र हुड्डा जैसे बड़े नेता के खिलाफ चुनाव लड़ना आसान नहीं है।

मंजू हुड्डा का राजनीतिक सफर

मंजू हुड्डा का नाम पहली बार तब चर्चा में आया जब उन्होंने 2022 में रोहतक जिला पंचायत चुनाव जीता। इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हिस्सा लिया और रोहतक जिला अध्यक्ष मीणा मकड़ौली और बीजेपी नेता धर्मपाल मकड़ौली पत्नि को हराकर जीत हासिल की। इसके बाद मंजू हुड्डा रोहतक की जिला पंचायत की अध्यक्ष बनीं और इसी दौरान उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली।

हालांकि, मंजू हुड्डा राजनीति में नई हैं, लेकिन उनकी छवि एक मजबूत महिला के रूप में उभरकर आई है। जिला पंचायत का चुनाव जीतने के बाद, उन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को और मजबूत किया। बीजेपी ने उन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मैदान में उतारकर यह स्पष्ट संकेत दिया है कि पार्टी जाट बहुल इलाके में एक मजबूत विकल्प के रूप में उन्हें पेश कर रही है।

ये भी पढ़ें : Jammu – Kashmir : बीजेपी ने जम्मू – कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति के तहत बांटे हैं टिकट

मंजू हुड्डा का पारिवारिक बैकग्राउंड | Haryana Vidhansabha Election

मंजू हुड्डा का पारिवारिक पृष्ठभूमि भी उन्हें चर्चाओं में बनाए रखता है। उनके पिता प्रदीप यादव हरियाणा पुलिस में डीएसपी रह चुके हैं, जो एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। मंजू का जन्म गुरुग्राम में हुआ और बाद में उन्होंने रोहतक के गांव धामड़ के निवासी राजेश हुड्डा से शादी की, जिसके बाद उनका नाम मंजू यादव से बदलकर मंजू हुड्डा हो गया।

हालांकि, मंजू हुड्डा के पति राजेश हुड्डा का आपराधिक रिकॉर्ड उनकी छवि पर थोड़ा धब्बा लगाता है। राजेश हुड्डा पर हत्या, अपहरण, और लूट जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वे कई वर्षों तक जेल में भी रहे हैं और फिलहाल हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर हैं। इस पृष्ठभूमि के बावजूद, मंजू हुड्डा का कहना है कि पिछले 10 वर्षों से उनके पति ने कोई आपराधिक गतिविधि नहीं की है और उनकी राजनीतिक यात्रा में उनके पति का कोई हस्तक्षेप नहीं रहा है।

मंजू हुड्डा की राजनीतिक यात्रा

मंजू हुड्डा की राजनीति में एंट्री तब हुई जब उनके पति ने राजनीति में आने के बजाय उन्हें आगे बढ़ाया। राजेश हुड्डा, जो खुद राजनीति में आना चाहते थे, ने जेल से बाहर आने के बाद अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा। मंजू हुड्डा ने पहले जिला पंचायत चुनाव जीता और फिर बीजेपी में शामिल हो गईं।

मंजू हुड्डा का कहना है कि उन्होंने अपने पिता और पति दोनों से बहुत कुछ सीखा है। उनके पिता ने उन्हें अनुशासन और संघर्ष का महत्व सिखाया, जबकि उनके पति ने उन्हें संघर्षों का सामना करना और गलत के खिलाफ आवाज उठाना सिखाया।

Haryana Rohtak District councillor and chairperson Manju Hooda Controversy For house meeting | रोहतक में जिला पार्षद और चेयरपर्सन आमने-सामने: मंजू हुड्डा बोलीं- बिना एजेंडा कैसे ...

भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम मंजू हुड्डा: चुनावी टक्कर

गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा सीट हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह सीट भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कर्मभूमि मानी जाती है। वे यहां से लगातार 2000 से विधायक चुने जा रहे हैं और इस बार भी कांग्रेस के प्रमुख चेहरे के रूप में मैदान में हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा न केवल जाट समुदाय में लोकप्रिय हैं, बल्कि उनकी पकड़ पूरे क्षेत्र में मानी जाती है।

बीजेपी ने इस बार भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ मंजू हुड्डा को टिकट देकर एक बड़ा दांव खेला है। मंजू हुड्डा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ‘पिता तुल्य’ कहकर सम्मान दिया है और कहा है कि वे उनसे आशीर्वाद लेने जाएंगी। लेकिन साथ ही मंजू ने यह भी कहा है कि अगर भूपेंद्र हुड्डा इस क्षेत्र के बेटे हैं, तो वे भी इस क्षेत्र की बहू हैं। इस प्रकार, मंजू हुड्डा ने चुनावी लड़ाई को ‘बेटा बनाम बहू’ की प्रतिस्पर्धा बना दिया है।

क्या है मंजू हुड्डा की चुनौतियां?

मंजू हुड्डा के सामने सबसे बड़ी चुनौती भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चुनाव जीतने की है, क्योंकि भूपेंद्र हुड्डा पिछले दो दशकों से इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। जाट समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के रूप में उनकी पहचान मंजू हुड्डा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

दूसरी ओर, मंजू हुड्डा के पति राजेश हुड्डा का आपराधिक रिकॉर्ड भी एक मुद्दा बन सकता है। हालांकि, मंजू हुड्डा ने इस मुद्दे पर साफ किया है कि उनके पति ने पिछले 10 वर्षों से कोई आपराधिक गतिविधि नहीं की है, फिर भी विपक्ष इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है।

क्या हैं मंजू हुड्डा की ताकत ?

मंजू हुड्डा की सबसे बड़ी ताकत उनकी ताजा छवि और बीजेपी का समर्थन है। उनके पति की युवाओं के बीच मजबूत पकड़ मानी जाती है, खासकर जाट समुदाय में, जो कि इस क्षेत्र में बहुसंख्यक है। साथ ही, मंजू हुड्डा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सफलतापूर्वक की है, जिसने उन्हें एक मजबूत महिला नेता के रूप में स्थापित किया है।

बीजेपी का समर्थन भी मंजू हुड्डा के लिए एक बड़ी ताकत है। हरियाणा में बीजेपी का संगठन मजबूत है और पार्टी का चुनावी अभियान भी काफी आक्रामक होता है। इस बार बीजेपी ने क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों को भी अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया है, जो मंजू हुड्डा को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करता है।

मंजू हुड्डा की उम्मीदवारी हरियाणा के विधानसभा चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ साबित हो सकती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मैदान में उतरना आसान नहीं है, लेकिन मंजू हुड्डा ने अपने बयानों और चुनावी तैयारियों से यह साफ कर दिया है कि वे इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। चुनावी मुकाबला ‘बेटा बनाम बहू’ के मुद्दे पर केंद्रित होता दिख रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि जाट समुदाय और अन्य वोटर्स किसे अपना समर्थन देते हैं।

मंजू हुड्डा की चुनावी यात्रा न केवल हरियाणा की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की दिशा में है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे एक साधारण महिला भी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और संघर्ष के माध्यम से बड़े नेता को चुनौती दे सकती है।

- Advertisment -
Most Popular