Kolkata Rape Case : कोलकाता के प्रतिष्ठित आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल, संदीप घोष, का नाम हाल ही में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में सामने आया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक व्यापक छानबीन की है। 9 अगस्त 2024 को एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर का शव आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में पाया गया, जिसके बाद से ही यह मामला चर्चा में है। जांच में कई अनियमितताओं का पता चला, जो सीधे-सीधे कॉलेज के प्रशासन से जुड़ी थीं।
ईडी की छापेमारी और सीबीआई की कार्रवाई
ईडी ने 6 सितंबर 2024 को सुबह-सुबह संदीप घोष के आवास पर छापा मारा। यह कार्रवाई आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत दर्ज मामले के तहत की गई। छापेमारी के दौरान ईडी को तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा क्योंकि घर का ताला बंद था। इसके बाद ताला खुलने पर ही ईडी की टीम अंदर प्रवेश कर पाई। यह पहली बार नहीं था जब जांच एजेंसियों को इस तरह के इंतजार का सामना करना पड़ा। इससे पहले सीबीआई की टीम को भी संदीप घोष के घर के बाहर 75 मिनट तक इंतजार करना पड़ा था।
महिला डॉक्टर की मौत और हाईकोर्ट का हस्तक्षेप | Kolkata Rape Case
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत तब हुई जब 9 अगस्त 2024 को एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिला। पहले तो इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस द्वारा की जा रही थी, लेकिन जब मामला बढ़ता गया तो इसे हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी छानबीन शुरू की, जिसमें वित्तीय कदाचार और अन्य भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए।
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संदीप घोष और उनके सहयोगियों पर लगे आरोप
संदीप घोष पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैं। आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर संदीप घोष के खिलाफ वित्तीय कदाचार का आरोप लगाया था। इस याचिका में यह दावा किया गया कि संदीप घोष ने मेडिकल कॉलेज में टेंडर प्रक्रिया में पक्षपात किया और अवैध रूप से मेडिकल आर्गेनिक कचरे की बिक्री की। इसके अलावा उन पर मेडिकल छात्रों को पास कराने के लिए रिश्वत लेने के आरोप भी लगाए गए हैं।
घोष के अलावा सुरक्षा गार्ड अफसर अली, बिप्लब सिंह और सुमन हाजरा को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। इन तीनों के साथ मिलकर संदीप घोष पर वित्तीय अनियमितताओं का गहरा जाल बुनने का आरोप है।
सीबीआई की जांच और हाईकोर्ट के आदेश
हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को मामले की जांच का आदेश दिया। 16 अगस्त 2024 को कोलकाता पुलिस ने महिला डॉक्टर की मौत के मामले में एसआईटी का गठन किया था, लेकिन अगले ही दिन हाईकोर्ट ने इस जांच को सीबीआई के हाथों सौंप दिया। इस जांच के दौरान सीबीआई ने 24 अगस्त को मामला दर्ज किया और 26 अगस्त को संदीप घोष और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया।
इस पूरे प्रकरण के दौरान, यह बात सामने आई कि घोष और उनके सहयोगियों ने मेडिकल कॉलेज में कई आर्थिक अनियमितताओं को अंजाम दिया था। टेंडर में पक्षपात और भ्रष्टाचार की प्रक्रिया के जरिए उन्होंने सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण ले रहे छात्रों से रिश्वत लेकर उन्हें पास कराने के मामले भी सामने आए हैं, जो पूरे शिक्षा तंत्र पर एक गहरा सवाल खड़ा करते हैं।
ईडी की अन्य कार्रवाइयां
ईडी ने सिर्फ संदीप घोष के घर पर ही नहीं, बल्कि हावड़ा में स्थित दो अन्य लोगों के आवास पर भी छापेमारी की। इसके तहत वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े कई दस्तावेज और सबूत जुटाए गए। यह छापेमारी ईडी के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इससे इस पूरे घोटाले की गहराई तक पहुंचने में मदद मिल सकती है।
ईडी का यह कदम पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत उठाया गया, जिसके तहत किसी भी वित्तीय अपराध में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इस कार्रवाई का उद्देश्य यह था कि संदीप घोष और उनके सहयोगियों के द्वारा किए गए वित्तीय अपराधों की पूरी जानकारी जुटाई जा सके और उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा दिलाई जा सके।
वित्तीय अनियमितताओं का दायरा
संदीप घोष के खिलाफ जो वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, वे सिर्फ टेंडर और मेडिकल छात्रों से जुड़े नहीं हैं। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेज के कई अन्य पहलुओं में भी अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई हैं। उदाहरण के तौर पर, मेडिकल कचरे की अवैध बिक्री का मामला, जिसमें संदीप घोष पर यह आरोप है कि उन्होंने अस्पताल के जैविक कचरे को अवैध रूप से बेचा और इससे होने वाले मुनाफे को निजी तौर पर हड़प लिया।
इसके अलावा, अस्पताल की विभिन्न निर्माण परियोजनाओं में भी कई तरह की अनियमितताएं पाई गई हैं। आरोप है कि संदीप घोष ने इन परियोजनाओं के ठेके अपने करीबी सहयोगियों को दिए और इसके बदले में मोटी रिश्वत ली।
भ्रष्टाचार के खिलाफ उठते सवाल
इस पूरे प्रकरण ने मेडिकल और शैक्षणिक संस्थानों में हो रहे भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जहां एक ओर डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को समाज का एक जिम्मेदार और नैतिक पेशेवर माना जाता है, वहीं दूसरी ओर इस तरह के मामले उस विश्वास को तोड़ते हैं। भ्रष्टाचार का यह मामला सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में नैतिकता के गिरते स्तर को भी दर्शाता है।
इस घटना के बाद से मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर जनता का विश्वास भी कमजोर हुआ है।
आगे की प्रक्रिया
ईडी और सीबीआई की जांच फिलहाल जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है। अगर संदीप घोष और उनके सहयोगियों के खिलाफ सभी आरोप साबित हो जाते हैं, तो उन्हें कड़ी सजा दी जा सकती है।
कानूनी प्रक्रिया के तहत ईडी और सीबीआई यह सुनिश्चित करेंगी कि इस घोटाले के सभी पहलू उजागर हों और दोषियों को उनके अपराध की सजा मिले। इस पूरे मामले का असर न केवल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर पड़ेगा, बल्कि देश के अन्य शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों के लिए भी एक चेतावनी साबित हो सकता है।