Monday, September 23, 2024
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Share Market Today : शेयर मार्किट में बड़ी गिरावट, खुलते ही 550 अंक गिरा सेंसेक्स, निफ़्टी 25000 के करीब

Share Market Today: भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में देखने को मिली गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण अमेरिकी आर्थिक मंदी की नई चिंताएं और फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दरों में बदलाव की संभावना है। निवेशकों ने इस संभावना के चलते सतर्कता बरतते हुए बिकवाली का रुख अपनाया, जिससे सभी क्षेत्रों में दबाव देखने को मिला। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई।

अमेरिकी आर्थिक मंदी की चिंताएं

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विभिन्न संकेतक संकेत दे रहे हैं कि अगले कुछ समय में वहाँ आर्थिक मंदी आ सकती है। इस संभावित मंदी का असर न केवल अमेरिकी बाजारों पर बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा है, और भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर पड़ने से भारतीय निर्यात पर भी दबाव बढ़ सकता है। विशेषकर आईटी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जो कि अमेरिकी बाजारों पर काफी निर्भर हैं। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भी अमेरिकी मंदी की आशंका के चलते भारतीय बाजारों से धन निकाल सकते हैं, जिससे बाजार में और गिरावट आ सकती है।

फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में संभावित वृद्धि | Share Market Today

फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित वृद्धि की अटकलों ने भी निवेशकों के मन में चिंता पैदा कर दी है। फेडरल रिजर्व की नीतिगत दरों में वृद्धि का असर वैश्विक वित्तीय बाजारों पर पड़ता है, और यह भारतीय बाजारों के लिए भी एक बड़ा कारक है। यदि फेडरल रिजर्व दरें बढ़ाता है, तो इससे डॉलर मजबूत हो सकता है और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे भारतीय बाजारों में बिकवाली बढ़ सकती है।

ब्याज दरों में वृद्धि का एक और प्रभाव यह है कि यह उधारी की लागत को बढ़ा देती है। इससे कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और उनके मुनाफे में कमी आ सकती है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरें उपभोक्ता खर्च को भी प्रभावित कर सकती हैं, जिससे आर्थिक विकास दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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भारतीय बाजारों की प्रतिक्रिया | Share Market Today

भारतीय शेयर बाजारों ने भी वैश्विक संकेतों का अनुसरण किया और सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 578.81 अंकों की गिरावट के साथ 82,013.32 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 170.95 अंक टूटकर 25,108.90 के स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण आईटी, फाइनेंशियल, और मेटल सेक्टर के शेयरों में बिकवाली रहा।

सेंसेक्स में इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एलएंडटी, टीसीएस, भारती एयरटेल और एसबीआई के शेयरों में गिरावट से सबसे अधिक नुकसान हुआ। इसके अलावा, जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील के शेयर भी टॉप लूजर्स में शामिल रहे, जिनमें 1.5% तक की गिरावट दर्ज की गई।

निवेशकों की सतर्कता

निवेशकों की सतर्कता का मुख्य कारण फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक और उसमें लिए जाने वाले निर्णय हैं। निवेशक इस समय कोई बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि यदि फेडरल रिजर्व दरें बढ़ाता है, तो बाजार में और अधिक गिरावट आ सकती है। इसके साथ ही, अमेरिकी आर्थिक मंदी की आशंका भी निवेशकों के मन में अस्थिरता पैदा कर रही है।

वैश्विक बाजारों का प्रभाव

भारतीय बाजारों की यह गिरावट वैश्विक बाजारों में देखी जा रही गिरावट का ही एक हिस्सा है। अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई है। एशियाई बाजारों में भी कमजोरी देखने को मिली है, जो भारतीय बाजारों पर अतिरिक्त दबाव डाल रही है।

आने वाले समय में भारतीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है। फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर निर्णय के बाद बाजार की दिशा स्पष्ट हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों पर भी निवेशकों की नजरें टिकी रहेंगी। यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलते हैं, तो यह भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक हो सकता है।

निवेशकों के लिए सलाह

इस समय निवेशकों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। बाजार में किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय, उन्हें अपनी निवेश रणनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह समय धैर्य रखने का है, जबकि अल्पावधि के निवेशकों को बाजार के संकेतों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय लेने चाहिए।

भारतीय शेयर बाजार में आई हालिया गिरावट कई वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम है। अमेरिकी आर्थिक मंदी की आशंका और फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में संभावित वृद्धि ने बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी है। हालांकि, आने वाले समय में स्थिति में सुधार की संभावना है, और निवेशकों को इस दौरान सतर्कता बरतनी चाहिए।

 

 

 

 

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