Wednesday, November 20, 2024
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What Is Teesta River Project: जानें क्या है तीस्ता नदी परियोजना और क्यों अक्सर इस परियोजना पर होता रहा हैं विवाद ?

What Is Teesta River Project: तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, जो दोनों देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तीस्ता परियोजना का मुख्य उद्देश्य इस नदी के जल का वितरण और उपयोग करना है।

हालांकि, इसके साथ ही यह परियोजना विवादों और राजनीतिक तनाव का भी कारण बनी हुई है। विशेषकर, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान और अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा इस मामले में दिखाई गई दिलचस्पी ने इसे और भी जटिल बना दिया है।

तीस्ता नदी और उसकी भौगोलिक स्थिति

तीस्ता नदी पश्चिम बंगाल में हिमालय की तलहटी से निकलती है और बांग्लादेश में जाकर ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है। यह नदी 414 किलोमीटर लंबी है, जिसमें से 151 किलोमीटर भारत में और शेष 263 किलोमीटर बांग्लादेश में बहती है। इस नदी का पानी कृषि, पेयजल और विद्युत उत्पादन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, विशेषकर पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के लिए।

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तीस्ता परियोजना का प्रारंभ | What Is Teesta River Project

भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल बंटवारा का मुद्दा 1983 से ही विवादों का कारण बना हुआ है, जब दोनों देशों के बीच 1983 में एक अस्थायी समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत, भारत को 39% और बांग्लादेश को 36% पानी दिया गया था, जबकि शेष 25% पानी नदी के प्रवाह के लिए छोड़ दिया गया था। हालांकि, यह समझौता केवल अस्थायी था और आज भी दोनों देशों के बीच कोई स्थायी जल बंटवारा समझौता नहीं हो पाया है।

तीस्ता परियोजना में विवाद के कारण | What Is Teesta River Project

1. जल की कमी:

तीस्ता नदी का जल प्रवाह मौसमी होता है, जो मानसून के दौरान अधिक होता है और शुष्क मौसम में काफी कम। बांग्लादेश का दावा है कि भारत द्वारा जल संग्रहण के कारण उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे उसके कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

2. सिलिगुड़ी कॉरिडोर:

तीस्ता नदी के जल पर भारत के नियंत्रण को लेकर बांग्लादेश को यह भी चिंता है कि यह सिलिगुड़ी कॉरिडोर (जिसे ‘चिकेन नेक’ के नाम से भी जाना जाता है) की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस संकरी पट्टी के माध्यम से भारत का उत्तर-पूर्वी भाग मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है।

3. राजनीतिक मुद्दे:

तीस्ता जल बंटवारा मुद्दा केवल एक तकनीकी समस्या नहीं है, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश के बीच के द्विपक्षीय संबंधों का भी हिस्सा है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी इस मुद्दे का महत्वपूर्ण स्थान है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बार-बार इस समझौते का विरोध किया है, जिसके कारण भारत और बांग्लादेश के बीच वार्ता बाधित होती रही है।

शेख हसीना का दृष्टिकोण

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तीस्ता जल बंटवारा को लेकर भारत के साथ कई बार वार्ता की है। उन्होंने इसे अपने देश की जल सुरक्षा और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना है। शेख हसीना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर कई बार बात की है और दोनों देशों के बीच एक स्थायी समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया है। शेख हसीना का मानना है कि एक संतुलित और न्यायसंगत जल बंटवारा समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा और इससे द्विपक्षीय संबंधों में भी सुधार होगा।

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अंतरिम सरकार की दिलचस्पी

हाल ही में, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी तीस्ता जल बंटवारा मुद्दे पर अपनी रुचि दिखाई है। अंतरिम सरकार, जो शेख हसीना के बाद बनी है, ने इस मामले में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का संकेत दिया है। सरकार ने भारत के साथ संवाद बढ़ाने और इस विवाद को जल्द से जल्द हल करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके अलावा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने की भी योजना बना रही है, ताकि इसे वैश्विक स्तर पर समर्थन मिल सके।

संभावित समाधान

1. संयुक्त जल प्रबंधन: एक संभावित समाधान संयुक्त जल प्रबंधन हो सकता है, जिसमें दोनों देश मिलकर जल संग्रहण और वितरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करें। इससे जल का समान वितरण सुनिश्चित हो सकेगा और मौसमी जल की कमी की समस्या से निपटा जा सकेगा।

2. स्थायी जल बंटवारा समझौता: एक स्थायी और न्यायसंगत जल बंटवारा समझौता ही इस विवाद को हल कर सकता है। इसके लिए दोनों देशों को अपने-अपने राष्ट्रीय और राज्य हितों से ऊपर उठकर सोचना होगा।

3. तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग: भारत और बांग्लादेश को जल प्रबंधन में तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। इससे जल के उपयोग में सुधार होगा और विवाद को हल करने में सहायता मिलेगी।

4. अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता: अगर दोनों देश इस विवाद को आपसी समझ से हल नहीं कर पाते हैं, तो अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता एक अन्य विकल्प हो सकता है। इससे इस मुद्दे को निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से हल किया जा सकेगा।

तीस्ता परियोजना और विवाद भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे हल करने के लिए दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना होगा। शेख हसीना और उनकी सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन अब यह देखना होगा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस मामले को कैसे आगे बढ़ाती है। तीस्ता जल विवाद का समाधान दोनों देशों के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल उनके आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे द्विपक्षीय संबंधों में भी सुधार हो सकता है।

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