Thursday, November 21, 2024
MGU Meghalaya
Homeभारतदिल्लीED ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान के घर ED की रेड, बीजेपी...

ED ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान के घर ED की रेड, बीजेपी ने आप को घेरा

ED: आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान के बटला हाउस स्थित घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह घटना उस समय की है जब ED ने अमानतुल्लाह खान के घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार करने की संभावना जताई जा रही थी। इस मामले को लेकर अमानतुल्लाह खान ने एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को फर्जी बताया और कहा कि उन्हें और उनकी पार्टी को परेशान किया जा रहा है।

ईडी की कार्रवाई और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की है, जिसमें अमानतुल्लाह खान को आरोपी के रूप में जांच के दायरे में लिया गया है। यह मामला दिल्ली वक्फ बोर्ड से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। ED ने पहले भी खान को नोटिस जारी किया था और उन्होंने उन नोटिसों का जवाब भी दिया था। लेकिन ED का आरोप है कि अमानतुल्लाह खान ने अपने पद का दुरुपयोग करके गैरकानूनी तरीके से धन अर्जित किया है।

ये भी पढ़ें : Rajasthan: राजस्थान के SI Paper Leak मामले में पूर्व RPSC सदस्य गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और गिरफ्तारी की प्रक्रिया 

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शिवाजी शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में ED की शिकायत पर अगर विशेष कोर्ट ने संज्ञान लिया हुआ है तो ED आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता। ED को अगर किसी आरोपी की हिरासत में पूछताछ जरूरी लगती है तो उसे विशेष अदालत में अपील करनी होगी। अदालत आरोपी का पक्ष सुनने के बाद ही फैसला सुनाएगी।

मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 19

मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 की धारा 19 के तहत प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी किसी व्यक्ति को तब गिरफ्तार कर सकते हैं जब उन्हें संदेह हो कि वह व्यक्ति कानून के तहत दंडनीय अपराध में शामिल है। इस धारा के तहत ED को अपने पास मौजूद सबूतों के आधार पर कार्रवाई करनी होती है और आरोपी को गिरफ्तार करने के कारण लिखित रूप में दर्ज करने होते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कई बार जांच एजेंसियों पर सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि अक्सर वे इन गाइडलाइंस का पालन नहीं करतीं, जिससे गिरफ्तारियों को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाता है।

पीएमएलए की धारा 45 और अदालतों की भूमिका

PM का मकसद है हमें तोड़ना और हमें अलग करना।…हम टूटने वाले नहीं हैं लेकिन हम इनसे नहीं डरेंगे। मुझे कोर्ट पर यकीन है कि जिस तरह से हमें पहले इंसाफ मिला है, उसी तरह से आगे भी मिलेगा। वहीं, भाजपा ने इस कार्रवाई को जैसा बोएंगे, वैसा काटेंगे करार दिया है। आइए- यह जानते हैं कि अमानतुल्लाह खान को क्या ED गिरफ्तार कर सकती है। मनी लॉन्ड्रिंग के सेक्शन 19 और 45 क्या हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईडी के हाथ बांध चुका है। लीगल एक्सपर्ट से समझते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था…तो जांच एजेंसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शिवाजी शुक्ला कहते हैं कि इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में ईडी की शिकायत पर अगर विशेष कोर्ट ने संज्ञान लिया हुआ है तो प्रवर्तन निदेशालय आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता है। जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने कहा था कि अगर ईडी को यह लगता है कि ऐसे मामलों में आगे जांच के लिए आरोपी की हिरासत जरूरी है तो उसे विशेष अदालत में अपील करनी होगी। पीठ ने कहा था कि आरोपी का पक्ष सुनने के बाद विशेष अदालत को संक्षेप में इसकी वजह बताते हुए आवेदन पर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाना होगा। सुनवाई के बाद अदालत हिरासत की अनुमति तभी देगी जब वह इस बात से संतुष्ट हो कि हिरासत में रखकर पूछताछ जरूरी है।

पीएमएलए की धारा 19 की शर्तें

PMLA की धारा 19 प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को उनके पास मौजूद सामग्री के आधार पर व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है, जिससे यह संदेह करने के लिए उचित आधार मिलता है कि किसी व्यक्ति ने कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ईडी को आरोपी के बारे में जो भी वजह हैं, उन्हें लिखित रूप में दर्ज करना चाहिए। साथ ही गिरफ्तारी के आधारों को आरोपी को जितनी जल्दी हो सके बताया जाना चाहिए। हालांकि, जांच एजेंसियों इन गाइडलाइंस को कई बार फॉलो नहीं करती हैं। इसी वजह से अदालतों के सामने गिरफ्तारी के आधारों को लेकर कई केस सामने आ चुके हैं, जिससे ईडी की साख सवालों के घेरे में आ जाती है।

पीएमएलए की धारा 45 और ED की पावर

PMLA की धारा 45 में जमानत की शर्तें बेहद सख्त होती हैं। किसी आरोपी को अदालत में यह साबित करना पड़ता है कि वह निर्दोष है और जमानत पर रहते हुए कोई अपराध नहीं करेगा। सबूत का बोझ आरोपी पर होता है, जिससे जमानत पाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 45(1) को मनमाना बताते हुए इसे रद्द कर दिया था।

अमानतुल्लाह खान के मामले में ED की कार्रवाई ने राजनीतिक और कानूनी विवाद को जन्म दिया है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में ED की शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले आए हैं, जिनमें आरोपी की गिरफ्तारी और जमानत के मुद्दों पर विचार किया गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ED अमानतुल्लाह खान के खिलाफ कैसे आगे बढ़ती है और अदालतें इस मामले में क्या निर्णय लेती हैं।

 

 

- Advertisment -
Most Popular