Monday, September 23, 2024
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Indonesia Protest : इंडोनेशिया में राजनीतिक अस्थिरतता, जानिए क्यों सड़कों पर उतरी जनता ?

Indonesia Protest: इंडोनेशिया में हाल ही में जो राजनीतिक उथल-पुथल हुई है, उसने देश के भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। इस बवाल की जड़ में राष्ट्रपति जोको विडोडो (जोकवी) का अपने छोटे बेटे केसांग पंगारेप को राष्ट्रपति बनाने का प्रयास था। इंडोनेशिया, जो दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है और दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी देशों में से एक है, इस समय राजनीतिक अस्थिरता के कगार पर खड़ा है।

इंडोनेशिया की राजनीतिक पृष्ठभूमि

इंडोनेशिया, एक बहुदलीय लोकतांत्रिक देश है, जहां पिछले कुछ दशकों में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास देखा गया है। जोको विडोडो ने राष्ट्रपति के रूप में अपने दो कार्यकालों में देश को आर्थिक मोर्चे पर मजबूती प्रदान की है। उनके नेतृत्व में इंडोनेशिया ने बुलेट ट्रेन जैसी आधुनिक सुविधाओं का विकास किया और नई राजधानी के निर्माण जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को शुरू किया। उनकी आर्थिक नीतियों और विकास योजनाओं ने इंडोनेशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया।

Protests across Indonesia as parliament delays change to election law | Protests News | Al Jazeera

सत्ता हस्तांतरण की योजना | Indonesia 

जोको विडोडो अक्टूबर में राष्ट्रपति पद से हटने वाले हैं, और इस स्थिति में वह अपने परिवार के भीतर सत्ता हस्तांतरण की योजना बना रहे थे। उन्होंने पहले ही अपने बड़े बेटे जिब्रान राकाबुमिंग राका को उपराष्ट्रपति के पद पर बिठा दिया है। लेकिन जोकोवी की असली इच्छा थी कि उनके छोटे बेटे केसांग पंगारेप को राष्ट्रपति पद सौंपा जाए। हालांकि, इंडोनेशिया के कानून के अनुसार, राष्ट्रपति पद के लिए न्यूनतम आयु सीमा 30 वर्ष है, जबकि केसांग की उम्र 29 साल है। इस बाधा को दूर करने के लिए जोकोवी ने देश के जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा।

जनता का विरोध और प्रदर्शन | Indonesia 

जोकोवी के इस कदम के खिलाफ इंडोनेशिया में भारी विरोध शुरू हो गया। जनता ने इसे लोकतंत्र पर हमला माना और इसे विडोडो परिवार की सत्ता में बने रहने की कोशिश के रूप में देखा। विरोध-प्रदर्शन धीरे-धीरे तीव्र हो गए और देश के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के सामने जमकर प्रदर्शन किया, जिससे देश में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।

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प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राष्ट्रपति का यह कदम देश की लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है और इससे देश में वंशवाद की शुरुआत होगी। लोगों ने इस कानून में संशोधन को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और सरकार से इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की। विरोध इतना बढ़ गया कि कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं।

सरकार का प्रतिक्रिया

बढ़ते विरोध और प्रदर्शन के दबाव में राष्ट्रपति जोको विडोडो और उनकी सरकार ने जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर चर्चा को अगले सत्र के लिए टाल दिया। इस फैसले के पीछे का मुख्य कारण यह था कि सरकार को लगा कि अगर यह विधेयक पारित होता है तो इससे देश में और भी ज्यादा अस्थिरता पैदा हो सकती है। इसके अलावा, अदालत ने भी पहले ही इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिससे सरकार की स्थिति और कमजोर हो गई थी।

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