Aja Ekadashi Vrat 2024: हिंदु धर्म मे हर महीने मे 2 एकादशी आती है। पूरे साल मे कुल 24 एकादशी आती है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। साल मे आने वाली हर एक एकादशी का अपना अलग महत्व है। हर एकादशी की एक अलग कथा है जो उसकी पूजा और व्रत के फल को बताती है। ऐसी ही एक एकादशी भाद्रपद महीने मे भी आती है। जिसे अजा एकादशी कहते हैं।
इस वर्ष अजा एकादशी 29 अगस्त 2024 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।अजा एकादशी भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष को आती है। आपको बता दे कि अजा एकादशी को जय़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। य़े कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक दो दिन बाद आती है।
क्यों मनाई जाती है अजा एकादशी ?
प्राचीन काल मे हरिश्चंद्र नाम का एक राजा था। अपने किसी पापकर्म के फल के कारण राजा को अपना सारा राज्य़ गवाना पङा। य़हाँ तक कि राजा को अपनी पत्नी, पुत्र और खुद को भी बेचना पङा। उसके बाद राजा एक चांडाल का दास बनकर सत्य़ धारण करके रहने लगा। वह मृतकों के वस्र धारण करता लेकिन वह कभी सत्य़ से विचलित नहीं हुआ। राजा दिन-रात चिंता मे डूबा रहता और सोचता कि ऐसा क्य़ा करुं जिससे मेरा कल्य़ाण हो सके। इसी तरह रहते हुए राजा को कई साल बीत गए।
एक बार राजा इसी सोच मे बैठा था। तभी गौतम ऋषि वहाँ आए। राजा ने ऋषि से अपने मन की दुविधा कही। तब उन्होने राजा से कहा आज से ठीक सात दिन बाद भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आएगी। उसकी तुम विधिवत व्रत और पूजा करना जिसके प्रभाव से तुम्हारा कल्य़ाण होगा और सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। इतना कहते ही गौतम ऋषि अंतर्ध्य़ान हो गए।
गौतम ऋषि की बात मानकर राजा ने अजा एकादशी के दिन पूरी विधि से व्रत और पूजन किय़ा। जिससे राजा का मरा हुआ पुत्र जिंदा हो गय़ा और राजा ने अपनी पत्नी को पहले की तरह आभूषणों से य़ुक्त देखा। आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। व्रत के प्रभाव से राजा को उसका राज्य़ वापिस मिल गय़ा और अंत मे राजा अपने परिवार के साथ स्वर्ग लोक को गय़ा। उसके बाद से ही अजा एकादशी मनाई जाने लगी।
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अजा एकादशी का महत्व | Aja Ekadashi Vrat 2024
अजा एकादशी का व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु तो प्रसन्न होते ही हैं साथ ही भूल से किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है और संतान सुख भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी की व्रत कथा पढने और सुनने से अश्वमेघ य़क्ष का फल मिलता है।
कैसे करे अजा एकादशी की पूजा ?
सुबह सुर्य़ उदय़ से पहले उठकर स्नान कर साफ वस्र धारण करें।
घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति य़ा प्रतिमा को स्नान कराकर पीले रंग के कपङे पर स्थापित करे।
तिल के तेल का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु को पीले फूल चढाए और पीली मिठाई य़ा पीले फल का भोग लगाएं।
एकादशी के व्रत मे फलाहार कर सकते हैं और व्रत के नमक का सेवन भी कर सकते हैं।
सारा दिन भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करते रहें और रात को व्रत के नमक का सात्विक भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर अपना व्रत खोलें।