Diya Aur Baati : हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ को धार्मिक जीवन का आधार माना जाता है। कोई भी जाति हो या धर्म सभी के दिन की शुरुआत भगवान की पूजा से होती है। ये बात सच हैं की भगवान की पूजा करने के लिए साफ मन की जरूरत होती है लेकिन फिर भी पूजा-पाठ के लिए कुछ ऐसे नियम होते हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे ही एक नियम की आज हम बात करने वाले हैं। पूजा करने के बाद जली हुई बाती का क्या करना चाहिए।
पूजा करने की अलग-अलग विधियाँ होती हैं। जैसे भगवान के आगे दीपक जलाना। पूजा करते समय दीपक में घी या तेल डालकर रुई की बाती बनाकर दीपक जलाया जाता है। जब घी या तेल खत्म हो जाता है तो बाती बुझ जाती है। कई लोग वही बाती को फेंक देते हैं या उसे दोबारा जलाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये दोनों ही तरीके गलत हैं। न ही उस बाती को फिर से जलाना चाहिए न ही उसे फेंकना चाहिए।
क्या महत्व है जली हुई बाती का ?
शास्त्रों में ऐसा माना जाता है की भगवान के आगे जली हुई बाती में पाज़िटिव एनर्जी होती है। अगर उसे फिर से जलाया जाएगा तो उस एनर्जी में कमी हो जाती है और उसे फेंक देने से वो एनर्जी खत्म हो जाती है। तो जानते हैं क्या करना चाहिए जली हुई बाती का।
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क्या करें जली हुई बाती का ? Diya Aur Baat
10 दिन तक जली हुई बाती को इकट्ठा करते रहें। 11 वें दिन सभी बाती को एक बड़े दीपक में कपूर और 4 लौंग के साथ जला दें। जलने के बाद दीपक की राख को एक डिब्बी में भरकर रख ले। जब भी किसी जरूरी काम के लिए जाएँ इस राख का तिलक अपने माथे पर लगा कर जाएँ। इससे आपके सभी काम पूरे होंगे।