Sawan: भगवान शिव को सावन का महीना अत्यंत प्रिय है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूरे सावन महीने पूजा की जाती है। पूरे भारत में शिवालयों और शिव मंदिरों में भीड़ लगी रहती है। वैवाहिक स्त्रियाँ सावन के महीने को अपने लिए सौभाग्य का प्रतीक मानती हैं।
अखंड सौभाग्य के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूरे सावन व्रत रखती हैं, झूला झूलती हैं, हाथों में मेहंदी लगती हैं, हरी-हरी चूड़ियाँ पहनती हैं। सावन के महीने में हरे रंग का विशेष महत्व होता है। जानते हैं सावन के महीने में हरे रंग का क्या महत्व हैं और क्यों पहनी जाती हैं हरी चूड़ियाँ।
सावन के महीने और हरे रंग का संबंध
सावन का महीना बरसात लेकर आता है। चारों और हरियाली छा जाती है। पेड़ों पर नए फूल और पत्तियां आने लगती हैं। सावन के महीने में ही हरियाली तीज भी मनाई जाती है। इस महीने में वर्षा ऋतु आती है जिसमे मौसम और सुहाना हो जाता हैं। सावन का महीना ऐसा महीना है जिसमे प्रकर्ति अपनी छटा हर तरफ बिखेरती है।
भगवान शिव और प्रकर्ति का संबंध | Sawan
भगवान शिव को हरा रंग अत्यंत प्रिय है। भगवान शिव को प्रकर्ति से बहुत लगाव है क्योंकी वह संसार के सबसे पहले योगी हैं। योग और ध्यान साधना के लिए प्रकर्ति की ही आवश्यकता होती है इसलिए भगवान शिव प्रकर्ति प्रेमी हैं। सावन के महीने में बेलपत्र, धतूरा, शमीपत्र, भांग जैसे हरे पत्र भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं।
महिलाएं क्यों पहनी हैं हरी चूड़ियाँ ?
सावन के महीने में स्त्रीयां हरे रंग की चूड़ियाँ पहनती हैं। हरे रंग को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है की हरे रंग से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं। वैवाहित स्त्री को अखंड सौभाग्य का अशीर्वाद देते हैं इसलिए स्त्रीयां हरे रंग की चूड़िया पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।