Bangladesh : बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। इस घटना के बाद भारत सरकार ने तुरंत सक्रियता दिखाई और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए। सबसे पहले, एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई जिसमें देश के सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य था स्थिति का मूल्यांकन करना और भविष्य की रणनीति तय करना।
सर्वदलीय बैठक का आयोजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा के मद्देनजर सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे। सभी दलों के नेताओं ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसके समाधान के लिए एकजुटता दिखाई।
इस बैठक में मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर चर्चा की गई
बांग्लादेश में हिंसा की स्थिति का मूल्यांकन: सरकार ने बांग्लादेश में अपने राजदूत और अन्य उच्चाधिकारियों से रिपोर्ट प्राप्त की और स्थिति का आकलन किया।
सीमा सुरक्षा: भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने का निर्णय लिया गया।
विदेश नीति और कूटनीतिक प्रयास: बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक संवाद को बढ़ावा देने और स्थिति को शांत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रयास तेज करने का फैसला किया गया।
सीमा सुरक्षा के लिए कदम
सर्वदलीय बैठक के तुरंत बाद, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक ने भारत-बांग्लादेश सीमा का दौरा किया। उन्होंने सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और जवानों से बातचीत की। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य था सीमा पर किसी भी प्रकार की अवांछनीय गतिविधियों को रोकना और सीमा पार से होने वाले खतरों का मुकाबला करना।
BSF का सीमावर्ती क्षेत्रों में ऑपरेशन
डीजी पंकज कुमार सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में BSF के ऑपरेशनों की समीक्षा की और जवानों को उच्च सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि सीमा पर किसी भी प्रकार की घुसपैठ को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। ड्रोन, नाइट विजन कैमरे और सेंसर्स की सहायता से सीमा पर निगरानी बढ़ाई जाएगी।
BSF ने सीमा के आसपास के गांवों में भी जागरूकता अभियान शुरू किया है। स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत BSF को देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके अलावा, सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है।
कूटनीतिक प्रयास
भारत ने बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी संवाद बढ़ाया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश के अपने समकक्ष के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और हिंसा पर चिंता जताई। दोनों देशों ने मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए अपने-अपने प्रयास जारी रखने का वादा किया।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने इस हिंसा की निंदा की और बांग्लादेश सरकार से इस पर सख्त कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना होगा।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
सीमावर्ती राज्यों के स्थानीय प्रशासन ने भी इस संकट से निपटने के लिए अपने स्तर पर कदम उठाए हैं। पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में उच्च स्तरीय बैठकें की हैं। इन बैठकों में सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रखने के उपायों पर चर्चा की गई।
शरणार्थियों की समस्या
हिंसा के कारण बांग्लादेश से कुछ शरणार्थी भारत की ओर आने की कोशिश कर रहे हैं। इन सभी शरणार्थी के घुसपैठ को रोकने के लिए भारत सरकार ने सारे बॉर्डर को सील कर दिया है और बांग्लादेश के बॉर्डर के साथ लगने वाले सभी राज्यों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया हैं।