Sawan and Bel Patra: सावन का महीना चल रहा है जो भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं। पूरे सावन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाते हैं। भगवान शिव के प्रिय भोगों में बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, आख आते हैं। हम सभी जानते हैं की भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय बेलपत्र हैं।
सावन के महीने में भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं। ये सच हैं की बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं लेकिन बेलपत्र चढ़ाने के भी कुछ नियम होते हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी होता हैं। आज बेलपत्र के विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे की क्यों हैं बेलपत्र भगवानशिव को इतना प्रिय और कैसे करे इसकी पूजा।
कैसे हुई बेल के पेड़ की उत्पत्ति ?
स्कन्द पुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और उनके गणों के लिए भोजन बना रही थी। तभी उनके मस्तक पर पसीना आ गया। उन्होंने अपनी उंगली से पसीना पोंछकर उंगली झटक दी जिससे माता के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर जा गिरी। माता पार्वती के पसीने की बूंद से मंदारचल पर्वत पर बेल के पेड़ की उत्पत्ति हुई।
In the satsang, Sant Shri Asharamji Bapu shares the importance of Shiv Ki Upasna in #ShravanMaas. There is a provision in our shastras to offer Bel Patra leaves to Lord Shiva during these days. pic.twitter.com/nmZuO6kF2X
— Aarti Yad@v (@AartiYadav6695) July 28, 2024
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एक बेलपत्र में कितने देवताओं का स्थान हैं ? | Sawan and Bel Patra
जब हम भोले बाबा को बेलपत्र चढ़ाते हैं तो हम सोचते हैं की हमने केवल भगवान शिव की पूजा की हैं। लेकिन एक
बेलपत्र में केवल भगवान शिव ही नहीं और भी देवी देवता विराजमान होते हैं।
बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं जो ब्रह्म, विष्णु, और महेश तीनों की आंखे मानी जाती हैं।
बेलपत्र की तने में माता लक्ष्मी का निवास होता हैं।
बेलपत्र में जहां जो तीनों पत्तिया मिलती है उसके बीच में जो छोटा सा हिस्सा हैं वह हैं 33 कोटी देवी-देवतायो का स्थान।
तीनों पत्ती के नीचे जहां पत्ता खत्म होता हैं वह डंडी की हिस्सा माता पार्वती का स्थान होता हैं।
क्यों हैं भगवान शिव को बेलपत्र प्रिय ? | Sawan and Bel Patra
भगवान शिव को बेलपत्र प्रिय होने के कुछ कारण हैं:
सबसे पहले बेल के पेड़ की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई हैं।
बेलपत्र में 33 कोटी देवी देवतायो के भी स्थान होता हैं। इसलिए एक बेलपत्र चढ़ने से सभी भगवानों का आशीर्वाद मिलता हैं।
कैसे चढ़ाते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र ? Sawan and Bel Patra:
जैसा की हमने बताया की शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने क लिए कुछ नियमों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद बेलपत्र चढ़ाने चाहिए।
बेलपर को हमेशा चिकनी तरफ से चढ़ाना चाहिए।
बेलोपत्र के बीच के पत्ते पर हलदी लगाकर पीला चंदन लगर मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दे। इससे आपको विचारों और
सोच में परिवर्तन देखने को मिलेगा।
कोई परीक्षा हो तो बेलपत्र के बीच वाले हिस्से में शहद लगाकर शिवलिंग से चिपक दे। इससे आपकी परीक्षा सफल होगी।
किस दिन नहीं तोड़ना चाहिए बल पत्र ?
बेल पत्र जिस तरह चढ़ाने के लिए शास्त्रों में नियम लिखे हैं उसी तरह बेल पत्र के न तोड़ने के नियम बाताए हैं। बेलपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या पर बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेल पत्र को हमारे शास्त्रों और पुराणों में काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। इसिलिए इसे पेड़ से तोड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। सावन के महीने में भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने मात्र से देवों के देव महादेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।