Daulat Khan and Mughals: वह व्यक्ति जिसने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का न्योता दिया और इतिहासकारों की माने तो लोदी का अंत यही से शुरू हुआ था और भारत में मुग़ल साम्राज्य की शुरूआत यहीं से हुई. ” दौलत खान लोदी ” भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण पात्र था, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति को एक नया मोड़ दिया।
दौलत खान लोदी पंजाब का एक शक्तिशाली नवाब था, जिसने मुग़ल शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए न्योता दिया था। इस लेख में, हम दौलत खान लोदी के जीवन, और बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण देने के कारणों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए इस बारे में जानते हैं।
दौलत खान लोदी का प्रारंभिक जीवन
दौलत खान लोदी का जन्म एक प्रमुख अफगान परिवार में हुआ था। लोदी वंश ने भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना की थी और उनके शासन काल में पंजाब क्षेत्र एक महत्वपूर्ण प्रदेश बन गया था। दौलत खान एक कुशल शासक और वीर योद्धा था। उसने अपने शासनकाल में पंजाब क्षेत्र को मजबूती प्रदान की और अपनी सत्ता को विस्तार दिया।
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दौलत खान लोदी का राजनीतिक महत्व | Daulat Khan and Mughals
दौलत खान लोदी का राजनीतिक महत्व इस बात में निहित है कि उसने अपने समय की परिस्थितियों को बारीकी से समझा और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाए। 16वीं शताब्दी के आरंभ में, दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी के शासन के दौरान, सल्तनत में अराजकता और असंतोष व्याप्त था। इब्राहिम लोदी की नीतियों और कठोर शासकीय तरीके से दौलत खान समेत कई क्षेत्रीय शासक असंतुष्ट थे।
दौलत खान लोदी के द्वारा बाबर को निमंत्रण देने के कारण |Daulat Khan and Mughals
दौलत खान लोदी और अन्य प्रमुख सामंत इब्राहिम लोदी के खिलाफ विद्रोह करना चाहते थे। इब्राहिम लोदी का शासन न केवल अत्याचारी था बल्कि वह अपने सामंतों के साथ भी अन्यायपूर्ण व्यवहार करता था। दौलत खान ने महसूस किया कि यदि इब्राहिम लोदी को सत्ता से हटाना है तो उसे बाहरी सहायता की आवश्यकता होगी।
बाबर, जो काबुल का शासक था और तिमुरीद वंश का वंशज था, उसे भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित करना दौलत खान के लिए एक सही कदम साबित हो सकता था। बाबर ने पहले ही कई बार भारत पर आक्रमण करने का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया था। दौलत खान ने बाबर को यह भरोसा दिलाया कि यदि वह दिल्ली पर आक्रमण करता है तो उसे दौलत खान और अन्य सामंतों का समर्थन मिलेगा।
दौलत खान लोदी के निमंत्रण के बाद बाबर का भारत पर आक्रमण
दौलत खान लोधी की रणनीति सफल रही। 1525 में, बाबर ने दौलत खान लोधी और अन्य सामंतों के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और अपनी सेना के साथ भारत की ओर कूच किया। बाबर और उसकी सेना ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोधी की सेना को पराजित किया। इस लड़ाई में इब्राहिम लोधी की मृत्यु हो गई और बाबर ने दिल्ली सल्तनत पर कब्जा कर लिया। इस प्रकार, बाबर ने भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की।
इस युद्ध में दौलत खान लोदी की भूमिका
हालांकि, दौलत खान लोदी ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया था, लेकिन बाबर के आगमन के बाद दौलत खान की स्थिति कमजोर हो गई। बाबर ने अपने साम्राज्य को स्थिर करने के लिए अपने ही समर्थकों को कमजोर करना शुरू कर दिया। बाबर ने दौलत खान लोधी के खिलाफ कार्रवाई की और उसे गिरफ्तार कर लिया। कुछ समय बाद, दौलत खान लोदी की मृत्यु हो गई।
Left: Daulat Khan Lodi extends an invitation to Babur to invade India and target his kinsman, Ibrahim Khan Lodi.
Right: Babur seeks assistance from Rana Sanga in the battle against Ibrahim, recognizing Ibrahim’s previous defeats at the hands of Rana Sanga.
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— History Of Rajputana (@KshatriyaItihas) February 24, 2024
भारतीय इतिहास में दौलत खान लोदी
दौलत खान लोधी का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। उसने न केवल बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति को एक नया दिशा दी। दौलत खान लोदी के निमंत्रण के बिना, शायद बाबर का भारत पर आक्रमण सफल नहीं हो पाता और मुग़ल साम्राज्य की स्थापना नहीं हो पाती।
दौलत खान लोदी के योगदान को भारतीय इतिहास में विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जाता है। कुछ लोग उसे एक कूटनीतिक चालबाज मानते हैं जिसने अपने स्वार्थ के लिए बाबर को बुलाया। जबकि कुछ लोग उसे एक बुद्धिमान नेता मानते हैं जिसने अपने क्षेत्र और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए सही कदम उठाया। उसकी रणनीति और उसके निर्णयों ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति को एक नए युग में प्रवेश कराया।
दौलत खान लोदी का जीवन और उसकी भूमिका भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। उसके द्वारा बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण देने से न केवल दिल्ली सल्तनत का अंत हुआ, बल्कि मुग़ल साम्राज्य की नींव भी पड़ी। दौलत खान लोदी की इस कार्रवाई ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया और एक नए युग की शुरुआत की।