Friday, November 22, 2024
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Anupam Kher: किसान आंदोलन को लेकर अनुपम खेर ने की बात, बोलें- ‘लोगों को असुविधा पहुंचाने का कोई हक नहीं है’

Anupam Kher: बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकारों में से एक अनुपम खेर आए दिन सुर्खियों में छाए रहते हैं। अनुपम ने 90 के दशक से अब तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई हुई हैं। एक्टर अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को लेकर आए दिन चर्चा का केंद्र बनें रहते हैं। अनुपम एक्टिंग के अलावा अन्य मुद्दों पर भी बेबाकी से अपनी बात कहने के लिए जाने जाते हैं। वे जल्द ही फिल्म कागज 2 में नजर आने वाले हैं। हाल ही में अभिनेता ने एक बातचीत के दौरान उन्होंने किसान आंदोलन पर भी अपने विचार साझा किए।

Anupam Kher

‘कागज 2’ को लेकर की बात

आपको बता दें कि अनुपम की फिल्म अपकमिंग फिल्म ‘कागज 2’ प्रदर्शनों और रैलियों का नकारात्मक प्रभाव के विषय पर आधारित है। वीके प्रकाश के निर्देशन में बनी यह फिल्म विरोध प्रदर्शनों और रैलियों के कारण आम व्यक्तियों को होने वाली परेशानियों के बारे में है। अनुपम ने कहा, “अभिनेताओं और मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों को योद्धा नहीं माना जाता है। मैंने व्यक्तिगत तौर पर हर उस चीज के बारे में आवाज उठाई है, जिसने मुझे परेशान किया है और उसके परिणाम भी भुगते हैं। इसकी वजह से मैं कई लोगों के बीच अलोकप्रिय भी हो गया, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दिन के अंत में में मैं अपने विचारों के साथ शांति से सोता हूं।”

Anupam Kher

अभिनेता ने कहा कि मुद्दों को हल करने का आदर्श तरीका बातचीत है। महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन की वजह से हम एक स्वतंत्र देश हैं। हम भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन का परिणाम हैं, लेकिन उस समय सभी देशवासी एक साथ थे, यह सभी के लिए था न कि सिर्फ कुछ लोगों की मदद के लिए।

Anupam Kher
किसान आनदोलन को लेकर अनुपम ने की बात

इस बातचीत में अनुपम किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में बोलते हुए कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसका असर आम लोगों के जीवन पर नहीं पड़ना चाहिए। अभिनेता ने कहा, “हर किसी को घूमने-फिरने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है, लेकिन किसी को भी दूसरे लोगों को असुविधा पहुंचाने का कोई हक नहीं है। यह हमारे देश में वर्तमान समय में ऐसा ही हो रहा है।

मुझे नहीं लगता कि पूरे देश का किसान इस विरोध प्रदर्शन से समहत होंगे। किसान अन्नदाता हैं। हमें यह कहकर रक्षात्मक महसूस कराया जाता है कि हम अन्नदाता के बारे में बात कर रहे हैं…मुझे लगता है कि जो कर हम चुकाते हैं वे भी देश की वृद्धि में योगदान दे रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है आम लोगों के जीवन को दयनीय बनाना ठीक नहीं है।”

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