Uniform Civil Code | Uttarakhand : लंबी चर्चा के बाद बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक को पारित कराने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। समान नागरिक संहिता विधेयक, उत्तराखंड 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सदन के पटल पर रखा था। यूसीसी बिल पर दो दिन चर्चा होने के बाद आज इसे पारित कर दिया गया है। विधानसभा से पास होने के बाद यूसीसी बिल अब कानून बन गया है। हालांकि, उत्तराखंड की 4% जनजातियों को क़ानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है। मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है। बता दें कि यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है।
सीएम धामी ने सभी देशवासियों को दी बधाई
इस अवसर पर सीएम धामी ने देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड की विधायिका ने एक इतिहास रचा है। उत्तराखंड और देश के हर नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह कोई साधारण विधेयक नहीं है बल्कि भारत की एकात्मा का सूत्र है। हमारे संविधान शिल्पियों ने जिस अवधारणा के साथ हमारा संविधान बनाया था, देवभूमि उत्तराखंड से वही अवधारणा धरातल पर उतरने जा रही है। इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि हमने 12 फरवरी 2022 को इसका संकल्प लिया था। इसे जनता के सामने रखा था। करीब दो साल में आज सात फरवरी को हमने इसे सदन से पास करवाया। देश के अन्य राज्यों से भी हमारी अपेक्षा रहेगी कि वह इस दिशा में आगे बढ़ें।
सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून
बता दें कि विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। समान नागरिक संहिता पर ड्राफ़्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की थी। इसमें क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैं। इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं। ख़बरों के मुताबिक, UCC के ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं।
Uniform Civil Code Uttarakhand की कुछ महत्वपूर्ण बातें
- यूसीसी में ये प्रावधान किया गया कि विवाह तभी होगा जबकि पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो।
- 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा। एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे। कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे। लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
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