Different Eye Colour : ज्यादातर लोगों की आँखों का रंग काला होता है लेकिन कुछ लोगों की आंखों के रंग अलग-अलग भी होते हैं। कुछ की आंखें काली के अलावा भूरी, नीली, ग्रे और हरे रंग की भी होती है। लेकिन क्या आप जानते है ऐसा क्यों होता है कि दुनिया में लोगों की आंखों के रंग अलग-अलग होते हैं।
बता दें कि आंखों के रंग, मनुष्य के जीन्स से जुड़े होते है। आंखों का रंग पुतली में मैलानिन की मात्रा के हिसाब से तय होता है। इसके अलावा रंग तय करने में प्रोटीन का घनत्व और सूरज के उजाले का भी असर होता है। आंखों के रंग 9 कैटेगरी के होते है, जिसमें 16 जीन्स होते हैं जो आंखों के रंग के साथ जुड़े रहते हैं। OCA2 और HERC2 के जीन्स को आँखों के रंग के लिए जिम्मेदार माना जाता है। नीली आंखों के लिए HERC2 और OCA2, हरी आंखों से जुड़ा होता है।
इन वजह से बदलता है आँखों का रंग
दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों की आंखें भूरी होती हैं क्योंकि इसे डेवलप करने वाले जीन्स सबसे ज्यादा मनुष्य में होते हैं और नीले रंग की आंखों वाले लोगों की संख्या सबसे कम है। माना जाता है कि नीली आंखों वाले लोगों के पूर्वज एक ही हैं और लगभग 6 से 10 हजार वर्ष पहले इंसानी जीन्स में बदलाव हुआ था, जिसकी वजह से लोगों की आंखों का रंग नीला होने लगा।
ग्रे आंखों वाले लोगों में मैलानिन पिगमेंट की मात्रा कम होती है और प्रोटीन का घनत्व कम होने की वजह से उनकी आँखों का रंग बदल जाता है। बता दें कि दुनिया में केवल 2 फीसदी लोगों की आंखें हरी होती हैं क्योंकि उनकी आंखों में मैलानिन की मात्रा बहुत ज्यादा कम होती है। इसके अलावा भूरे आंखों वाले लोगों की आंखों में पुतली के बाहरी हिस्से में मैलानिन की मात्रा अधिक होती है।