Antibiotic Medicine : स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) ने एक नयी एडवाइजरी जारी की है जिसमें एंटीबायोटिक्स की काउंटर बिक्री बंद करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने डॉक्टरों के लिए इन दवाओं को लिखते समय ‘सटीक संकेत’ लिखना अनिवार्य कर दिया है। DGHS नेमेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों, देश की सभी मेडिकल और फार्मासिस्ट असोसिएशन को कहा है कि एंटीबायोटिक्स की काउंटर बिक्री बंद करें। यानी अगर कोई दवा लेने आता है तो उसे अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक न दें। क्वॉलीफाइड डॉक्टर के लिखे गए प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही किसी को एंटीबायोटिक दवा दी जाए।
एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग पर अंकुश लगाने की कोशिश
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस कदम को एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग पर अंकुश लगाने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं लेने से शरीर रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) हो देता है। WHO ने इसे इंसानों के सामने आने वाले 10 सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक बताया है।
क्या होती है एंटीबायोटिक दवाएं
बता दें कि एंटीबायोटिक दवाएं वे दवाएं हैं जो बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करती हैं। ये दवाएं या तो बैक्टीरिया को मारती हैं या उन्हें प्रजनन करने से रोकती हैं। एंटीबायोटिक दवाएं आमतौर पर मौखिक रूप से ली जाती हैं, लेकिन उन्हें इंजेक्शन या क्रीम के रूप में भी दिया जा सकता है। एंटीबायोटिक दवाएं बहुत प्रभावी हो सकती हैं, लेकिन उन्हें केवल तब ही लेना चाहिए जब डॉक्टर की सलाह दी गई हो।
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