अयोध्या की जब कभी भी बात होती है तभी मन में एक सवाल अक्सर ही गूंजता है। क्या अभी भी भगवान राम के वंशज मौजूद हैं? क्या श्रीराम की वंशावली अभी भी मौजूद है? अगर हम आपसे कहें कि हां, अभी भी भगवान श्रीराम की वंशावली और उनके वंशज मौजूद हैं तो आप हैरान जरूर हो जाएंगे लेकिन, ये सच है।
आज भी श्रीराम के वंशज होने का दावा अयोध्या के राजा करते हैं। औऱ चलिए अब आपको श्रीराम की वंशावली की जानकारी देते हैं।
महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री रामजी के वंश के राजा बृहद्वल थे जो कौरवों की तरफ से पांडवों के विरुद्ध युद्ध लड़े थे। इनको अभिमन्यु ने युद्ध में हराकर वध कर दिया था। यह राम जी के रघु कुल में सूर्यवंश कि सौवी पीढ़ी में थे। यही कौशल के राजा थे। यह समय कलयुग के शुरू होने का था और द्वापर के समाप्ति का था। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय भीम ने इनको हराया था और इन्होंने महाराज युधिष्ठिर को भेंट दी थी।
राजा राम के पुत्र कुश के राज्यारोहण के समय को त्रेता कि समाप्ति और द्वापर के शुरू का माना जाता है। कुश ब्रह्मा जी की पचासवी पीढ़ी में थे। राम 49वीं पीढ़ी में थे। कुश कौशल के राजा थे।
भानुकुल नाथ श्रीराम, श्री राम भगवान ही है। अयोध्या इनकी राजधानी थी।
अब भी अनेकों राजघराने स्वयं को राम का वंशज मनते है जैसे आमेर जयपुर राजघराना कछवाहे राजा, मेवाड़ का राणा घराना और मध्य प्रदेश में भी एक कोई राजघराना है जो स्वयं को राम के वंशज कहते है। राजपूतों में गुहील, गहलोत, बेशला, राघव भी रघुवंशी है। जाटों में भी कई कुल है गौत्र है जो राम से जुड़े है जैसे बाल्यान खाप। यह राजा बल से चली है जो रघुवंधी थे। कुछ खटीक भी स्वयं को रघुवंशी कहते है। कुछ इस्लाम को अपनाये हुए मेवात के मुसलमान भी स्वयं को राम का वंशज कहते है।