Bharatiya Shikshan Mandal : नई शिक्षा नीति में स्वाध्याय को प्रमुखता से जगह दी गई है। इसी के संदर्भ में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें स्वाध्याय की बात कही जा रही है। इसी कड़ी में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय शिक्षक स्वाध्याय का आयोजन किया गया जिसमें कई गणमान्य अतिथी मौजूद रहे। कार्यक्रम में बतौर मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक मा. विजय कुमार एवं मुख्यातिथि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय शालेय प्रमुख प्रो. प्रीतम सिंह ने की।
शिक्षक स्वाध्याय में अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री सुनील शर्मा, शालेय के अखिल भारतीय सह प्रमुख पुष्पेंद्र राठी, सह प्रमुख विश्वजीत पेंडसे, शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष डॉ जितेंद्र भारद्वाज, सीआरएसयू की कुलसचिव डॉ लवलीन मोहन, विदर्भ प्रांत से प्रशिक्षण सह प्रमुख समृद्धि ताई की गरिमामय उपस्थिति रही।
शिक्षा में गुणवत्ता को बनाए रखना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी – कुलपति प्रो राजबीर सिंह
भाषण के दौरान कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने कहा कि पिछले 70 सालों में हमारे सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं जिनसे पार पाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना और शिक्षा में गुणवत्ता को बनाए रखना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष डॉ जितेंद्र भारद्वाज ने सभी अतिथियों एवं शिक्षाविदों का धन्यवाद एवं आभार प्रकट करते हुए कहा कि हम अपने ज्ञान का चिंतन, मनन और आत्मसात करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के सहभागी बनें।
हमें हमारा गौरवपूर्ण इतिहास कभी पढ़ाया ही नहीं गया।
शिक्षक स्वाध्याय में बतौर मुख्य वक्ता आरएसएस प्रांत प्रचारक विजय कुमार ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का संपूर्ण विकास उस देश की शिक्षा नीति पर निर्भर करता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से शिक्षा में पूर्णतया भारतीयता आयेगी और यह भारत के पुनः विश्व गुरु बनने में सहायक साबित होगी इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैकाले की शिक्षा नीति ने प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति को तहस नहस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा, संस्कृति और सभ्यता विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि हमें गुलामी की मानसिकता वाली मैकाले वाली शिक्षा पढ़ाई गई। हमें हमारा गौरवपूर्ण इतिहास कभी पढ़ाया ही नहीं गया।