Prem Chopra : प्रेम चोपड़ा की गिनती बॉलीवुड के खूंखार विलेन्स में होती है। 60 साल के करियर में उन्होंने 380 से अधिक फिल्मों में काम किया है। उन्होंने अपने एक्टिंग करियर के दौरान ज्यादातर विलेन का ही रोल किया है। हालांकि क्या आप जानते हैं कि फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने के बाद और टीवी पर प्रेम चोपड़ा को ऐसे रोल में देखने के बाद लोग उन्हें रियल लाइफ में भी विलेन समझने लगे थे।
यहां तक कि उनसे विलेन की तरह ही ट्रीट किया जाता था। प्रेम चोपड़ा के किरदार टीवी पर तो बेहद दिलचस्प होते ही थे, लेकिन उनकी रियल लाइफ की कहानी उससे भी दिलचस्प है। तो आइए आपको बताते है कि प्रेम चोपड़ा हिंदी सिनेमा के सबसे खूंखार विलेन में से एक कैसे बनें-
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद Prem Chopra आए थे भारत
दरअसल, प्रेम चोपड़ा का जन्म ब्रिटिश इंडिया के दौरान 23 सितंबर 1935 को लाहौर में हुआ था। हालांकि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के कारण प्रेम चोपड़ा के परिवार को अपना सबकुछ छोड़कर भारत पंजाब आना पडा। पंजाब में पहले से ही प्रेम चोपड़ा की बुआ रहती थीं। ऐसे में उनका परिवार अपनी बुआ के यहां ही रहने लगा।
हालांकि बाद में प्रेम चोपड़ा का पूरा परिवार शिमला शिफ्ट हो गया और यहां से उनके परिवार ने एक नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत की। प्रेम की पढ़ाई पूरी होने के बाद उनके पिता का सपना था कि वो डॉक्टर बनें, लेकिन प्रेम IAS अधिकारी बनने का ख्वाब सजा रहे थे। खास बात तो यह है कि उस समय तक उनमें से किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं थी कि वो आगे चलकर फिल्म इंडस्ट्री के टॉप विलेन बनकर उभरेंगे।
जवानी के दिनों में पिता से मार खाते थे प्रेम चोपड़ा
अपनी जवानी के दिनों में प्रेम चोपड़ा ने पिता से बहुत मार खाई थी। एक बार कि बात है कि कॉलेज के दिनों में एक बार अपने दोस्त की जिद पर उन्होंने सिगार पी ली। ये पहली बार था जब उन्होंने सिगार को हाथ लगाया था। इससे पहले उन्होंने कभी भी सिगरेट या सिगार नहीं पी थी। ऐसे में जब उन्होंने सिगार पिया, तो पहले तो उन्हें बहुत खांसी आई, लेकिन बाद में उन्हें सब कुछ अच्छा लगने लगा।
जब सिगार पीने के लिए प्रेम को पड़ा था पिता से थप्पड़
हालांकि एक दिन वो जब सिगार पी ही रहे थे, तभी धुएं के पीछे से एक शख्स आए और उन्होंने प्रेम को जोरदार थप्पड़ लगाया। वो शख्स कोई और नहीं बल्कि उनके पिता थे। इस घटना के बाद प्रेम ने रियल लाइफ में सिगरेट जैसी चीजों को कभी भी हाथ नहीं लगाया। मैट्रिक्स की पढ़ाई वो साइंस साइड से कर रहे थे, लेकिन एक्टिंग का जुनून ऐसा हुआ कि उन्होंने स्ट्रीम बदलकर आर्ट में एडमिशन ले लिया। इस बात से पिता बहुत नाराज हुए थे, लेकिन प्रेम ने सिर्फ अपने दिल की बात सुनी। वैसे आपको ये जानकर काफी हैरान होगी कि प्रेम जिस कॉलेज में पढ़ते थे, वहां उनके सीनियर अमरीश पुरी थे।
पढ़ाई के साथ नाटक में भी हिस्सा लेते थे प्रेम चोपड़ा
कॉलेज में पढ़ाई के साथ प्रेम नाटक भी किया करते थे। प्रेम सिर्फ नाटक तक ही सीमित नहीं रहना चाहते थे। वो मुंबई आकर हिंदी सिनेमा में अपनी किस्मत आजमाना चाहते थे। हालांकि उनके पिता इस चीज के खिलाफ थे और बार-बार उनसे नौकरी करने की जिद करते थे। ऐसे में इस बार उन्होंने पिता की बात मान ली और डाक विभाग में काम करने लगे। मगर प्रेम का दिल यहां कहां लगने वाला था। उन्होंने वहां सिर्फ कुछ दिन ही काम किया और इसके बाद वो मुंबई चले गए।
नौकरी छोड़ मुंबई चले गए थे प्रेम चोपड़ा
मंबई पहुंचकर उनकी कोई जान पहचान तो थी नहीं। ऐसे में वो रोज सुबह प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के ऑफिस के चक्कर लगाते, लेकिन कहीं बात नहीं बनती। बहुत कोशिशों के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगा और अब प्रेम के पिता ने भी कह दिया था कि वो उनका खर्च नहीं उठाएंगे। ऐसे में अपना खर्च चलाने के लिए प्रेम ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में काम किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात कुलदीप सहगल से हुई, जिन्होंने प्रेम को 1955 में रिलीज हुई फिल्म टांगे वाली में काम करने का मौका दिया। हालांकि, फिल्म में उनका रोल बहुत छोटा सा था।
बड़ी फिल्म मिलने के दौरान हो गया था प्रेम की मां का निधन
आखिरकार प्रेम को भी एक बड़ी पंजाबी फिल्म में काम करने का मौका मिला। फिल्म का नाम था चौधरी करनाल सिंह। फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी थी, तभी उन्हें पता चला कि उनकी मां को पेट का कैंसर हो गया है। सब छोड़कर वो मां के पास पहुंचे, लेकिन 2 दिनों में उनका निधन हो गया। इसके बाद वो जब वापस मुंबई पहुंचे तो पता चला कि उनकी फिल्म हिट रही है। इसके बाद उन्हें कई पंजाबी फिल्मों के ऑफर्स आने लगे। मगर प्रेम का सपना था कि वो जल्द ही हिंदी फिल्मों में दिखें। इसी दौरान प्रोड्यूसर एन.एन. सिप्पी फिल्म ‘वह कौन थी’ बना रहे थे।
सिप्पी साहब की फिल्म में विलेन का किरदार निभाकर फेमस हुए प्रेम चोपड़ा
इस फिल्म के लिए सिप्पी साहब को एक नए लड़के की तलाश थी और उनकी ये तलाश प्रेम चोपड़ा पर जाकर खत्म हुई। प्रेम के लुक्स से वो काफी इंप्रेस हुए और उन्होंने इस फिल्म में प्रेम को विलेन का रोल ऑफर हुआ। वैसे तो प्रेम अपनी जर्नी बतौर हीरो ही जारी रखना चाहते थे, लेकिन इस वक्त उनको काम की बहुत जरूरत थी। इसी कारण वे बिना सोचे इस फिल्म में विलेन के रोल में काम करने के लिए तैयार हो गए।
फिल्म में उनके साथ मनोज कुमार और साधना ने काम किया था। इस फिल्म की अपार सफलता के बाद उन्होंने बतौर विलेन ही फिल्मों में काम किया और हिंदी सिनेमा के सबसे सफल विलेन की लिस्ट में शामिल हुए।
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फिल्म में विलेन का किरदार देख बेटी हो गई थी प्रेम चोपड़ा से नाराज
प्रेम के विलेन वाले किरदार का रियल लाइफ में ऐसा असर पड़ा कि एक बार वो अपनी बेटी को अपनी फिल्म प्रीमियर में ले गए थे। फिल्म के दौरान उनके किरदार को देख पूरे वक्त बेटी उन्हें ही घूर रही थीं। यहां तक कि विलेन के रोल में देखने के बाद बेटी ने उनसे बात ही करना बंद कर दिया था। बाद में प्रेम ने उन्हें समझाया कि फिल्मों में उनका ये काम है, इसलिए उन्हें ये करना पड़ता है। रियल लाइफ वो बिल्कुल अलग हैं। काफी समझाने के बाद बेटी ने उनसे बात करना शुरू किया।
जब रियल लाइफ में भी प्रेम को देख डरने लगी थी लड़कियां
इसके अलावा प्रेम ने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया था कि उन्होंने अधिकतर फिल्मों में ऐसा किरदार निभाया था, जिसमें उन्होंने महिलाओं के साथ सही सलूक नहीं किया। ऐसे में रियल लाइफ में भी उनकी इस इमेज का असर पड़ा है। उन्होंने बताया था कि वो एक बार चंडीगढ़ में पंचकुला गार्डन में अपने पिता से मिलने गए थे। वो वहां घूम ही रहे थे तभी दूर खड़े 4-5 आदमियों की नजर उन पर पड़ी। प्रेम को देखते ही उन्होंने अपनी पत्नियों से कह दिया कि वो सभी अपना चेहरा छुपा लें। दूर से ही प्रेम को सारी बातें समझ में आ गईं और वो हंस कर वहां से चले गए।