Recently updated on July 25th, 2024 at 12:41 pm
India – Canada : खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव देखने को मिल रहा है. दोनों देश एक दूसरे के डिप्लोमेट को देश छोड़ने को कह चुके है और इसी बीच इसको लेकर चर्चाए भी जोरों पर हैं. लेकिन दर्शकों आपको यह समझने की जरूरत है कि आखिर कनाडा ने जो विवाद शुरू किया है उसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं. दरअसल, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जिस प्रकार की बचकाना हरकत अपने संसद में की है उसको लेकर पूरी दुनिया कनाडा के इस नमूने प्रधानमंत्री पर हंस रही है. एक कहावत तो आपने सुनी होगी कि एक तो चोरी ऊपर से सीना जोड़ी. कुछ ऐसा ही कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के साथ हो रहा है. दर्शकों, एक तरफ तो जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकियों को कनाडा की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए होने देने की इजाजत देते हैं और उपर से दूसरी तरफ वें खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत का रोल हो सकता है इसकी बात भी करते हैं. कमाल है जस्टिन ट्रूडो आपने तो कमाल ही कर दिया. लेकिन ध्यान रहें आपकी ये चालाकी कनाडा में चलती होगी भारत में नहीं. जस्टिन ट्रूडो ने जो बयान हाल ही में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर और भारत को लेकर दिए हैं दुनिया उसे पर हंस रही है और कह रही है कि यह दुनिया का इकलौता ऐसा नमूना प्रधानमंत्री है जो कि इस तरह की बचकानी हरकतें कर रहा है.
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बात को समझिए अगर बात कनाडा की करें तो कनाडा में बड़ी संख्या में खालिस्तानी रहते हैं. आप कनाडा को खालिस्तान लैंड भी कहें तो इसमें मुझे नहीं लगता की किसी को कोई आपत्ति होगी. कनाडा खालिस्तानियों का गढ़ बन चुका है और कहीं आगे चलक ये न हो जाए की कहीं कनाडा ही खालिस्तना बन जाए. कनाडा में सिटीजनशिप लेकर यहां खालिस्तानी अपनी भारत विरोधी गतिविधियां चलाते हैं. आप भी यह जरुर सोचते होंगे कि आखिर जस्टिन ट्रूडो को अचानक क्या हो गया और उन्होंने भारत को लेकर ऐसा बयान क्यों दे दिया ? तो बात को समझिए. दरअसल कनाडा में खालिस्तानियों का बड़ा वोट बैंक है जिसे हासिल करने के लिए जस्टिन ट्रूडो कुछ भी कर गुजरेंगे अब ऐसा ही लगता है. जस्टिन ट्रूडो हमेशा से ही खालिस्तानी आतंकियों के सपोर्ट में दिखते हैं. वें लगातार खालिस्तानियों के कई कार्यक्रम में भी पहुंच जाते और अक्सर जब भारत, खालिस्तानी आतंकियों को कनाडा की जमीन का इस्तेमाल भारत के विरूद्ध न करने देने की गुजारिश कनाडा से करता है तो इस पर कनाडा की सरकार का कोई भी जवाब नहीं आता है. ऐसा लगता है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को सांप सूंघ गया हो.
कनाडा में बड़ी संख्या खालिस्तानियों की है और वे जस्टिन ट्रूडो को ही वोट देते है. अब बात थोड़ी आंकड़ों की कर लेते हैं वर्ष 2021 में जस्टिन टुडे को बहुत कम अंतर से कनाडा में जीत मिली थी और उन्हें जगजीत सिंह जिमी धालीवाल की अगुवाई वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का सहारा सरकार बनाने के लिए लेना पड़ा था. अगर बात करें जस्टिन ट्रूडो की तो जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक अनिश्चितताओं से घिरे हुए हैं और ऐसे में कम से कम 2025 तक उनके लिए एनडीपी का समर्थन बेहद अहम है. अब इसी सब की खातिर वें खालिस्तानियों का समर्थन कर रहे हैं और लगातार भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं.बात अगर खालिस्तान की करें तो किसान आंदोलन से लेकर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पर हुई पुलिस कार्रवाई तक ट्रूडो और सिंह के बयान ने भारत – कनाडा के रिश्तों में कड़वाहट घोलने काम किया. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी पर खालिस्तानियों का प्रभाव काफी ज्यादा है. यही वजह है कि कनाडा में भारत विरोधी अतिवादी विचार दिख रहे हैं और कनाडा इस तरह की हरकतें कर रहा है. कनाडा में भारतीय उच्च आयोग के परिसर पर हमला भी हो चुका है और ऑपरेशन ब्लू स्टार की वर्षगांठ के मौके पर भारत को लेकर आपत्तिजनक झांकियां भी कनाडा में निकाली जा चुकी है.
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इतना सब होने के बावजूद भी कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो चुप हैं क्योंकि वें जानते हैं कि अगर उन्होंने इस बारे में कोई एक्शन लिया तो उन्हें खालिस्तानियों का वोट नहीं मिलेगा. यानी कुल मिलाकर आप यह समझ सकते हैं कि सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक के लिए जस्टिन ट्रूडो यह सब कर रहे हैं और इतना ही नहीं हाल ही में जो जी-20 शिखर समिट का आयोजन राजधानी दिल्ली में हुआ और जब जस्टिन टुडे भारत आए तो उनके नखरे भी कम नहीं थे. उन्होंने दरअसल प्रेसीडेंशियल सुइट लेने से मना कर दिया और एक नार्मल कमरे में रहे. जस्टिन ट्रूडो की इन हरकतों से समझा जा सकता है की केवल वोट बेंक कि लिए उन्होंने भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश की है. उन्हें इसके लिए मांफी मागनी चाहिए.