ICC World Cup History : कहा जाता है कि किसी भी खेल की लोकप्रियता का कारण उसे खेलने वाले खिलाड़ी और उनके प्रदर्शन से मिलने वाला रोमांच होते हैं। ये रोमांच फैंस के लिए और बढ़ जाता है जब अपने देश के खिलाड़ी काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ज्यादा बेहतर शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहें तो वो खेल उस खिलाड़ी के नाम पर समझा जाने लगता है जब वो देश के लिए अहम मौके पर कुछ अद्भूत कर देता है। तब वो उस खेल के प्रेमियों के बीच अपनी पैठ गहरी कर लेता है। फिर ये जुड़ाव सिर्फ इसलिए नहीं रह जाता, क्योंकि उस खेल से मनोरंजन हो रहा है, बल्कि वह सम्मान और जज्बात का हिस्सा बन जाता है। ये जज्बात कई तरह से हो सकते हैं। फुटबॉल में ये जुड़ाव क्लबों के स्तर पर है। वहां देश की टीम को लेकर ज्यादा तवज्जो नहीं होती, लेकिन क्रिकेट में ये अलग है। क्रिकेट में ये जज्बात और इज्जत राष्ट्रीय टीम के स्तर पर है, क्योंकि क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबलों के कारण ही लोकप्रियता हासिल हुई है। खेल प्रेमियों के इसी जज्बात के कारण अक्सर स्टेडियम का माहौल शानदार और रोमांचक हो जाता है।
भारतीय क्रिकेट की पहचान और इसके सबसे मशहूर मैदान पर लगा था दाग
लेकिन कभी-कभी इसका भद्दा स्वरूप भी दिखता है, जो सिर्फ क्लब या देश की टीम को शर्मसार नहीं करता, बल्कि पूरे समाज के लिए कलंक साबित होता है और कभी न मिट पाने वाला दाग बन जाता है। ऐसा ही एक दाग आज से 30 साल पहले भारतीय क्रिकेट की पहचान और इसके सबसे मशहूर मैदान पर लगा था, जो आज भी मिटाना मुश्किल है। ऐसा ही एक मैच 27 साल पहले 1996 वर्ल्ड कप में खेला गया था। भारत और श्रीलंका की टीमें कोलकाता के ईडन गार्डन में आमने-सामने थीं। आखिर में जब मैच श्रीलंका के पक्ष में जाने लगा तो भारतीय फैंस ने बवाल करना शुरु कर दिया। मैदान में बोतलें फेंकी गई। हद तो तब हुई जब गुस्साई भीड़ ने स्टेडियम में आग लगा दी।
उस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम एक मजबूत दावेदार थी। घरेलू जमीन पर वर्ल्ड कप जीतने का उसके पास मौका था। एक बार वर्ल्ड कप जीत भी चुकी थी और क्वार्टर फाइनल में पाकिस्तान पर जबरदस्त जीत हासिल कर इस मैच में पहुंची थी। लेकिन सामने मौजूद श्रीलंकाई टीम ने इस वर्ल्ड कप में वनडे क्रिकेट को पूरी तरह से बदल दिया था।
सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद तमाशा शुरु
मैच में कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया। भारत पहले ही ओवर में हावी हो गया और खतरनाक दिख रहे रोमेश और सनथ जयसूर्या को सिर्फ 4 गेंदों के अंदर पवेलियन भेज दिया। एक तरफ से विकेट गिरते गए लेकिन इस वर्ल्ड कप में श्रीलंका के सबसे बड़े हीरो अरविंदा डि सिल्वा ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धूनाई की और रनों की झड़ी लगा दी। यहां से अर्जुन रणतुंगा (35), रोशन महानामा (58) और हसन तिलकरत्ने (32) ने मिलकर श्रीलंका को 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 251 रनों के मजबूत स्कोर तक पहुंचा दिया।
जवाब में भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही थी। नवजोत सिद्धू सिर्फ 3 रन बनाकर आउट हो गए। ऐसे में भारतीय बल्लेबाजी का सबसे मजबूत आधार सचिन तेंदुलकर पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी। हालांकि, दवाब में रहते हुए भी सचिन ने अर्धशतक लगाया और भारत का स्कोर 100 रन के पार पहुंचा दिया। 25 ओवरों तक भारत का स्कोर एक विकेट पर 98 रन था। सचिन और संजय मांजरेकर क्रीज पर थे और यहीं से उस काले अध्याय की शुरुआत होती है। सचिन 67 रन बनाकर स्टंप आउट हो गए। इसके बाद तमाशा शुरु हो गया। स्टेडियम में मौजूद कुछ बदमाश दर्शकों ने बोतलें मैदान पर फेंकनी शुरू कर दी। इसके कारण खेल रोक दिया गया और श्रीलंकाई फील्डर बाउंड्री से हटकर पिच के पास पहुंच गए। जल्द ही हालात बेकाबू हो गए और कुछ बदमिजाज दर्शकों ने स्टेडियम की सीटों पर आग लगा दी। ये हैरान कर देने वाला नजारा था। इस वक्त विनोद कांबली और उनका साथ दे रहे अनिल कुंबले क्रीज पर थे। पुलिस ने खूब मेहनत की लेकिन जब हालात नहीं सुधरे, तो मैच रेफरी क्लाइव लॉयड ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया।
श्रीलंका को इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ा
इस हरकत के बाद शिकायत करने का किसी को कोई हक नहीं था और न किसी ने की। श्रीलंका को इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ा और 3 दिन बाद उन्होंने लाहौर में हुए फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर लिया। श्रीलंका के हिस्से वो खुशी आई, जिसका वो हकदार था। वहीं भारत के हिस्से इतिहास की सबसे बड़े कलंकों में से एक आया, जिसका ये देश और ये टीम हकदार नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने इसे देश पर और उस ऐतिहासिक मैदान पर थोप दिया, जो हमेशा के लिए बना रह गया।
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