DU Law Admission Case : दिल्ली यूनिवर्सिटी लॉ एडमिशन केस में एक नया मोड़ आया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने डीयू पर सख्त होते हुए ये कहा है कि इस केस पर जल्द-जल्द अपनी सफाई दे। हाईकोर्ट ने डीयू को इसके लिए समय भी दिया है और बदले में यूनिवर्सिटी ने भी कोर्ट को यह भरोसा दिलाया है कि जब तक इस मामले में फैसला नहीं आ जाता, लॉ कोर्स में एडमिशन शुरु नहीं होंगे। बता दें कि डीयू के छात्र प्रिंस सिंह ने यह याचिका दायर की है जहां उन्होनें कहा है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ फैकल्टी में फाइव ईयर इंट्रीगेटेड लॉ कोर्स में सीयूईटी के बजाय क्लैट द्वारा एडमिशन लेना गलत है।
याचिका दायरकर्ता का क्या है कहना ?
सिंह का मामला है कि यूनिवर्सिटी ने विवादित अधिसूचना जारी करते समय “अनुचित और मनमानी शर्त” लगाई कि फाइव ईयर इंट्रीगेटेड लॉ कोर्स में एडमिशन पूरी तरह से CLAT- UG 2023 परिणाम में योग्यता के आधार पर होगा, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत शिक्षा का अधिकार का उल्लंघनकारी है। याचिका में भी उन्होनें यही बात की है कि यह मनमानी और अनुचित है।
क्या है आखिर ये डीयू लॉ एडमिशन केस का मामला ?
मुद्दा ये है कि डीयू पांच साल के लॉ कोर्स में एडमिशन के लिए क्लैट यानी कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट 2023 के स्कोर को मान्यता देता है। जबकि पिटिशन दायर करने वाले छात्र का कहना है कि जब यूजी कोर्स में एडमिशन के लिए सीयूईटी यानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी एडमिशन टेस्ट लिया जाता है तो लॉ कोर्स में एडमिशन के लिए अलग से परीक्षा आयोजित नहीं होनी चाहिए। सीयूईटी को ही आधार बनाकर लॉ कोर्स में भी प्रवेश दिए जाने चाहिए।
सुनवाई करते समय कोर्ट ने क्या कहा ?
इस मामले में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगायी और कहा कि, ‘आप स्पेशल नहीं हैं। एक नेशनल पॉलिसी है और अगर देश की दूसरी 18 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, प्रवेश देने के लिए सीयूईटी स्कोर पर भरोसा कर रही हैं तो डीयू ऐसा क्यों नहीं कर रहा।’ कोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट काउंसिल को इस मामले में जवाब देने के लिए कुछ वक्त दिया है। कोर्ट की अगली सुनवाई 25 अगस्त के दिन होनी है।
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