Delhi Ordinance Bill | Raghav Chadha : जिस दावे के साथ आम आदमी पार्टी देश में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है, वो लगातार खोखले दिखाई दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी ये बार बार कहती आई है कि हम वो पार्टी हैं जिसपर कोई दाग नहीं लगा है। हम भ्रष्टाचार से मुक्त हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में आप के नेताओं ने जिस तेजी से धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की है, जिसके चलते वो एक एक कर जेल की हवा खा रहे हैं वो काफी चिंताजनक है। चाहे वो शराब धोटाला का मामला हो या दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनिष सिसोदिया पर धनशोधन का मामला हो। खैर एक और मामले में आम आदमी पार्टी पूरी तरह से घिर गई है।
यह भी पढ़ें : Raghav- Parineeti : राघव चड्ढा ने शेयर की परिणीति के साथ सगाई की तस्वीरें, होने वाली दुल्हनिया के लिए लिखा प्यारा नोट
बुरी तरह फंसे राघव चड्ढा
दरअसल, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा बुरी तरह से फंस गए हैं। जी हां, उन पर पाँच राज्यसभा सांसदों ने “फ़र्ज़ी हस्ताक्षर” कराने का आरोप लगाकर विशेषाधिकार हनन की शिकायत की है। दरअसल, राघव चड्ढा इस विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव लेकर आए थे। इस प्रस्ताव पर पाँच सांसदों के नाम शामिल किए गए थे, जिनका कहना है कि उन्होंने इस पर हस्ताक्षर ही नहीं किए, ना ही उन्हें इस बात की कोई जानकारी थी कि उनके नाम इस प्रस्ताव के समर्थन में शामिल किए जा रहे हैं।
सांसदों का समर्थन होने का किया था दावा
राज्य सभा में सोमवार को दिल्ली सर्विस बिल पर चर्चा की गई। इस दौरान आप सांसद राघव चड्ढा ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। उन्होंने एक प्रस्ताव भी पेश किया, जिसे लेकर उन्होंने कुछ सांसदों का समर्थन होने का भी दावा किया। हालांकि जिन सांसदों के नाम उस दस्तावेज पर थे, उन्होंने इसका विरोध किया है। उन्होंने बिना उनसे सहमति लिए नाम शामिल किए जाने को गलत बताया है। साथ ही दस्तावेज पर अपने साइन भी गलत बताए हैं।
जयराम रमेश ने भी जताई थी आपत्ति
सांसद जयराम रमेश ने भी इसको लेकर आपत्ति जताई। यहां तक कि उन्होनें राज्यसभा में ही राघव को फटकारने लगे। उन्होनें राघव को ये कहा कि हमें इसमें आप क्यों शामिल कर रहे हैं। इस मामले में राज्य सभा के चेयरमैन व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को कई सांसदो ने पत्र भी लिख दिया है और खास बात यह है कि उन्होनें भी इस पर जांच के आदेश दे दिए हैं। ऐसे में अगर राघव दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। बता दें कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के अधिकार उपराज्यपाल को सौंपने वाले दिल्ली सर्विस बिल (Delhi Service Bill) सोमवार को राज्य सभा में भी पारित हो गया है। इसके साथ ही यह बिल कानून बन गया है। इसके बावजूद इस बिल को लेकर चल रहे विवाद खत्म नहीं हो रहे हैं।