Friday, November 22, 2024
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Ashadha Gupt Navratri 2023 : 19 जून 2023 से हो रही हैं गुप्त नवरात्रि की शुरुआत, जानें किन-किन देवियों की करें पूजा?

Ashadha Gupt Navratri 2023 : हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व हैं। देवी दुर्गा के भक्तों के लिए नवरात्रि के 9 दिन बहुत ज्याद खास होते हैं। इस दौरान देवी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती हैं। साथ ही उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न चीजों का भोग भी लगाया जाता है। देवी दुर्गा की पूजा का ये पर्व साल में 4 बार आता है। इसमें से आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri 2023) में मां दुर्गा की गुप्त रूप से पूजा की जाती हैं। इस बार गुप्त नवरात्रि का त्योहार 19 जून 2023 से आरंभ हो रहा है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास (Ashadha Gupt Navratri 2023) के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 18 जून 2023 को सुबह 10 बजकर 06 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 19 मई 2023 को सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर होगा। वहीं, कलश की स्थापना 19 जून 2023 को की जाएगी, जिसका शुभ मुहूर्त प्रात: काल 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक है।

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गुप्त नवरात्रि में इन देवियों की करें पूजा

प्रचलित मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूपों की आराधना की जाती हैं। इस दौरान (Ashadha Gupt Navratri 2023) मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की उपासना करें। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति गुप्त नवरात्रि में देवी के इन स्वरूपों की पूजा करता है, उनकी सभी इच्छा जल्द पूरी होती है। साथ ही उनके घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

  • आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri 2023) के दिन सूर्योदय से पहले उठे।
  • इसके बाद स्नान आदि से निवृत होकर पवित्र कपड़े पहनें।
  • फिर शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाए। इसके बाद उस पर मां की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
  • उस स्थान को गंगा जल से पवित्र करें।
  • देवी की पूजा प्रारंभ करने से पहले एक मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें और पूरी नवरात्रि उसमें जल का उचित मात्रा में छिड़काव करते रहें।
  • इसके बाद मां की पूजा के लिए चौकी पर कलश स्थापित करें।
  • फिर अखंड ज्योति जलाकर दुर्गासप्तशती का पाठ करें।
  • अंत में मां दुर्गा के मंत्रों का जाप और आरती करें।

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