शरद पवार महाराष्ट्र के बहुत बड़े नेता हैं। कांग्रेस में लंबे समय तक सेवा दी है। कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बनने के बाद उन्होंने फिर अपनी पार्टी बनाई। कुछ समय बाद फिर से कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। राजनीति में कई उठा पटक के बीच इन्होने शिवसेना में भी काम किया और कई बार शिवसेना के विरोध में भी बोलते नजर आए। हाल ही में इनका एक बयान चर्चा में है।
शरद पवार अपने बयान में कहते हैं कि अगर हम कला कविता और लेखन के बारे में बात करें तो अल्पसंख्यक के पास इन क्षेत्रों में योगदान के लिए अपार क्षमता है। साथ ही साथ उन्होंने यह प्रश्न भी उठाया कि बॉलीवुड में सबसे ज्यादा योगदान किसका है ? उत्तर देते हुए खुद कहा कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने सबसे ज्यादा योगदान किया है। इस चीज़ को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।
इस बयान के बाद लोगों ने अपना रिएक्शन दिया है। उन सभी का कहना है कि यह बयान समाज को बांटने वाला है। आपसी सदभाव को बिगाड़ने का काम कर सकता है। इस तरह की बातें शरद पवार को नहीं बोलनी चाहिए। धर्म के आधार पर बांटने का काम किसी व्यक्ति तो क्या, किसी नेता को भी नहीं करना चाहिए। खासकर तब जब आप एक लोगों के बड़े के विचारधारा को बदलने की क्षमता रखते हैं।
आंकड़ें को देखें तो यह बयान गलत साबित दिखाई देगा। बॉलीवुड में सबसे ज्यादा योगदान दादा साहब फाल्के को माना जाता है। उन्होंने बॉलीवुड के फिल्मों के लिए क्या कुछ नहीं किया है अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिया। इसलिए इस तरह के बयानबाजी उनके साथ-साथ कई बॉलीवुड के एक्टर के लिए भी अपमानित है। भारतीय फिल्मों के इतिहास को देखें तो देवकी बोस, नितिन बोस, दुर्गा खोटे, देविका रानी, हिमांशु राय जैसे अनगिनत नाम है जिनका भारतीय फिल्मों में काफी योगदान रहा है। अशोक कुमार, राज कपूर, देवानंद गुरुदत्त जैसे लोगों को शरद पवार जैसे लोग आसानी से भूल जाते हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को ऊंचाई प्रदान की।