कांग्रेस को अपना नया अध्यक्ष मिल गया है। 24 साल के बाद गांधी परिवार से अलग कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ऑफिस के बाहर मल्लिकार्जन खड़गे के समर्थकों में उत्साह देखते ही बन रहा है। लेकिन, मल्लिकार्जन खड़गे के लिए क्या कांग्रेस अध्यक्ष की राह आसान होगी ये सवाल अब राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है।
कांग्रेस पर अक्सर ही ये आरोप लगता रहा है कि कांग्रेस में गांधी परिवार से बाहर कोई और अध्यक्ष पद की दावेदारी नहीं कर सकता। पिछले 22 साल से अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस पर यही आरोप अक्सर लगता रहा। अब कांग्रेस अध्यक्ष की कमान 80 साल के मल्लिकार्जन खड़गे के हाथ है। खड़गे जमीनी नेता हैं और कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता भी।
अपने राजनैतिक कैरियर में खड़गे ने कांग्रेस को जमीन से लेकर शीर्ष तक देखा है। खड़गे क्योंकि जमीन से जुड़े नेता हैं तो इनकी पकड़ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर भी है। और यही वजह भी रही है कि कांग्रेस आला कमान यानी सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे पर विश्वास जताया है।
आपको बताते चले कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के नये अध्यक्ष के लिए मतदान किया था।
आपको बताते चले कि कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में 6वीं बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। अध्यक्ष पद का चुनाव साल 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में हो चुका है। अब ये चुनाव 22 साल के बाद हुआ है। इस चुनाव से 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर से कोई नेता कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया है। इससे पहले साल 1997 तक सीताराम केसरी गैर-गांधी अध्यक्ष रह चुके हैं।
क्या कांग्रेस को नयी ऊर्जा दे पाएंगे खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे हिन्दी बेल्ट की राजनीति समझते हैं। खड़गे हिन्दी भी अच्छी बोल लेते हैं। कांग्रेस में हालांकि हिन्दी को लेकर इतनी बाध्यता नहीं है, लेकिन जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं से लगातार टच में रहने के लिए हिन्दी अनिवार्य भी है। मल्लिकार्जन खड़गे इस परिपाटी पर खरे उतरते हैं। साथ ही मल्लिकार्जन खड़गे को राजनीति का भी लंबा अनुभव है, ऐसे में वह एक बार फिर कांग्रेस में शायद जान फूंकने में कामयाब हो जाए।