Friday, November 22, 2024
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राजनेता नहीं बचपन में सेना में शामिल होने का था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना, इस वजह से नहीं हो पाया पूरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सबसे लोकप्रिय चेहरे में से एक बन गए हैं। 9 सालों से देश की सत्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह देश को चलाया है, उन्होंने अपनी शख्सियत से दुनिया को प्रभावित किया हैं। देखा जाये तो पीएम मोदी ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम मोदी का बचपन में सपना एक राजनेता बनने का नहीं था। जी हां, वो राजनीति में नहीं आना चाहते थे। बल्कि वो तो देश की सेवा करने के लिए सेना में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन उनका ये सपना पूरा न हो सका।

इस वजह से नहीं पूरा हो सकता पीएम मोदी का सपना

बचपन से ही पीएम मोदी देश की सेवा करना चाहते थे। इसलिए वो सेना में भर्ती होने का सपना देखते थे। वह अपने घर से नजदीक जामनगर के सैन्‍य स्‍कूल में दाखिला लेना चाहते थे, लेकिन स्‍कूल की फीस भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। पैसे की कमी के कारण वो सैन्य स्कूल में दाखिला नहीं ले पाए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनकी किस्मत में देश का प्रधानमंत्री बनना लिखा था।

पीएम मोदी का बचपन कितने कष्टों में बीता है, उनकी कहानी से तो शायद आज हर कोई परिचित होगा। उन्होंने एक चायवाले से देश का प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया हैं। उन्होंने वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेची। बताया जाता है कि चाय बेचकर ही उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला।

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कहा ये भी जाता है कि मोदी बचपन से ही संघ की ओर आकर्षित थे। 1967 में जब वो केवल 17 साल के थे, तो उस उम्र में वह अमहदाबाद पहुंचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ले ली। इसके बाद 1974 में वो नव निर्माण आंदोलन में शामिल हो गए। कई सालों तक मोदी RSS के प्रचारक रहे। फिर 1980 के दशक में वह गुजरात की बीजेपी ईकाई में शामिल हो गए।

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